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बस्तर में बैलेट के दम से टूटा नक्सलियों का गुरूर, बढ़ते वोटर्स टर्नआउट से लाल आतंक को तमाचा - lok sabha election 2024

बस्तर में लोकसभा चुनाव में एक बार फिर रिकॉर्ड वोटिंग हुई है. शुक्रवार को हुए मतदान में साल 2019 के लोकसभा चुनाव के ग्राफ को मतदाताओं ने पीछे छोड़ दिया है. इस बार नक्सलगढ़ बस्तर में 68.30 फीसदी मतदान हुआ है.

LOK SABHA ELECTION 2024
बस्तर में लोकसभा चुनाव
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 20, 2024, 8:52 PM IST

Updated : Apr 20, 2024, 9:16 PM IST

बस्तर/रायपुर: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के तहत वोटिंग के पहले चरण में बैलेट की जीत हुई है. लोकतंत्र को जिंदाबाद रखते हुए यहां के मतदाताओं ने शुक्रवार को जबरदस्त वोटिंग की. बस्तर में नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था फिर भी नक्सलगढ़ की जनता ने विकास को तरजीह देते हुए कुल 68.30 फीसदी मतदान कर अपना फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है.

बस्तर में बढ़ा वोटिंग का ग्राफ: बस्तर में वोटिंग का ग्राफ साल 2019 में 66.19 प्रतिशत था. इस बार यहां 68.30 फीसदी मतदान हुआ है. इस तरह बैलेट बनाम बुलेट की जंग में बैलेट ने बुलेट को पटखनी दी है. बस्तर की जनता ने लाल आतंक की हवा को निकाल दिया है. बस्तर में कुल 4,72,207 मतदाता, जिनमें 7,71,679 महिलाएं, 7,00,476 पुरुष थे. इसके अलावा 52 ट्रांसजेंडर मतदाता भी वोटर्स की भूमिका में थे.

बस्तर में 1970 से 1999 तक गिरा वोटिंग का ग्राफ: बस्तर लोकसभा सीट पर साल 1952 से चुनाव हो रहे हैं. साल 1952 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में मतदान का प्रतिशत 55.65 फीसदी रहा. उसके बाद साल 1977 में बस्तर में वोटिंग के ग्राफ में गिरावट दर्ज की गई और यह 42.9 फीसदी तक पहुंच गया. फिर साल 1989 में वोटिंग प्रतिशत 34.8 प्रतिशत रहा. साल 1991 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत घटकर 27.21फीसदी हो गया. उसके बाद साल 1999 के लोकसभा चुनाव में यहां वोटिंग प्रतिश का ग्राफ गिरकर 39.35 प्रतिशत तक हो गया.

HIGH VOTING LOW VIOLENCE
बस्तर में वोटिंग प्रतिशत

बस्तर में साल 2004 से बढ़ा वोटिंग प्रतिशत: बस्तर में साल 2004 के लोकसभा चुनाव से वोटिंग का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 43.33 फीसदी मतदान हुआ. उसके बाद साल 2009 में यह वोटिंग प्रतिशत बढ़कर 47.34 फीसदी तक हो गया. इसके बाद बस्तर में वोटिंग के ग्राफ में कभी गिरावट नहीं देखी गई. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में 59.32 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया. साल 2019 में बस्तर लोकसभा सीट पर वोटिंग का यह आंकड़ा बढ़कर 66.19 प्रतिशत हो गया.

बस्तर में वोटिंग ग्राफ बढ़ने के मायने: नक्सलगढ़ बस्तर में लगातार बढ़ते वोटिंग के कई मायने निकाले जा रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उचित शर्मा ने इसे लोकतंत्र की ताकत बताया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की मेहनत और बस्तर में सुरक्षा कर्मियों के प्रभाव की वजह से भी यहां मतदान प्रतिशत में इजाफा होता जा रहा है.

"वोटिंग का ग्राफ बढ़ने का यह मतलब नहीं कि उसका फायदा विपक्ष को मिले. साल 2019 को छोड़कर देखा जाए तो बस्तर में बढ़ते मतदान प्रतिशत का फायदा बीजेपी को हुआ है. यहां लगातार मतदान का प्रतिशत बढ़ता गया और यहां से बीजेपी लगातार जीतती आई है.2019 लोकसभा चुनाव छोड़ दिया जाए तो लगातार बस्तर में मतदान का प्रतिशत बढ़ने पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. साल 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वोट परसेंटेज बढ़ा. लेकिन भाजपा को ही जीत मिली": उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

बस्तर में कुल 11 उम्मीदवारों के बीच हुई जंग: बस्तर के लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 11 उम्मीदवारों के बीच यहां मुकाबला हुआ है. जिसमें कांग्रेस की तरफ से कवासी लखमा और बीजेपी के महेश कश्यप के बीच मेन फाइट देखी गई. निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश कुमार गोटा ने भी बस्तर की रेस में अपना वजूद दिखाया.

