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होली 2024: हरियाणा में कोरड़ा मार होली की धूम, भाभी देवरों पर बरसाती हैं कोड़े - Koda Maar Holi Festival in Panipat

Koda Maar Holi Festival in Panipat: होली 2024 को लेकर देश भर में लोगों में उत्साह है. वहीं, हरियाणा के विभिन्न जिलों में कोरड़ा होली ( कोड़ा मार होली) की धूम है. इस उत्सव में भाभी अपने देवर पर कोड़े बरसाती हैं और देवर कोड़े की मार से बचने के लिए उनके ऊपर रंग डालते हैं.

Koda Maar Holi Festival in Panipat
हरियाणा में कोरड़ा मार होली
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 24, 2024, 1:16 PM IST

हरियाणा में कोरड़ा मार होली

पानीपत: भारत देश विभिन्न परंपराओं का देश है. यहां विभिन्न राज्यों में तीज त्योहार मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं. होली के त्योहार पर हम आपको हरियाणा प्रदेश की मशहूर कोरड़ा होली के बारे में बता रहे हैं जो हरियाणा में पुराने समय से खेली जा रही है. देश में कही लठमार होली तो कही फूलो से होली खेली जाती है. हरियाणा की कोरड़ा मार होली (कोड़ा मार होली) भी बरसाना की लठमार होली से कम नहीं है.

कैसी खेली जाती है कोरड़ा मार होली?: होली दहन के अगले दिन हरियाणा प्रदेश में यह कोरड़ा होली खेली जाती है. कोरड़ा मार होली असल में रिश्ते में लगने वाले देवर के साथ भाभी होली मनाती हैं. भाभी के ऊपर देवरा रंग डालता है तो भाभी उसे कपड़े के बने कोड़े से मरती हैं. देवर भाभी के कोड़े की मार से बचने के लिए एक हाथ से रंग उड़ेलता है तो वहीं दूसरे हाथ में एक लाठी पकड़र कोड़े से अपना बचाव करता है. इस होली को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हो जाती है. प्रदेश के अधिकांश जिलों में वर्षों से यह पंरपरा चली आ रही है.

हरियाणा की पारंपरिक होली: इस कोरड़ा मार होली को लेकर अलग-अलग तरह की बातें सामने आती हैं. कहीं देवर-भाभी के बीच मनाई जाने वाली इस होली को आदर और सम्मान के रूप में देखते हैं तो कहीं इस होली को भाभी के दुलार और डांट को दर्शाता है.

भाभी देवर पर बरसाती हैं कोड़े: स्थानीय लोगों के अनुसार जब देवर भाभी के ऊपर रंग डालता है तो भाभी अपने बचाव के लिए उसे दूर भगाने के लिए कोड़े का इस्तेमाल करती हैं. यह कोड़ा कपड़े से बना होता है जिससे ज्यादा चोट भी नहीं लगती और भाभी की भी देवर पर भड़ास निकल जाती है. कोरड़ा होली का नजारा देखने लायक होता है. जो लोग पहली बार इस कोरड़ा होली देखते हैं तो उनके मन में यही ख्याल आता है कि भाभी देवर की पिटाई कर रही हैं. इस दौरान कई बार पुरुषों को पीट-पीट कर लाल कर दिया जाता है, लेकिन इसके बाबजूद भी खेल के रंगों के त्योहार में कोई भंग नहीं पड़ता.

ये भी पढ़ें: कहीं होली के रंग में ना पड़ जाए भंग, जानें कैसे करें असली और नकली रंग की पहचान, क्या बरतें सावधानी

ये भी पढ़ें: होली पर हुड़दंग की तो 'पुलिसिया स्वैग' से होगा स्वागत, डीजीपी ने जारी किया ये खास निर्देश

हरियाणा में कोरड़ा मार होली

पानीपत: भारत देश विभिन्न परंपराओं का देश है. यहां विभिन्न राज्यों में तीज त्योहार मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं. होली के त्योहार पर हम आपको हरियाणा प्रदेश की मशहूर कोरड़ा होली के बारे में बता रहे हैं जो हरियाणा में पुराने समय से खेली जा रही है. देश में कही लठमार होली तो कही फूलो से होली खेली जाती है. हरियाणा की कोरड़ा मार होली (कोड़ा मार होली) भी बरसाना की लठमार होली से कम नहीं है.

कैसी खेली जाती है कोरड़ा मार होली?: होली दहन के अगले दिन हरियाणा प्रदेश में यह कोरड़ा होली खेली जाती है. कोरड़ा मार होली असल में रिश्ते में लगने वाले देवर के साथ भाभी होली मनाती हैं. भाभी के ऊपर देवरा रंग डालता है तो भाभी उसे कपड़े के बने कोड़े से मरती हैं. देवर भाभी के कोड़े की मार से बचने के लिए एक हाथ से रंग उड़ेलता है तो वहीं दूसरे हाथ में एक लाठी पकड़र कोड़े से अपना बचाव करता है. इस होली को देखने के लिए लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हो जाती है. प्रदेश के अधिकांश जिलों में वर्षों से यह पंरपरा चली आ रही है.

हरियाणा की पारंपरिक होली: इस कोरड़ा मार होली को लेकर अलग-अलग तरह की बातें सामने आती हैं. कहीं देवर-भाभी के बीच मनाई जाने वाली इस होली को आदर और सम्मान के रूप में देखते हैं तो कहीं इस होली को भाभी के दुलार और डांट को दर्शाता है.

भाभी देवर पर बरसाती हैं कोड़े: स्थानीय लोगों के अनुसार जब देवर भाभी के ऊपर रंग डालता है तो भाभी अपने बचाव के लिए उसे दूर भगाने के लिए कोड़े का इस्तेमाल करती हैं. यह कोड़ा कपड़े से बना होता है जिससे ज्यादा चोट भी नहीं लगती और भाभी की भी देवर पर भड़ास निकल जाती है. कोरड़ा होली का नजारा देखने लायक होता है. जो लोग पहली बार इस कोरड़ा होली देखते हैं तो उनके मन में यही ख्याल आता है कि भाभी देवर की पिटाई कर रही हैं. इस दौरान कई बार पुरुषों को पीट-पीट कर लाल कर दिया जाता है, लेकिन इसके बाबजूद भी खेल के रंगों के त्योहार में कोई भंग नहीं पड़ता.

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