ETV Bharat / bharat

तलाक में सब अधिकार छोड़ चुकी पत्नी को गुजारा भत्ता मांगने का हक नहीं - high court order

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ताजा आदेश में कहा है कि तलाक के बाद पत्नी गुजारा भत्ता मांगने की हकदार नहीं है.

High Court decision Wife is not entitled to ask for maintenance after divorce
High Court decision Wife is not entitled to ask for maintenance after divorce
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 6, 2024, 8:27 AM IST

Updated : Apr 6, 2024, 9:23 AM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि आपसी सहमति से तलाक के समय पत्नी ने गुजारा भत्ता सहित सभी अधिकार छोड़ दिए तो बाद में उसे पूर्व पति से गुजारा भत्ते की मांग करने का अधिकार नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने गौरव मेहता व अनामिका चोपड़ा की पुनरीक्षण याचिकाओं पर दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के अपर प्रधान न्यायाधीश द्वारा पत्नी को प्रतिमाह 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ पति की पुनरीक्षण याचिका मंजूर करते हुए पत्नी की गुजारा भत्ता बढ़ाने की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति के खिलाफ भविष्य के सारे अधिकार छोड़कर तलाक लिया है इसलिए उसे अंतरिम गुजारा भत्ता पाने का अधिकार नहीं है.

याचियों की 27 फरवरी 2004को शादी हुई थी. उनके एक बच्चा हुआ. 16 जून 2006 को विवाद के कारण उन्होंने आपसी सहमति से तीस हजारी कोर्ट नई दिल्ली में तलाक का मुकदमा किया. अदालत में दोनों के बयान दर्ज हुए. पत्नी ने कहा कि वह भविष्य में पति से कोई गुजारा भत्ता नहीं मांगेगी. बेटा बालिग होने तक मां के साथ रहेगा और पिता को बेटे से नियत समय पर मुलाकात करने की अनुमति होगी. इसी आधार पर 20 अगस्त 2007 को उनका तलाक हो गया और दोनों अलग रह रहे हैं.

बाद में पत्नी ने बेटे की ओर से गौतमबुद्धनगर परिवार न्यायालय में गुजारा भत्ता के लिए सीआरपीसी की धारा 125 की अर्जी दाखिल की। परिवार न्यायालय ने बेटे को 15 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. इसके बाद पत्नी ने भी पूर्व पति की आय का 25 फीसदी हिस्सा गुजारा भत्ते के तौर पर मांग की और 50 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता की अर्जी दी. परिवार न्यायालय ने अर्जी स्वीकार करते हुए पत्नी को 25 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता पाने का हकदार माना.इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि पत्नी ने सब अधिकार छोड़ दिए हैं इसलिए यह आदेश रद्द किया जाए. हाईकोर्ट ने पत्नी को 25 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश रद्द करते हुए कहा कि परिवार न्यायालय ने गलती की है.

ये भी पढे़ंः कानपुर: झोपड़ी में लगी भीषण आग, तीन साल के बच्चे की जलकर हुई मौत

ये भी पढ़ेंः IIT कानपुर ने बनाया अनोखा डिवाइस, मिनट्स में देता है ओरल कैंसर की जानकारी

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि आपसी सहमति से तलाक के समय पत्नी ने गुजारा भत्ता सहित सभी अधिकार छोड़ दिए तो बाद में उसे पूर्व पति से गुजारा भत्ते की मांग करने का अधिकार नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित ने गौरव मेहता व अनामिका चोपड़ा की पुनरीक्षण याचिकाओं पर दिया है. इसी के साथ कोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के अपर प्रधान न्यायाधीश द्वारा पत्नी को प्रतिमाह 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने गुजारा भत्ता देने के आदेश के खिलाफ पति की पुनरीक्षण याचिका मंजूर करते हुए पत्नी की गुजारा भत्ता बढ़ाने की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि पत्नी ने पति के खिलाफ भविष्य के सारे अधिकार छोड़कर तलाक लिया है इसलिए उसे अंतरिम गुजारा भत्ता पाने का अधिकार नहीं है.

याचियों की 27 फरवरी 2004को शादी हुई थी. उनके एक बच्चा हुआ. 16 जून 2006 को विवाद के कारण उन्होंने आपसी सहमति से तीस हजारी कोर्ट नई दिल्ली में तलाक का मुकदमा किया. अदालत में दोनों के बयान दर्ज हुए. पत्नी ने कहा कि वह भविष्य में पति से कोई गुजारा भत्ता नहीं मांगेगी. बेटा बालिग होने तक मां के साथ रहेगा और पिता को बेटे से नियत समय पर मुलाकात करने की अनुमति होगी. इसी आधार पर 20 अगस्त 2007 को उनका तलाक हो गया और दोनों अलग रह रहे हैं.

बाद में पत्नी ने बेटे की ओर से गौतमबुद्धनगर परिवार न्यायालय में गुजारा भत्ता के लिए सीआरपीसी की धारा 125 की अर्जी दाखिल की। परिवार न्यायालय ने बेटे को 15 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया. इसके बाद पत्नी ने भी पूर्व पति की आय का 25 फीसदी हिस्सा गुजारा भत्ते के तौर पर मांग की और 50 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता की अर्जी दी. परिवार न्यायालय ने अर्जी स्वीकार करते हुए पत्नी को 25 हजार रुपये प्रतिमाह गुजारा भत्ता पाने का हकदार माना.इस आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि पत्नी ने सब अधिकार छोड़ दिए हैं इसलिए यह आदेश रद्द किया जाए. हाईकोर्ट ने पत्नी को 25 हजार रुपये अंतरिम गुजारा भत्ता देने का आदेश रद्द करते हुए कहा कि परिवार न्यायालय ने गलती की है.

ये भी पढे़ंः कानपुर: झोपड़ी में लगी भीषण आग, तीन साल के बच्चे की जलकर हुई मौत

ये भी पढ़ेंः IIT कानपुर ने बनाया अनोखा डिवाइस, मिनट्स में देता है ओरल कैंसर की जानकारी

Last Updated : Apr 6, 2024, 9:23 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.