नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय ओलंपिक संघ की ओर से भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज की देखरेख के लिए तदर्थ समिति के गठन पर मुहर लगा दी है. जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ चाहे तो तदर्थ समिति का पुनर्गठन कर सकती है.
हाईकोर्ट ने कहा कि अब पेरिस ओलंपिक समाप्त हो गया है. ऐसे में भारतीय ओलंपिक संघ भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए जरूरी फैसले कर सकती है. हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज की देखरेख के लिए गठित तदर्थ समिति को भंग करने की जरूरत नहीं थी. ऐसे में तदर्थ समिति तब तक काम करती रहेगी जब तक उसमें कोई बदलाव नहीं किया जाए या उसे वापस नहीं लिया जाए.
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज कर दिया कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को भारतीय कुश्ती संघ का प्रशासक नियुक्त किया जाए. कोर्ट ने कहा कि भारतीय कुश्ती संघ की देखरेख के लिए बहुत सदस्यीय समिति होनी चाहिए, जिसमें पूर्व खिलाड़ी भी हों जिन्हें अंतरराष्ट्रीय खेल संघों की जानकारी हो.
आज भारतीय कुश्ती संघ बिना किसी प्रमुख के हैः सुनवाई के दौरान पहलवान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा था कि भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज को देखने के लिए एक प्रशासक की नियुक्ति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को दिसंबर 2023 में भंग कर तदर्थ कमेटी का गठन किया था और मार्च में इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन ने तदर्थ समिति को भी भंग कर दिया. ऐसे में आज की तिथि में भारतीय कुश्ती संघ बिना किसी प्रमुख के है.
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बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान ने दायर की थी याचिकाः याचिका दायर करने वालों में बजरंग पुनिया के अलावा विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और सत्यव्रत कादियान शामिल थे. याचिका में भारतीय कुश्ती संघ के कामकाज के लिए तदर्थ समिति का गठन करने या सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज को प्रशासक नियुक्त करने की मांग की गई थी.
बता दें, महिला पहलवानों ने बीजेपी के पूर्व सांसद और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह और भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व सचिव विनोद तोमर के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज कराया है, जो राऊज एवेन्यू कोर्ट में लंबित है.
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