कानपुर : करीब 18 हजार फीट ऊंचे हिमालय पर्वत के आस-पास मौजूद रहने वाले हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर कुछ दिनों पहले झुंड के साथ इटावा के सफारी पार्क स्थित बर्ड वॉच एरिया में लगे सेमल के पेड़ पर बैठे दिखाई दिए. इन वल्चर (गिद्ध) को देखने के बाद मौके पर मौजूद ब्रीडर रोहित कुमार ने इसे अपने स्मार्टफोन में कैद किया तो वहीं जैसे ही यह जानकारी डीएफओ अतुल कांत शुक्ला समेत अन्य अफसरों को मिली तो सभी ने इसे सराहा.
डीएफओ अतुलकांत शुक्ला ने ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत के दौरान बताया, कि साल 2010 के बाद से कुछ वर्षों के अंतराल में लगातार हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर इटावा व आस-पास के क्षेत्रों में दिखे हैं. उनकी संख्या आधा दर्जन के करीब रही. उन्होंने कहा, कि इसका मुख्य कारण यह हो सकता है कि यह बीहड़ का क्षेत्र है और यहां जंगली समेत अन्य मृत जीव बड़ी संख्या में पाए जाते हैं, जो उक्त ग्रिफान का प्रिय भोजन हैं. उन्होंने कहा कि ग्रिफान का बेहद ऊंचाई और शीत वाले स्थान को छोड़ इटावा की ओर माइग्रेट होना भी शोध का विषय है. यह जानकारी वाइल्ड लाइफ के आला अफसरों को दी गई है और जल्द ही इस पर स्टडी भी शुरू होगी.
दो से ढाई घंटे में एक भैंसा खा सकते : डीएफओ अतुलकांत शुक्ला ने बताया, कि ये हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर आकार में अन्य गिद्धों की अपेक्षा बहुत बड़े होते हैं. वहीं, दो से ढाई घंटे में यह एक भैंसे को खा सकते हैं. यह सामान्य गिद्धों की तुलना में अधिक तेज गति से शिकार करते हैं. इन्होंने इटावा के आस-पास पिछले कुछ वर्षों में नेस्टिंग भी की थी. डीएफओ अतुलकांत शुक्ला ने बताया, कि हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर को दुर्लभ पक्षियों की श्रेणी में रखा गया है. आईयूसीएन की ओर से रेड जोन में इन्हें दर्शाया गया है.
कुछ माह पहले कानपुर में भी दिखे थे हिमालयन ग्रिफॉन वल्चर : कानपुर जू के निदेशक केके सिंह ने बताया, कि कानपुर में भी कुछ माह पहले हिमालयन ग्रिफाॅन वल्चर घायल अवस्था में मिले थे. जिनका कानपुर जू में बेहतर इलाज कराने के बाद उन्हें प्राकृतिक वास में छोड़ दिया गया. उन्होंने कहा कि, हमारे वैज्ञानिक इन पर शोध कर रहे हैं.
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