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भारत में धर्म परिवर्तन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी, हर कोई स्वतंत्र बशर्ते प्रक्रिया वैधानिक हो - high court news

भारत में धर्म परिवर्तन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी आई है. हाईकोर्ट ने कहा कि देश में धर्म परिवर्तन के लिए हर कोई स्वतंत्र है बशर्ते प्रक्रिया वैधानिक होनी चाहिए.

On religious conversion in India, the High Court said that everyone is free provided the process is legal
On religious conversion in India, the High Court said that everyone is free provided the process is legal
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 11, 2024, 7:46 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि भारत में किसी को भी अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन की स्वतंत्रता है, बशर्ते धर्म बदलने की प्रक्रिया वैधानिक हो.

कोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक या लिखित घोषणा से धर्म परिवर्तन नहीं हो जाता, इसके विश्वसनीय साक्ष्य होने चाहिए. परिवर्तन वैध हो ताकि उसे सरकारी पहचान पत्रों में दर्ज किया जा सके. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने सोनू उर्फ वारिस अली व दो अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन का हलफनामा तैयार कर बहु प्रसारण वाले अखबार में विज्ञापन निकाला जाए ताकि लोग आपत्ति कर सकें. अखबार में नाम, आयु व पते का स्पष्ट उल्लेख हो, जिसकी जांच से संतुष्ट होने के बाद गजट में प्रकाशित किया जाए. धोखे से या अवैध धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए.

मामले के तथ्यों के अनुसार याची ने शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी से शादी की, जिससे एक बच्ची पैदा हुई है. दोनों साथ रह रहे हैं. याची का कहना है कि उसने अपनी मर्जी से प्रेम वश धर्म परिवर्तन किया है. अपर शासकीय अधिवक्ता ने इन बातों के सत्यापन के लिए कोर्ट से समय मांगा कि धर्म परिवर्तन शादी के लिए किया गया है या वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर अपनी मर्जी से किया गया है. इस पर कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए छह मई की तारीख लगाई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि भारत में किसी को भी अपनी मर्जी से धर्म परिवर्तन की स्वतंत्रता है, बशर्ते धर्म बदलने की प्रक्रिया वैधानिक हो.

कोर्ट ने कहा कि केवल मौखिक या लिखित घोषणा से धर्म परिवर्तन नहीं हो जाता, इसके विश्वसनीय साक्ष्य होने चाहिए. परिवर्तन वैध हो ताकि उसे सरकारी पहचान पत्रों में दर्ज किया जा सके. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने सोनू उर्फ वारिस अली व दो अन्य की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है.

कोर्ट ने कहा कि धर्म परिवर्तन का हलफनामा तैयार कर बहु प्रसारण वाले अखबार में विज्ञापन निकाला जाए ताकि लोग आपत्ति कर सकें. अखबार में नाम, आयु व पते का स्पष्ट उल्लेख हो, जिसकी जांच से संतुष्ट होने के बाद गजट में प्रकाशित किया जाए. धोखे से या अवैध धर्म परिवर्तन नहीं होना चाहिए.

मामले के तथ्यों के अनुसार याची ने शिकायतकर्ता की नाबालिग बेटी से शादी की, जिससे एक बच्ची पैदा हुई है. दोनों साथ रह रहे हैं. याची का कहना है कि उसने अपनी मर्जी से प्रेम वश धर्म परिवर्तन किया है. अपर शासकीय अधिवक्ता ने इन बातों के सत्यापन के लिए कोर्ट से समय मांगा कि धर्म परिवर्तन शादी के लिए किया गया है या वैधानिक प्रक्रिया अपनाकर अपनी मर्जी से किया गया है. इस पर कोर्ट ने मामले में अगली सुनवाई के लिए छह मई की तारीख लगाई है.

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