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सरकार बचाने के लिए संकटमोचक के रूप में शिमला आ रहे डीके शिवकुमार व भूपेंद्र हुड्डा, सीएम बदलने की जिद पर अड़े नाराज विधायक

Himachal Political Crisis: हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनाव में 40 सीटें होने के बावजूद कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. वहीं, अब डीके शिवकुमार और भूपेंद्र हुड्डा इन नाराज विधायकों को मनाने के लिए हिमाचल पहुंच रहे हैं. जबकि नाराज विधायक सीएम बदलने की मांग पर अड़े हुए हैं.

Himachal Political Crisis
हिमाचल सियासी संकट
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Feb 28, 2024, 7:26 AM IST

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में बड़ा सियासी खेला हो गया है. कुल 25 सदस्यों वाली भाजपा ने 40 सदस्यों वाले दल कांग्रेस से राज्यसभा सीट छीन ली है. इसी के साथ संगठन के मुखिया से सत्ता के मुखिया का सफर तय करने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू का राजयोग अत्यंत क्षीण हो गया है. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी खतरे में आ गई है. कांग्रेस हाईकमान भी सरकार बचाने के लिए सक्रिय हो गई है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार व हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा शिमला आ रहे हैं. वे नाराज विधायकों के साथ मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे.

सीएम बदलने की मांग

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के नाराज विधायकों ने हाईकमान को दो टूक कह दिया है कि सरकार का मुखिया बदलने पर वो कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में हाईकमान भी सरकार बचाने के लिए मुखिया को हटाने का सौदा अच्छा मान रहा है. यदि सरकार बचती है तो सीएम के पद की बलि चढ़ाने से हाईकमान गुरेज नहीं करेगी.

हिमाचल में कांग्रेस के नाराज विधायक कई बार ये शिकायत आलाकमान तक पहुंच चुके थे कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. कुछ कांग्रेस विधायक खुल कर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे थे तो कुछ दबे हुए शब्दों में अपना दुख प्रकट कर रहे थे. उधर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी ये नहीं भांप पाए कि अपने ही परिवार के सदस्य किस हद तक नाराज थे. बड़ी देर के बाद राजेश धर्माणी व यादविंदर गोमा को मंत्री बनाया, लेकिन उन्हें विभाग देने में देर की गई. कांग्रेस में कई करीबियों को सीएम ने कैबिनेट रैंक दे दिया. उन्हें आलीशान घर भी आवंटित हो गए, लेकिन मंत्रिमंडल को पूरा करने में सीएम सुखविंदर सिंह अनावश्यक देरी करते रहे.

इधर, सुधीर शर्मा व राजेंद्र राणा की नाराजगी चरम पर पहुंच गई, लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह अपनी ही रौ में बहते रहे. ऐसे में नाराज विधायकों के सब्र का बांध 27 फरवरी को टूट गया और भाजपा के खेमे में हर्ष छा गया. अब पानी सिर पर से गुजर गया तो कांग्रेस हाईकमान एक राज्य में सरकार बचाने के लिए सक्रिय हुआ है. डीके शिवकुमार और भूपेंद्र हुड्डा नाराज विधायकों की मिन्नतें करने के लिए शिमला आ रहे हैं. मिलकर एक सम्मानजनक रास्ता निकाला जाएगा, ताकि सरकार बच जाए.

नाराज विधायक अड़े हुए हैं कि नेतृत्व बदला जाए. वहीं, भाजपा का प्रयास है कि किसी तरह सरकार गिर जाए. फ्लोर टेस्ट में अब कांग्रेस के नाराज विधायक एक ही शर्त पर अंदर सदन के भीतर सरकार को समर्थन करेंगे, जब नेतृत्व परिवर्तन की उनकी मांग पर हाईकमान के भेजे गए दूत हां कहेंगे. ऐसे में देखना है कि बुधवार को कांग्रेस सरकार शुद्ध रूप में बची रहेगी और मुखिया बदलेगा या फिर भाजपा कोई और खेला करने में कामयाब होगी.

