हैदराबाद: बच्चे हों या युवा, बड़े हों या बुजुर्ग हर कोई चॉकलेट खाना पसंद करता है. दुनिया भर में इसकी बहुत ज्यादा खपत है, क्योंकि पूरी दुनिया में चॉकलेट का इस्तेमाल होता है. बर्थडे पार्टी और त्योहारों पर भी लोग दोस्तों-रिश्तेदारों को चॉकलेट गिफ्ट करते हैं. भारत में भी चॉकलेट की खपत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है.
चॉकलेट कोको बीन्स से बनाए जाते हैं. इसका प्रोडक्शन सिर्फ कुछ देश में होता है. उत्तरी अमेरिका के मेक्सिको में सबसे पहले कोको का पेड़ पाया गया था. कहा जाता है कि करीब चार हजार साल पहले अमेरिका की ओल्मेक्स सभ्यता में कोको से चॉकलेट बनाया गया था.
कोको के पेड़ में फल लगते हैं, जिसकी फली में कोको बीन्स होते हैं. बीन्स निकालने के बाद उसे सुखाया जाता है और फिर उसे भूना जाता है. फिर इसका इस्तेमाल चॉकलेट बनाने में किया जाता है.
कोको की खोज की भले ही मेक्सिको में हुई थी, लेकिन वर्तमान में दुनिया का लगभग 70 प्रतिशत कोको बीन्स का प्रोडक्शन चार पश्चिमी अफ्रीकी देशों- आइवरी कोस्ट, घाना, नाइजीरिया और कैमरून में होता है. आइवरी कोस्ट और घाना पूरी दुनिया में करीब 50 प्रतिशत कोको का प्रोडक्शन करते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, आइवर कोस्ट और घाना में करीब दो मिलियन से अधिक कोको फार्म हैं. कोको की खेती के लिए यहां की जलवायु बहुत अनुकूल है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022/2023 में आइवर कोस्ट में करीब 2.24 मिलियन मीट्रिक टन कोको बीन्स का उत्पादन किया गया, जो पूरी दुनिया में कोको का एक तिहाई हिस्सा था. इसके बाद घाना में कोको का प्रोडक्शन 1.1 मिलियन मीट्रिक टन था. 2021 में, आइवरी कोस्ट ने लगभग 2.1 मिलियन मीट्रिक टन कोको बीन्स का उत्पादन किया.
इसके अलावा इंडोनेशिया, ब्राजील, पेरू और इक्वाडोर जैसे देशों में भी कोको का अच्छा उत्पादन किया जाता है.
चॉकलेट कैसे बनाई जाती है?
चॉकलेट कोको बीन्स बनाया जाता है. पहले कोको की फलियों को तोड़ लिया जाता है और बीन्स को सुखाया जाता है. फिर कोको बीन्स को पीसते हैं. फिर उन्हें दूध और चीनी के साथ मिलाते हैं.
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