बस्तर लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों के बारे में जानकारी

  1. बीजेपी से महेशराम कश्यप ने लड़ा चुनाव
  2. कांग्रेस की तरफ से कवासी लखमा ने दिखाई ताकत
  3. हमर राज पार्टी की तरफ से नरेंद्र बुक्का रहे उम्मीदवार
  4. राष्ट्रीय जनसभा पार्टी की तरफ से कवल सिंह बघेल ने दिखाया दम
  5. बहुजन समाज पार्टी से आयतुराम मंडावी चुनाव लड़े
  6. सर्व आदि दल शिवराम नाग थे उम्मीदवार
  7. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से टीकम नागवंशी ने हुंकार भरी
  8. आजाद जनता पार्टी से जगदीश प्रसाद नाग ने चुनाव लड़ा
  9. निर्दलीय के तौर पर प्रकाश कुमार गोटा ने दम दिखाया
  10. निर्दलीय सुंदर बघेल भी मैदान में डटे रहे

बस्तर लोकसभा सीट पर कितनी हुई हिंसा: बस्तर लोकसभा चुनाव में हिंसा की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई. बीजापुर में गलगम और भैरमगढ़ इलाके में दो घटनाएं हुई. गलगम गांव में सीआरपीएफ जवान देवेंद्र कुमार अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर के ब्लास्ट में घायल हो गए. यह ब्लास्ट दुर्घटनावश हो गया. उसके बाद उन्हें इलाज के लिए जगदलपुर ले जाया गया. जब उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी. तब वह इस घटना में शहीद हो गए. उसके बाद एक घटना भैरमगढ़ में हुई. जब नक्सलियों के लगाए प्रेशर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) में विस्फोट होने से सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट घायल हो गए.

बस्तर में सिर्फ ये दो मामूली घटनाओं को छोड़े दे तो पूरे इलाके में मतदान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रहा. बस्तर में निर्वाचन अधिकारियों और मतदानकर्मियों के साथ साथ सुरक्षाकर्मियों की मुस्तैदी से यह संभव हो सका.

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बस्तर/रायपुर: छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव के तहत वोटिंग के पहले चरण में बैलेट की जीत हुई है. लोकतंत्र को जिंदाबाद रखते हुए यहां के मतदाताओं ने शुक्रवार को जबरदस्त वोटिंग की. बस्तर में नक्सलियों ने चुनाव का बहिष्कार किया था फिर भी नक्सलगढ़ की जनता ने विकास को तरजीह देते हुए कुल 68.30 फीसदी मतदान कर अपना फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है.

बस्तर में बढ़ा वोटिंग का ग्राफ: बस्तर में वोटिंग का ग्राफ साल 2019 में 66.19 प्रतिशत था. इस बार यहां 68.30 फीसदी मतदान हुआ है. इस तरह बैलेट बनाम बुलेट की जंग में बैलेट ने बुलेट को पटखनी दी है. बस्तर की जनता ने लाल आतंक की हवा को निकाल दिया है. बस्तर में कुल 4,72,207 मतदाता, जिनमें 7,71,679 महिलाएं, 7,00,476 पुरुष थे. इसके अलावा 52 ट्रांसजेंडर मतदाता भी वोटर्स की भूमिका में थे.

बस्तर में 1970 से 1999 तक गिरा वोटिंग का ग्राफ: बस्तर लोकसभा सीट पर साल 1952 से चुनाव हो रहे हैं. साल 1952 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में मतदान का प्रतिशत 55.65 फीसदी रहा. उसके बाद साल 1977 में बस्तर में वोटिंग के ग्राफ में गिरावट दर्ज की गई और यह 42.9 फीसदी तक पहुंच गया. फिर साल 1989 में वोटिंग प्रतिशत 34.8 प्रतिशत रहा. साल 1991 के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत घटकर 27.21फीसदी हो गया. उसके बाद साल 1999 के लोकसभा चुनाव में यहां वोटिंग प्रतिश का ग्राफ गिरकर 39.35 प्रतिशत तक हो गया.

