नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करना भारतीय जनता पार्टी (BJP) के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है. हालांकि, सरकार के लिए इसे लागू करना अब उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि बीजेपी बहुमत से पीछे रह गई है. उसके मौजूदा सहयोगी दल पहले ही इस प्रस्ताव पर आपत्ति जता चुके हैं.
हालांकि, केंद्रीय कानून और न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को कहा था कि यूसीसी अभी भी सरकार के एजेंडे में है. इसको लेकर हमें अभी इंतजार करना होगा. उनके बयान को लेकर अब जनता दल यूनाइटेड ने प्रतिक्रिया दी है.
'हम यूसीसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन...'
इस संबंध में जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बुधवार को एक न्यूज पेपर को दिए इंटरव्यू में कहा कि बिहार के सीएम (नीतीश कुमार) ने 2017 में यूसीसी पर विधि आयोग के समक्ष एक प्रेजेंटेशन दिया था. हमारा रुख वही है. हम यूसीसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम चाहते हैं कि इसको लेकर आम सहमति बने.
UCC पर आम सहमति बने
बता दें कि विधि आयोग को लिखे अपने पत्र में नीतीश ने कहा था कि राज्य को यूसीसी लाने का प्रयास तभी करना चाहिए, जब इस पर आम सहमति हो. इस तरह के प्रयास को स्थायी और टिकाऊ बनाने के लिए व्यापक सहमति बननी चाहिए, न कि ऊपर से आए आदेश को थोपा जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यूसीसी लागू करने का कोई भी प्रयास सामाजिक टकराव और धार्मिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी में विश्वास को कम कर सकता है.
TDP का क्या है रुख?
TDP नेता नारा लोकेश ने हाल ही में कहा था कि परिसीमन, समान नागरिक संहिता आदि जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी और इन्हें सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया जाएगा. हम इन सभी मुद्दों पर आम सहमति बनाने की कोशिश करेंगे.
वाईएसआरसीपी नहीं करेगी समर्थन
इस बीच, वाईएसआरसीपी ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि वह यूसीसी का समर्थन नहीं करेगी. वाईएसआरसीपी संसदीय दल के नेता वी विजयसाई रेड्डी ने कहा, "चुनावों से पहले ही हमारी पार्टी ने स्पष्ट कर दिया था कि हम यूसीसी का समर्थन नहीं करेंगे। हम उन मामलों का समर्थन करेंगे जो देश के हित में हैं.
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