देहरादून: उत्तराखंड चारधाम के कपाट बंद होने की तिथि बेहद नजदीक आ गई है. जहां एक ओर 3 नवंबर को यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे. वहीं, 17 नवंबर को बदरी विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद होंगे. लेकिन चारधाम में आने वाले वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. वैज्ञानिक पहले ही इस बात पर जोर दे चुके हैं कि उच्च हिमालय क्षेत्र तक वाहनों की आवाजाही भविष्य के लिहाज से ठीक नहीं है. जिसको देखते हुए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड भी हिमालय क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे पॉल्यूशन को कम करने पर जोर दे रही है.
एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग और स्टडी: चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. हालांकि, साल 2024 में सरकार की ओर से लगाई गई तमाम पाबंदियों और आपदा की वजह से साल 2023 का आंकड़ा पार नहीं हो पाया है. लेकिन चारधाम की यात्रा पर आने वाले वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. जिसको देखते हुए उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने प्रदेश के मध्य और उच्च हिमालय में इमर्जिंग एयर पोल्यूटेंट (Emerging Air Pollutants) की स्टडी, हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी के साथ करने का निर्णय लिया था. साथ ही इस बात पर जोर दिया गया था की भविष्य में मध्य और उच्च हिमालय की एयर क्वालिटी ना घटे, इसके लिए मॉनिटरिंग और रिसर्च एंड डेवलपमेंट एक्टिविटी की जाए.
ग्लेशियरों पर पड़ रहा असर: दरअसल, वैश्विक महामारी कोरोनाकाल के बाद चारधाम में आने वाले वाहनों की संख्या में वृद्धि देखी गई है. क्योंकि कोरोना काल की वजह से शेयरिंग वाहनों का इस्तेमाल काफी कम हो गया था. लिहाजा चारधाम की यात्रा पर आने वाले लोग शेयरिंग वाहनों की जगह बुकिंग वाहनों पर विशेष फोकस करने लगे. धीरे-धीरे यह ट्रेंड बनता चला गया. साल 2023 में चारधाम यात्रा में 5,68,459 वाहन पहुंचे. वहीं, साल 2024 में 31 अक्टूबर तक 5,18,626 वाहन पहुंच चुके हैं. उच्च हिमालय में बड़ी संख्या में लगातार पहुंच रहे वाहन न सिर्फ उच्च हिमालय के एयर क्वालिटी को खराब कर रहे हैं, बल्कि इसका असर उच्च हिमालय क्षेत्र पर मौजूद ग्लेशियर पर भी पड़ रहे हैं.
साल दर साल बढ़ी श्रद्धालुओं की भीड़:
- साल 1968 में पहली बार बदरीनाथ में बस पहुंची थी.
- उस दौरान बदरीनाथ धाम में हर यात्रा सीजन के दौरान करीब 60 हजार लोग यात्रा करते थे.
- इसके साथ ही साल 1969 में गंगोत्री तक मोटर मार्ग बने और साल 1987 में भैरों घाटी का पुल बनने के बाद अचानक गंगोत्री में वाहनों और यात्रियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी होने लगी.
- साल 2023 के दौरान चारधाम की यात्रा पर आने वाले वाहनों के रिकॉर्ड तोड़ दिया था.
- उत्तराखंड चारधाम यात्रा 2023 में 5,68,459 वाहन धामों के समीप पहुंचे थे.
- तब बदरीनाथ धाम की यात्रा में 2,39,550 वाहन, केदारनाथ धाम की यात्रा में 99,182 वाहन, गंगोत्री धाम में 95,238 वाहन, यमुनोत्री धाम में 75,453 वाहन और हेमकुंड साहिब के लिए 59,036 वाहनों का आवागमन हुआ था.
वाहनों की आवाजाही में हुआ इजाफा: साल 2024 में 31 अक्टूबर तक चारधाम यात्रा के लिए 518626 वाहन पहुंचे हैं. ऐसे में इस सीजन चारधाम में आने वाले वाहनों की संख्या 5 लाख 25 हजार से अधिक होने की संभावना है. वर्तमान यात्रा सीजन की बात करें तो, राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार 31 अक्टूबर तक, बदरीनाथ धाम में अभी तक 1,46,113 वाहन, केदारनाथ धाम में 186901 वाहन, गंगोत्री धाम में 87634 वाहन, यमुनोत्री धाम में 72041 वाहन और हेमकुंड साहिब में 25937 वाहन पहुंचे हैं.
क्या कह रहे जानकार: वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत ने कहा कि पहले चारधाम में जो वाहन जा रहे थे, उसमें एक बड़ी गाड़ी में 30-40 लोग एक साथ जाते थे. लेकिन अब छोटी छोटी गाड़ियों में दो-तीन लोग चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं. यही वजह है कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट ने इसे रेगुलेट करने को कहा है कि अगर इतनी बड़ी संख्या में वाहन सतोपंथ ग्लेशियर तक जाएंगे तो ये आपदा होगी. ऐसे में पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिगत इसको रोका जाना चाहिए. लेकिन इस बात को ना ही वाहन का इस्तेमाल करने वाले लोग ना ही प्रशासन और ना ही सरकार समझ पा रही है. क्योंकि, बड़ी संख्या में उच्च हिमालय में पहुंच रहे वाहनों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड का असर ग्लेशियर पर पड़ रहा है.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव ने क्या कहा: वहीं, पूरे मामले में उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि नेशनल क्लीन प्रोग्राम के तहत प्रदेश के तीन स्थानों देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर में एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग की जा रही है. इसके साथ ही चारधाम से संबंधित जिलों में भी मासिक रूप से एयर क्वालिटी की मॉनिटरिंग की जा रही है. उन्होंने बताया कि साल 2019 में देहरादून, ऋषिकेश और हरिद्वार में एयर क्वालिटी बेस लेवल पर था. लेकिन पिछले 5 सालों के भीतर एयर पॉल्यूशन में काफी अधिक कमी आई. चारधाम में ऐसी स्थिति बनी रहे इसके लिए लगातार मॉनिटरिंग करने के साथ ही लोगों को जागरूक किया जा रहा है.
एयर पॉल्यूशन बढ़ना चिंता का सबब: डॉ. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि एयर पॉल्यूशन को कम किए जाने को लेकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है. ऐसे में आने वाले समय में जब टेक्नोलॉजिकल बदलाव होगा, उससे पॉजिटिव वातावरण बनने की संभावना होगी. हालांकि, कई बार लोकल सिस्टम की वजह से भी एयर पॉल्यूशन बढ़ जाता है. ऐसे ही बीच में एयर पॉल्यूशन बढ़ गया था, जिसमें एक बड़ा फैक्टर फॉरेस्ट फायर था. क्योंकि चारधाम यात्रा के दौरान ही फॉरेस्ट फायर भी होता है. जिसके चलते फॉरेस्ट फायर के दौरान चारधाम के एयर क्वालिटी में थोड़ी कमी आई थी. लेकिन वर्तमान समय में काफी सुधार है.
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