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संजौली मस्जिद विवाद, जमीन किसकी और मस्जिद में कितना अवैध निर्माण, कमिश्नर कोर्ट में कल की सुनवाई पर टिकी सभी की नजरें - Hearing on Sanjauli Masjid Case

5 अक्टूबर को संजौली मस्जिद विवाद मामले में शिमला कमिश्नर कोर्ट में सुनवाई होगी. इसको लेकर देशभर के लोगों की नजरें टिकी हुई हैं.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 2 hours ago

संजौली मस्जिद विवाद
संजौली मस्जिद विवाद (FILE)

शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर संजौली के मस्जिद विवाद को लेकर कल यानी शनिवार का दिन अहम होगा. नगर निगम शिमला के कमिश्नर भूपेंद्र अत्री की राजस्व अदालत में कल मामले की सुनवाई होगी. मस्जिद में अवैध निर्माण की शिकायत सामने आई है. वहीं, मस्जिद कमेटी ने प्रस्ताव किया है कि नगर निगम प्रशासन यदि इजाजत दे तो वे खुद अवैध निर्माण को गिरा देंगे. वहीं, कमिश्नर कोर्ट ने संबंधित बीट के जेई से पैमाइश की रिपोर्ट भी तलब की है. इस सुनवाई में ये रिपोर्ट भी आयुक्त के समक्ष रखी जाएगी.

इसके अलावा स्थानीय लोगों ने भी इस केस में उनका पक्ष सुने जाने के लिए वकील के माध्यम से आवेदन दाखिल किया हुआ है. उस आवेदन पर भी कमिश्नर कोर्ट ने फैसला लेना है. इसके अलावा देवभूमि संघर्ष समिति ने भी चेतावनी दी है कि यदि कोर्ट से उचित फैसला नहीं आता है तो वे जेल भरो आंदोलन करेंगे. ऐसे में सभी की नजरें कल के कमिश्नर कोर्ट के कदम पर टिकी हैं.

संकेत है कि कमिश्नर कोर्ट में कल दोपहर के समय मामले पर सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कमिश्नर कोर्ट ने मस्जिद कमेटी सहित वक्फ बोर्ड से सवाल किए थे कि अवैध निर्माण को लेकर पैसा कहां से आया और किसने ये निर्माण किया है तो उसका दोनों ही पक्षों के पास कोई जवाब नहीं था. मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ का कहना था कि ये निर्माण उनके समय में नहीं हुआ है. वहीं, मस्जिद के इमाम शहजाद का कहना था कि निर्माण बाहर से आने वाले नमाजियों ने किया है, लेकिन इसके लिए फंड कहां से आया, उसकी कोई जानकारी नहीं दे पाए.

शोएब जमई के आने से भड़का विवाद: संजौली की मस्जिद का विवाद सामने आने के बाद प्रदेश भर में हिंदू संगठनों के प्रदर्शन शुरू हो गए. मंडी से लेकर कुल्लू व बिलासपुर तक में मस्जिदों में अवैध निर्माण की शिकायतें की गई. मंडी के जेल रोड में मस्जिद को सील कर उसका पानी व बिजली का कनेक्शन काटा गया. वहीं, संजौली मस्जिद को जाने वाले तीनों रास्तों में भारी संख्या में सशस्त्र पुलिस के जवान निरंतर तैनात हैं. इसी दौरान शोएब जमई ने यहां मस्जिद में आकर वीडियो बनाया और उसे एक्स पर डाला. उसके बाद से हिंदू संगठन भड़क गए. दरअसल जमई ने आसपास की इमारतों को अवैध बताया और कहा कि इन पर कार्रवाई क्यों नहीं? उसके बाद जब मुस्लिम पक्ष को लगा कि बात बिगड़ रही है तो उसने तुरंत मीडिया को बुलाकर स्पष्ट किया कि वे शोएब जमई को नहीं जानते और उनके बयान का खंडन करते हैं.

