बेंगलुरू: कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार द्वारा सबसे 'खतरनाक और क्रूर' नस्ल के कुत्तों के प्रजनन पर प्रतिबंध लगाने वाले एक परिपत्र के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी. बेंगलुरु शहर में रहने वाले किंग सोलमैन डेविड और मार्डोना जॉन की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस एम. नागाप्रसन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की.
केंद्र सरकार की दलीलें सुनकर पीठ ने कहा कि खतरनाक नस्ल के कुत्तों पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश पर सभी हितधारकों के साथ चर्चा की जानी चाहिए. तदनुसार, केनेल क्लब ऑफ इंडिया भी उनमें से एक है. उसने अपने प्रतिनिधियों से चर्चा नहीं की है. इस प्रकार, केंद्र के अधिवक्ताओं को केंद्र सरकार द्वारा परिपत्र जारी करने के संबंध में निर्णय लेने के लिए विचार किए गए सभी कारकों वाले दस्तावेज प्रस्तुत करने चाहिए. अदालत ने आदेश दिया कि तब तक परिपत्र को कर्नाटक राज्य तक ही सीमित रखा जाए. अगली सुनवाई 5 अप्रैल, 2024 तक के लिए स्थगित कर दी गई है.
याचिकाकर्ता का तर्क
मुकदमे में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुत्तों की उन नस्लों की पहचान करने के लिए गहन अध्ययन की आवश्यकता है, जो मानव जीवन के लिए खतरनाक हैं और आक्रामक व्यवहार करते हैं. हालांकि, उन्होंने पीठ को समझाया कि परिपत्र में उल्लिखित कई नस्लों को क्रूर श्रेणी में शामिल किया जाएगा.
केंद्र सरकार की दलील
केंद्र सरकार की ओर से दलील रखने वाले एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान इस संबंध में निर्देश जारी किया. साथ ही केंद्र सरकार को संबंधित पक्षों से बातचीत करनी चाहिए. निर्देश दिया गया कि याचिकाकर्ता की याचिका पर विचार करते हुए आदेश की प्रति उपलब्ध होने के तीन महीने के भीतर इस संबंध में कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसी पृष्ठभूमि में केंद्र ने यह कार्रवाई की है.
खूंखार और खतरनाक कुत्तों की नस्लों (अमेरिकन स्टैफोर्डशायर, टेरियर, डोगो अर्जेंटीनो, बुल डॉग, कांगल, मध्य एशियाई शेफर्ड डॉग और मिश्रित नस्ल के कुत्ते) के मालिकों को 12 मार्च 2024 को केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग ने नसबंदी के लिए आवश्यक कीटाणुनाशक का उपयोग करना चाहिए, ताकि नस्ल के प्रजनन पर रोक लगाई जा सके. जारी सर्कुलर में यह कहा गया है. इसे याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी.