नई दिल्ली: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अंतरिम जमानत याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने इस मामले में ईडी से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस भेजा है और 6 मई तक जवाब मांगा है. हेमंत सोरेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा. जिसमें उन्होंने कहा कि धारा 467, 471 और 420 के तहत जो मेरे मुवक्किल पर आरोप लगे हैं उसमें उनकी कहीं भी कोई संलिप्तता नहीं है. उन्हें अंतरिम जमानत दिया जाए.
कपिल सिब्बल से जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि यह संलिप्ता की बात नहीं है. शिकायत 8.5 एकड़ के एक प्लॉट को लेकर है, जिसे गलत तरीके हासिल किया गया है. वहीं सिब्बल ने मामले में जल्द सुनवाई की मांग करते हुए कहा कि अदालत पर भी दबाव है. इस पर जस्टिस खन्ना ने मुस्कुराते हुए कहा कि दबाव का कोई सवाल ही नहीं है. इसपर सिब्बल ने कहा जजों पर काम का दबाव रहता है. इस पर जस्टिस ने मुस्कुराते हुए कहा- सही है.
शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई अगले हफ्ते 6 मई को तय की है. अदालत ने कहा कि इस दौरान झारखंड हाई कोर्ट चाहे तो अपना फैसला सुना सकता है, जिसे 28 फरवरी 2024 को सुरक्षित रखा गया. हेमंत सोरेन ने अपनी गिरफ्तारी और हाई कोर्ट द्वारा फैसला सुरक्षित रखे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएसपी दाखिल की है.
31 जनवरी को ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया था, जिसके तुरंत बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और फिर ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर चंपाई सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया. ईडी का आरोप है कि हेमंत सोरेन ने रांची में 8.5 एकड़ की एक जमीन को अवैध रूप से हासिल किया है. रांची में जमीन घोटाला से जुड़े दर्ज मामले में कई लोगों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच चल रही है.
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