आखिर कैसे सुलगा मस्जिद विवाद: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के मल्याणा इलाके में 30 अगस्त को दो समुदायों के बीच मारपीट की घटना हुई. उसके बाद आरोपी संजौली मस्जिद में आकर छिप गए. आरोप है कि हमला करने वाले छह मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने संजौली की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की कुछ मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है. इस दौरान विधानसभा का मानसून सेशन भी चल रहा था और वहां कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. कैबिनेट मंत्री ने सदन में खुलासा किया कि चौदह साल में मामले में 44 पेशियां हो गई, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया. अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर डाली. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज गया.

मस्जिद केस में अब तक क्या हुआ: नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री के अनुसार संजौली की मस्जिद में निर्माण का मामला वर्ष 2010 में सबसे पहले उठा था. मस्जिद कमेटी ने उस समय यहां पिलर का निर्माण किया था. उस पर कमेटी को नोटिस दिया गया. ये मामला वर्ष 2012 तक चलता रहा. फिर मस्जिद कमेटी के प्रधान ने वक्फ बोर्ड से निर्माण के संबंध में एनओसी ले लिया. ये एनओसी देते समय वक्फ बोर्ड ने कहा कि स्थानीय कमेटी अपने स्तर पर निर्माण का फैसला कर सकती है, बशर्ते वो निगम प्रशासन से जरूरी अनुमतियां ले कर कंस्ट्रक्शन करें. मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया. साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं.

निगम प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को मैप की कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन बाद में न तो मस्जिद कमेटी और न ही वक्फ बोर्ड ने निगम में मैप को लेकर कोई रिप्रेजेंटेशन दी. फिर 2015 से 2018 के बीच तीन साल में मस्जिद की अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया. फिर 2019 में मस्जिद कमेटी को संशोधित नोटिस दिया गया. बाद में गलत निर्माण को लेकर जुलाई 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया. साथ ही मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ को भी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वक्फ से एनओसी उनके नाम जारी हुआ था.

ये भी पढ़ें: संजौली पुलिस चौकी के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ, देवभूमि संघर्ष समिति ने सरकार को दी चेतावनी

शिमला: राजधानी शिमला के उपनगर संजौली के मस्जिद विवाद को लेकर कल यानी शनिवार का दिन अहम होगा. नगर निगम शिमला के कमिश्नर भूपेंद्र अत्री की राजस्व अदालत में कल मामले की सुनवाई होगी. मस्जिद में अवैध निर्माण की शिकायत सामने आई है. वहीं, मस्जिद कमेटी ने प्रस्ताव किया है कि नगर निगम प्रशासन यदि इजाजत दे तो वे खुद अवैध निर्माण को गिरा देंगे. वहीं, कमिश्नर कोर्ट ने संबंधित बीट के जेई से पैमाइश की रिपोर्ट भी तलब की है. इस सुनवाई में ये रिपोर्ट भी आयुक्त के समक्ष रखी जाएगी.

इसके अलावा स्थानीय लोगों ने भी इस केस में उनका पक्ष सुने जाने के लिए वकील के माध्यम से आवेदन दाखिल किया हुआ है. उस आवेदन पर भी कमिश्नर कोर्ट ने फैसला लेना है. इसके अलावा देवभूमि संघर्ष समिति ने भी चेतावनी दी है कि यदि कोर्ट से उचित फैसला नहीं आता है तो वे जेल भरो आंदोलन करेंगे. ऐसे में सभी की नजरें कल के कमिश्नर कोर्ट के कदम पर टिकी हैं.

संकेत है कि कमिश्नर कोर्ट में कल दोपहर के समय मामले पर सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कमिश्नर कोर्ट ने मस्जिद कमेटी सहित वक्फ बोर्ड से सवाल किए थे कि अवैध निर्माण को लेकर पैसा कहां से आया और किसने ये निर्माण किया है तो उसका दोनों ही पक्षों के पास कोई जवाब नहीं था. मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ का कहना था कि ये निर्माण उनके समय में नहीं हुआ है. वहीं, मस्जिद के इमाम शहजाद का कहना था कि निर्माण बाहर से आने वाले नमाजियों ने किया है, लेकिन इसके लिए फंड कहां से आया, उसकी कोई जानकारी नहीं दे पाए.