HIGH VOTING LOW VIOLENCE
बस्तर में वोटिंग प्रतिशत

बस्तर में साल 2004 से बढ़ा वोटिंग प्रतिशत: बस्तर में साल 2004 के लोकसभा चुनाव से वोटिंग का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है. साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 43.33 फीसदी मतदान हुआ. उसके बाद साल 2009 में यह वोटिंग प्रतिशत बढ़कर 47.34 फीसदी तक हो गया. इसके बाद बस्तर में वोटिंग के ग्राफ में कभी गिरावट नहीं देखी गई. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बस्तर में 59.32 प्रतिशत मतदान रिकॉर्ड किया गया. साल 2019 में बस्तर लोकसभा सीट पर वोटिंग का यह आंकड़ा बढ़कर 66.19 प्रतिशत हो गया.

बस्तर में वोटिंग ग्राफ बढ़ने के मायने: नक्सलगढ़ बस्तर में लगातार बढ़ते वोटिंग के कई मायने निकाले जा रहे हैं. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक उचित शर्मा ने इसे लोकतंत्र की ताकत बताया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की मेहनत और बस्तर में सुरक्षा कर्मियों के प्रभाव की वजह से भी यहां मतदान प्रतिशत में इजाफा होता जा रहा है.

"वोटिंग का ग्राफ बढ़ने का यह मतलब नहीं कि उसका फायदा विपक्ष को मिले. साल 2019 को छोड़कर देखा जाए तो बस्तर में बढ़ते मतदान प्रतिशत का फायदा बीजेपी को हुआ है. यहां लगातार मतदान का प्रतिशत बढ़ता गया और यहां से बीजेपी लगातार जीतती आई है.2019 लोकसभा चुनाव छोड़ दिया जाए तो लगातार बस्तर में मतदान का प्रतिशत बढ़ने पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है. साल 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में वोट परसेंटेज बढ़ा. लेकिन भाजपा को ही जीत मिली": उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

बस्तर में कुल 11 उम्मीदवारों के बीच हुई जंग: बस्तर के लोकसभा चुनाव 2024 में कुल 11 उम्मीदवारों के बीच यहां मुकाबला हुआ है. जिसमें कांग्रेस की तरफ से कवासी लखमा और बीजेपी के महेश कश्यप के बीच मेन फाइट देखी गई. निर्दलीय उम्मीदवार प्रकाश कुमार गोटा ने भी बस्तर की रेस में अपना वजूद दिखाया.

बस्तर लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों के बारे में जानकारी

  1. बीजेपी से महेशराम कश्यप ने लड़ा चुनाव
  2. कांग्रेस की तरफ से कवासी लखमा ने दिखाई ताकत
  3. हमर राज पार्टी की तरफ से नरेंद्र बुक्का रहे उम्मीदवार
  4. राष्ट्रीय जनसभा पार्टी की तरफ से कवल सिंह बघेल ने दिखाया दम
  5. बहुजन समाज पार्टी से आयतुराम मंडावी चुनाव लड़े
  6. सर्व आदि दल शिवराम नाग थे उम्मीदवार
  7. गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से टीकम नागवंशी ने हुंकार भरी
  8. आजाद जनता पार्टी से जगदीश प्रसाद नाग ने चुनाव लड़ा
  9. निर्दलीय के तौर पर प्रकाश कुमार गोटा ने दम दिखाया
  10. निर्दलीय सुंदर बघेल भी मैदान में डटे रहे

बस्तर लोकसभा सीट पर कितनी हुई हिंसा: बस्तर लोकसभा चुनाव में हिंसा की कोई बड़ी वारदात नहीं हुई. बीजापुर में गलगम और भैरमगढ़ इलाके में दो घटनाएं हुई. गलगम गांव में सीआरपीएफ जवान देवेंद्र कुमार अंडर बैरल ग्रेनेड लॉन्चर के ब्लास्ट में घायल हो गए. यह ब्लास्ट दुर्घटनावश हो गया. उसके बाद उन्हें इलाज के लिए जगदलपुर ले जाया गया. जब उन्हें एयर एंबुलेंस से दिल्ली ले जाने की तैयारी की जा रही थी. तब वह इस घटना में शहीद हो गए. उसके बाद एक घटना भैरमगढ़ में हुई. जब नक्सलियों के लगाए प्रेशर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) में विस्फोट होने से सीआरपीएफ के असिस्टेंट कमांडेंट घायल हो गए.

बस्तर में सिर्फ ये दो मामूली घटनाओं को छोड़े दे तो पूरे इलाके में मतदान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण रहा. बस्तर में निर्वाचन अधिकारियों और मतदानकर्मियों के साथ साथ सुरक्षाकर्मियों की मुस्तैदी से यह संभव हो सका.

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Last Updated : Apr 20, 2024, 9:16 PM IST
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