रांचीः बीजेपी की सियासी चाल से एक बार फिर हेमंत सरकार और जेएमएम मुश्किल में है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जेएमएम से निकली सोरेन परिवार की पुत्रवधु सीता सोरेन की भरपाई अभी हुई भी नहीं थी कि चंपाई सोरेन की नाराजगी जगजाहिर हो गई.
नाराजगी इस कदर कि चंपाई सोरेन ने दुखी मन से सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते पार्टी को लेकर काफी कुछ लिख दिया है, ऐसे में उनका अगला कदम क्या होगा और सियासी रूख क्या ये फिलहाल समय के गर्भ में है. हालांकि संभावना यह जताई जा रही है कि जल्द ही वे भाजपा में शामिल होंगे. चंपाई सोरेन की नाराजगी को हवा देने में कहीं ना कहीं भाजपा का भी हाथ रहा है. जाहिर तौर पर चंपाई सोरेन के बाहर निकलने से जेएमएम को कोल्हान में भारी क्षति होने की संभावना है. चंपाई सोरेन की छवि साफ सुथरी रही है और ट्रायबल के बीच खास पकड़ माना जाता है. शायद यही वजह है कि उन्हें कोल्हान का टाइगर कहा जाता है.
भाजपा ने एक तीर से साधा दो निशाना
जेएमएम के अंदर मचे घमासान पर भाजपा की नजर है. भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में एक तीर से दो निशाना लगाने का काम किया है. विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बीजेपी ने पहली चाल ट्रायबल वोटबैंक को साधने के लिए हेमंत सोरेन के जेल जाने के कारण मिल रही सहानुभूति का तोड़ के रुप में चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटने और उनकी नाराजगी जनता तक ले जाने के रुप में लाया है. वहीं दूसरा निशाना जेएमएम कमजोर करने का है. पहले लोबिन हेम्ब्रम, फिर सीता सोरेन और अब चंपाई सोरेन की नाराजगी को हवा देने में बीजेपी जरूर सफल रही है. इससे जेएमएम को लगातार झटका लगा है.
जेएमएम केन्द्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे कहते हैं कि चंपाई सोरेन पार्टी के बड़े नेताओं में से एक हैं उनकी जो भी नाराजगी है उसे कार्यकारी अध्यक्ष के समक्ष रखकर दूर कर लेते तो अच्छा रहता. विपक्ष तो चाहता ही है कि हम कमजोर हों उनके झांसे में चंपाई सोरेन जैसा व्यक्ति का आना समझ से पड़े है. बीजेपी नेताओं की मानें तो चंपाई सोरेन के अलावा जेएमएम कांग्रेस के कई विधायक नेता बीजेपी के संपर्क में हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी हालांकि व्यक्तिगत संबंध की बात कहते हुए कहते हैं कि मिलना-जुलना तो होता रहता है मगर राजनीतिक बातें अलग होती हैं.
बहरहाल वक्त है विधानसभा चुनाव का है और राजनेताओं का दल बदल का दौर शुरू हो चुका है. ऐसे में जिस तरह के हालात देखे जा रहे हैं उससे साफ लग रहा है कि चुनाव आते-आते राज्य में बड़ा सियासी उलट फेर हो सकता है.