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जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने अनंतनाग में आश्रम को कश्मीरी पंडितों की जमीन लौटाने के आदेश दिए - JK High Court

High Court Orders Return of Kashmiri Pandit Land: हाईकोर्ट के आदेश पर जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में कश्मीरी पंडितों को उनकी जमीन वापस मिल सकी. इस मामले में आश्रम और संबंधित समिति की ओर से जमीन पर कब्जा कर लिया गया था.

JAMMU KASHMIR LADAKH HIGH COURT
जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 13, 2024, 12:42 PM IST

श्रीनगर: जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने अनंतनाग के जिला मजिस्ट्रेट को अच्छाबल तहसील के त्राहपू गांव में 11 कनाल से अधिक जमीन कश्मीरी पंडित काटजू भाइयों को वापस करने का निर्देश दिया. इस फैसले से श्री रामकृष्ण महासम्मेलन आश्रम (SRMA) नागादंडी से जुड़ा विवाद का समाधान हो गया. इस मामले में आश्रम और संबंधित समिति के प्रतिनिधियों ने जमीन पर दावा किया था कि यह भूमि 'धार्मिक रूप से दान की गई' है.

न्यायमूर्ति एम.ए. चौधरी द्वारा दिए गए निर्णय ने आश्रम के दावे के आधार पर शुरू की गई पूर्व कार्यवाही को निरस्त कर दिया. अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति (संरक्षण, संरक्षण और संकटकालीन बिक्री पर रोक) अधिनियम, 1997 के अनुसार ऋतुराज एस.काटजू और कंदर्प एस. काटजू को भूमि वापस दिलाने का निर्देश दिया.

काटजू बंधुओं की याचिका के अनुसार 11 कनाल और 3 मरला जमीन पर उनके परिवार का वैध स्वामित्व है. उन्होंने दावा किया कि उनके दादा कंवरलाल काटजू ने मूल रूप से यह जमीन खरीदी थी, जिसे बाद में उनके पिता सिद्धार्थ काटजू को हस्तांतरित कर दिया गया था. भाइयों ने बताया कि उनके दादा ने इस जमीन पर एक झोपड़ी बनाई थी. फिर 1990 में उत्पन्न अशांति और उनकी सुरक्षा को खतरे के कारण उनके परिवार को कश्मीर से भागने के लिए मजबूर होने के बाद से यह जमीन खाली पड़ी थी.

भूमि को आधिकारिक रूप से अपने नाम पर स्थानांतरित करने का प्रयास करने पर भाइयों को स्थानीय राजस्व अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया कि आश्रम और संबंधित समिति के प्रतिनिधियों ने संपत्ति पर दावा किया है. प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम के तहत सुरक्षा के लिए अनंतनाग के उपायुक्त (डीसी) को कई बार आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.

श्री रामकृष्ण महासम्मेलन आश्रम विवेकानंद केंद्र नागदंडी अचबल ने तर्क दिया कि यह भूमि कंवर लाल काटजू द्वारा धार्मिक रूप से दान की गई थी. हालांकि, आश्रम ने स्वीकार किया कि राज्य के कानूनों की गलत व्याख्या के कारण भूमि रिकॉर्ड में अपडेट नहीं किया जा सका. अदालत के आदेशों के जवाब में अनंतनाग के डिप्टी कमिश्नर ने 4 मार्च, 2023 को कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम की धारा 4 और 5 को लागू करते हुए अनंतनाग के तहसीलदार को अनधिकृत कब्जाधारियों को बेदखल करने और संपत्ति की सुरक्षा करने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट ने अपना निर्णय एक फरवरी की तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर दिया. इसमें संकेत दिया गया था कि यह भूमि काटजू बंधुओं के कब्जे में नहीं थी, बल्कि एसआरएमए नागादंडी के किरायेदारों के कब्जे में थी. रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि आश्रम के रखवाले ने कानूनी कब्जे की पुष्टि करने वाले कोई भी पंजीकृत दस्तावेज पेश नहीं किए. अदालत ने अनंतनाग के जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया कि वह जमीन पर कब्जा कर उसे काटजू बंधुओं को लौटा दें.

ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने कहा, अतीत का संबंध घरेलू हिंसा के मामले को वैध बनाता है

श्रीनगर: जम्मू- कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने अनंतनाग के जिला मजिस्ट्रेट को अच्छाबल तहसील के त्राहपू गांव में 11 कनाल से अधिक जमीन कश्मीरी पंडित काटजू भाइयों को वापस करने का निर्देश दिया. इस फैसले से श्री रामकृष्ण महासम्मेलन आश्रम (SRMA) नागादंडी से जुड़ा विवाद का समाधान हो गया. इस मामले में आश्रम और संबंधित समिति के प्रतिनिधियों ने जमीन पर दावा किया था कि यह भूमि 'धार्मिक रूप से दान की गई' है.

न्यायमूर्ति एम.ए. चौधरी द्वारा दिए गए निर्णय ने आश्रम के दावे के आधार पर शुरू की गई पूर्व कार्यवाही को निरस्त कर दिया. अदालत ने जिला मजिस्ट्रेट को जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति (संरक्षण, संरक्षण और संकटकालीन बिक्री पर रोक) अधिनियम, 1997 के अनुसार ऋतुराज एस.काटजू और कंदर्प एस. काटजू को भूमि वापस दिलाने का निर्देश दिया.

काटजू बंधुओं की याचिका के अनुसार 11 कनाल और 3 मरला जमीन पर उनके परिवार का वैध स्वामित्व है. उन्होंने दावा किया कि उनके दादा कंवरलाल काटजू ने मूल रूप से यह जमीन खरीदी थी, जिसे बाद में उनके पिता सिद्धार्थ काटजू को हस्तांतरित कर दिया गया था. भाइयों ने बताया कि उनके दादा ने इस जमीन पर एक झोपड़ी बनाई थी. फिर 1990 में उत्पन्न अशांति और उनकी सुरक्षा को खतरे के कारण उनके परिवार को कश्मीर से भागने के लिए मजबूर होने के बाद से यह जमीन खाली पड़ी थी.

भूमि को आधिकारिक रूप से अपने नाम पर स्थानांतरित करने का प्रयास करने पर भाइयों को स्थानीय राजस्व अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया कि आश्रम और संबंधित समिति के प्रतिनिधियों ने संपत्ति पर दावा किया है. प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम के तहत सुरक्षा के लिए अनंतनाग के उपायुक्त (डीसी) को कई बार आवेदन देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई.

श्री रामकृष्ण महासम्मेलन आश्रम विवेकानंद केंद्र नागदंडी अचबल ने तर्क दिया कि यह भूमि कंवर लाल काटजू द्वारा धार्मिक रूप से दान की गई थी. हालांकि, आश्रम ने स्वीकार किया कि राज्य के कानूनों की गलत व्याख्या के कारण भूमि रिकॉर्ड में अपडेट नहीं किया जा सका. अदालत के आदेशों के जवाब में अनंतनाग के डिप्टी कमिश्नर ने 4 मार्च, 2023 को कार्रवाई करते हुए जम्मू-कश्मीर प्रवासी अचल संपत्ति अधिनियम की धारा 4 और 5 को लागू करते हुए अनंतनाग के तहसीलदार को अनधिकृत कब्जाधारियों को बेदखल करने और संपत्ति की सुरक्षा करने का निर्देश दिया.

हाईकोर्ट ने अपना निर्णय एक फरवरी की तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर दिया. इसमें संकेत दिया गया था कि यह भूमि काटजू बंधुओं के कब्जे में नहीं थी, बल्कि एसआरएमए नागादंडी के किरायेदारों के कब्जे में थी. रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया गया कि आश्रम के रखवाले ने कानूनी कब्जे की पुष्टि करने वाले कोई भी पंजीकृत दस्तावेज पेश नहीं किए. अदालत ने अनंतनाग के जिला मजिस्ट्रेट को आदेश दिया कि वह जमीन पर कब्जा कर उसे काटजू बंधुओं को लौटा दें.

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