शोएब जमई के आने से भड़का विवाद: संजौली की मस्जिद का विवाद सामने आने के बाद प्रदेश भर में हिंदू संगठनों के प्रदर्शन शुरू हो गए. मंडी से लेकर कुल्लू व बिलासपुर तक में मस्जिदों में अवैध निर्माण की शिकायतें की गई. मंडी के जेल रोड में मस्जिद को सील कर उसका पानी व बिजली का कनेक्शन काटा गया. वहीं, संजौली मस्जिद को जाने वाले तीनों रास्तों में भारी संख्या में सशस्त्र पुलिस के जवान निरंतर तैनात हैं. इसी दौरान शोएब जमई ने यहां मस्जिद में आकर वीडियो बनाया और उसे एक्स पर डाला. उसके बाद से हिंदू संगठन भड़क गए. दरअसल जमई ने आसपास की इमारतों को अवैध बताया और कहा कि इन पर कार्रवाई क्यों नहीं? उसके बाद जब मुस्लिम पक्ष को लगा कि बात बिगड़ रही है तो उसने तुरंत मीडिया को बुलाकर स्पष्ट किया कि वे शोएब जमई को नहीं जानते और उनके बयान का खंडन करते हैं.

आखिर कैसे सुलगा मस्जिद विवाद: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के मल्याणा इलाके में 30 अगस्त को दो समुदायों के बीच मारपीट की घटना हुई. उसके बाद आरोपी संजौली मस्जिद में आकर छिप गए. आरोप है कि हमला करने वाले छह मुस्लिम युवाओं में से कुछ ने बाद में मस्जिद में आकर शरण ली. उसके बाद कांग्रेस के पार्षद नीटू ठाकुर सहित सैकड़ों लोगों ने संजौली की मस्जिद के बाहर प्रदर्शन किया. उसके बाद खुलासा हुआ कि संजौली की मस्जिद में ऊपर की कुछ मंजिलों का निर्माण अवैध रूप से किया गया है. इस दौरान विधानसभा का मानसून सेशन भी चल रहा था और वहां कांग्रेस सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने सदन में कागजात रखते हुए दावा किया कि सरकारी जमीन पर मस्जिद बनी हुई है. कैबिनेट मंत्री ने सदन में खुलासा किया कि चौदह साल में मामले में 44 पेशियां हो गई, लेकिन कोई निर्णय नहीं आया. अनिरुद्ध सिंह ने मस्जिद के अवैध निर्माण को गिराने की मांग भरे सदन में कर डाली. उसके बाद मामला राष्ट्रीय स्तर पर गूंज गया.

मस्जिद केस में अब तक क्या हुआ: नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपेंद्र अत्री के अनुसार संजौली की मस्जिद में निर्माण का मामला वर्ष 2010 में सबसे पहले उठा था. मस्जिद कमेटी ने उस समय यहां पिलर का निर्माण किया था. उस पर कमेटी को नोटिस दिया गया. ये मामला वर्ष 2012 तक चलता रहा. फिर मस्जिद कमेटी के प्रधान ने वक्फ बोर्ड से निर्माण के संबंध में एनओसी ले लिया. ये एनओसी देते समय वक्फ बोर्ड ने कहा कि स्थानीय कमेटी अपने स्तर पर निर्माण का फैसला कर सकती है, बशर्ते वो निगम प्रशासन से जरूरी अनुमतियां ले कर कंस्ट्रक्शन करें. मस्जिद कमेटी ने एनओसी निगम में जमा किया. साथ ही मैप भी जमा किया, लेकिन उसमें बहुत सी कमियां थीं.

निगम प्रशासन ने मस्जिद कमेटी को मैप की कमियां दूर करने के निर्देश दिए थे, लेकिन बाद में न तो मस्जिद कमेटी और न ही वक्फ बोर्ड ने निगम में मैप को लेकर कोई रिप्रेजेंटेशन दी. फिर 2015 से 2018 के बीच तीन साल में मस्जिद की अवैध मंजिलों का निर्माण किया गया. फिर 2019 में मस्जिद कमेटी को संशोधित नोटिस दिया गया. बाद में गलत निर्माण को लेकर जुलाई 2023 में वक्फ बोर्ड को नोटिस दिया. साथ ही मस्जिद कमेटी के पूर्व प्रधान मोहम्मद लतीफ को भी नोटिस दिया गया था, क्योंकि वक्फ से एनओसी उनके नाम जारी हुआ था.

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