उत्तरकाशी (उत्तराखंड): भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे जादुंग गांव को दोबारा बसाने के लिए पर्यटन विभाग और गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से 6 होमस्टे के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके लिए शासन की ओर से करीब साढ़े तीन करोड़ की धनराशि स्वीकृत की गई है. इस सबंध में वन विभाग की स्वीकृति मिलने के बाद जीएमवीएन (Garhwal Manadal Vikas Nigam) की टीम ने वहां पर कार्य शुरू कर दिया है. इसमें 17 होमस्टे का निर्माण किया जाना है.
फिर बसेगा जादुंग गांव: केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर बसे गांवों को दोबारा बसाने के लिए कवायद शुरू की गई थी. इस योजना के तहत भारत-चीन युद्ध के समय उत्तरकाशी जनपद में खाली किए गए गांव जादुंग और नेलांग के ग्रामीणों को दोबारा वहां पर बसाने की तैयारी की गई थी. उस लड़ाई के समय इन गांवों के ग्रामीणों को हर्षिल के समीप बगोरी गांव में बसाया गया था. वहीं, शीतकाल में यह ग्रामीण डुंडा विकासखंड के वीरपुर गांव में रहते हैं.
वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत बन रहे होमस्टे: केंद्र सरकार की वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत गत माह पर्यटन विभाग सहित जीएमवीएन और राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने बगोरी गांव के ग्रामीणों के साथ इस गांव का सर्वे किया था. उन्होंने इनरलाइन की बाध्यताओं के चलते वन विभाग और जिला प्रशासन से अनुमति मांगी थी.
सभी सबंधति विभागों से अनुमति मिलने के बाद वहां पर प्रथम चरण में 6 होमस्टे के निर्माण की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इस योजना के तहत वहां पर मुख्य पैदल रास्तों का टाइल्स के साथ और तीन स्थानों पर व्यू प्वाइंट का निर्माण किया जाना है.
कुल 17 होमस्टे बनेंगे: उसके बाद दूसरे चरण में 17 होमस्टे का निर्माण शुरू किया जाएगा. जीएमवीएन के अवर अभियंता सचिन रावत ने कहा कि जादुंग गांव में 6 होमस्टे का निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है.
जिला पर्यटन अधिकारी केके जोशी ने बताया कि जादुंग में जिनका भूमि स्वामित्व था, उनकी भूमि पर होमस्टे का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके लिए कार्यदायी संस्था जीएमएमवीएन के अधिकारी जादुंग गए हैं.
चीन सीमा पर जादुंग से जनकताल तक ट्रेकिंग की तैयारी: वाइब्रेंट विलेज योजना में शामिल चीन सीमा से लगा उत्तरकाशी जिले का जादुंग गांव एक वर्ष के अंतराल में पर्यटकों की सैरगाह बन जाएगा. इसके साथ ही शीत मरूस्थल क्षेत्र में करीब 10 किमी का जनकताल ट्रेक भी प्रकृति के अभुद्ध नजारों के बीच रोमांच को और बढ़ाएगा. उत्तरकाशी जिला प्रशासन और गंगोत्री नेशनल पार्क जनकताल तक ट्रेकिंग की तैयारी कर रहा है. वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत जादुंग गांव में पहले चरण में छह होमस्टे बनाए जा रहे हैं.
इनर लाइन शिफ्ट करने का प्रस्ताव: उत्तरकाशी के जिलाधिकारी डॉ मेहरबान सिंह बिष्ट ने इस क्षेत्र में इनर लाइन को शिफ्ट किए जाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा है. जादुंग गांव में दस किमी की दूरी पर जनकताल स्थित है, जिसे ट्रेकिंग के लिए खोलने की तैयारी शुरू हो गई है. अधिकारियों ने इस ट्रेक को खोलने के लिए संयुक्त निरीक्षण भी किया है.
जादुंग गांव को बसाने की कवायद शुरू: उत्तरकाशी जिले में वर्ष 1962 से वीरान पड़े चीन सीमा पर स्थित नेलांग और जादुंग गांवों को बसाने की कवायद शुरू हो गई है. 1962 से पहले उत्तरकाशी जिले में चीन सीमा पर स्थित नेलांग गांव में करीब 40 परिवार और जादुंग गांव में करीब 30 परिवार निवास करते थे. उनका मुख्य व्यवसाय कृषि और भेड़पालन था. 1962 में भारत चीन युद्ध के दौरान सेना ने नेलांग और जादुंग को खाली करा दिया. जिसके बाद यहां के ग्रामीणों ने बगोरी और डुंडा में शरण ली.
नेलांग और जादुंग गांव में कैसे पहुंचें: यदि आप ऋषिकेश से जादुंग गांव पहुंचते हैं, तो पहले आप को उत्तरकाशी पहुंचना होगा. ऋषिकेश से उत्तरकाशी की दूरी 162 किमी पर है. पहला स्टॉप आपको यहां करना होगा. यदि आप देहरादून से उत्तरकाशी आते हैं, तो आप को देहरादून से उत्तरकाशी की दूरी 139 किमी तय कर यहा पहुंचना होगा. जिसके बाद आपको उत्तरकाशी से हर्षिल तक 76 किमी की दूरी तय करनी होगी. उसके बाद हर्षिल से जादुंग गांव 56 किमी की दूरी पर है. हर्षिल से भैरव घाटी तक नेलांग की दूरी 19 किमी है. जिसके बाद नेलांग गांव से जादुंग की दूरी 16 किमी है. वहीं भैरव घाटी से जादुंग गांव की दूरी 40 किमी है. यह इलाका बहुत ही ठंडा है.
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