ये भी पढ़ें: भाजपा के चक्रव्यूह को समझ नहीं पाई सुखविंदर सरकार, डिनर डिप्लोमेसी से भी दूर नहीं हुई अपनों की नाराजगी

ये भी पढ़ें: मझधार में फंसी 'सुख की सरकार', राज्यसभा सीट हारने के बाद अब सदन के घटनाक्रम पर टिकी नजरें

शिमला: छोटे पहाड़ी राज्य हिमाचल में बड़ा सियासी खेला हो गया है. कुल 25 सदस्यों वाली भाजपा ने 40 सदस्यों वाले दल कांग्रेस से राज्यसभा सीट छीन ली है. इसी के साथ संगठन के मुखिया से सत्ता के मुखिया का सफर तय करने वाले सुखविंदर सिंह सुक्खू का राजयोग अत्यंत क्षीण हो गया है. अब सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की कुर्सी खतरे में आ गई है. कांग्रेस हाईकमान भी सरकार बचाने के लिए सक्रिय हो गई है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार व हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा शिमला आ रहे हैं. वे नाराज विधायकों के साथ मुलाकात कर उन्हें मनाने की कोशिश करेंगे.

सीएम बदलने की मांग

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के नाराज विधायकों ने हाईकमान को दो टूक कह दिया है कि सरकार का मुखिया बदलने पर वो कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में हाईकमान भी सरकार बचाने के लिए मुखिया को हटाने का सौदा अच्छा मान रहा है. यदि सरकार बचती है तो सीएम के पद की बलि चढ़ाने से हाईकमान गुरेज नहीं करेगी.

हिमाचल में कांग्रेस के नाराज विधायक कई बार ये शिकायत आलाकमान तक पहुंच चुके थे कि उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. कुछ कांग्रेस विधायक खुल कर अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे थे तो कुछ दबे हुए शब्दों में अपना दुख प्रकट कर रहे थे. उधर, सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू भी ये नहीं भांप पाए कि अपने ही परिवार के सदस्य किस हद तक नाराज थे. बड़ी देर के बाद राजेश धर्माणी व यादविंदर गोमा को मंत्री बनाया, लेकिन उन्हें विभाग देने में देर की गई. कांग्रेस में कई करीबियों को सीएम ने कैबिनेट रैंक दे दिया. उन्हें आलीशान घर भी आवंटित हो गए, लेकिन मंत्रिमंडल को पूरा करने में सीएम सुखविंदर सिंह अनावश्यक देरी करते रहे.

इधर, सुधीर शर्मा व राजेंद्र राणा की नाराजगी चरम पर पहुंच गई, लेकिन सीएम सुखविंदर सिंह अपनी ही रौ में बहते रहे. ऐसे में नाराज विधायकों के सब्र का बांध 27 फरवरी को टूट गया और भाजपा के खेमे में हर्ष छा गया. अब पानी सिर पर से गुजर गया तो कांग्रेस हाईकमान एक राज्य में सरकार बचाने के लिए सक्रिय हुआ है. डीके शिवकुमार और भूपेंद्र हुड्डा नाराज विधायकों की मिन्नतें करने के लिए शिमला आ रहे हैं. मिलकर एक सम्मानजनक रास्ता निकाला जाएगा, ताकि सरकार बच जाए.

नाराज विधायक अड़े हुए हैं कि नेतृत्व बदला जाए. वहीं, भाजपा का प्रयास है कि किसी तरह सरकार गिर जाए. फ्लोर टेस्ट में अब कांग्रेस के नाराज विधायक एक ही शर्त पर अंदर सदन के भीतर सरकार को समर्थन करेंगे, जब नेतृत्व परिवर्तन की उनकी मांग पर हाईकमान के भेजे गए दूत हां कहेंगे. ऐसे में देखना है कि बुधवार को कांग्रेस सरकार शुद्ध रूप में बची रहेगी और मुखिया बदलेगा या फिर भाजपा कोई और खेला करने में कामयाब होगी.

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