नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस दिया है. इस मामले में अब अगली सुनवाई 17 जुलाई होगी.
बता दें कि सीबीआई ने 26 जून को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. 26 जून को ही राऊज एवेन्यू कोर्ट ने केजरीवाल को 29 जून तक की सीबीआई हिरासत में भेजा था. राऊज एवेन्यू कोर्ट के ड्यूटी जज अमिताभ रावत ने कहा था कि केजरीवाल की सीबीआई की ओर से की गई गिरफ्तारी गैरकानूनी नहीं है, बाद में 29 जून को सीबीआई की गिरफ्तारी खत्म होने पर ड्यूटी जज सुनैना शर्मा ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था.
सीबीआई की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता डीपी सिंह ने कहा कि केजरीवाल ने गिरफ्तारी को चुनौती दी है और यह पहले से ही एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है. जमानत के लिए पहली अदालत ट्रायल कोर्ट होनी चाहिए थी.
दोनों पक्षों की ओर से क्या आईं दलीलें
दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान CBI की तरफ से पेश हो रहे वकील ने अपनी दलील में कहा कि अरविंद केजरीवाल को निचली अदालत में जमानत याचिका दायर करनी चाहिए. जबकि वो ऐसा ना करके सीधे हाईकोर्ट आ गए हैं. इस पर अरविंद केजरीवाल की तरफ से वकील अभिषेस मनु सिंघवी ने कहा कि इसे लेकर कानून स्पष्ट हैं. हम ऐसा कर सकते हैं. सीबीआई के वकील ने कहा कि अदालत कानून की बात नहीं कर रही है लेकिन ऐसा करने के पीछे कोई कारण तो होना चाहिए. हालांकि, दिल्ली हाईकोर्ट अब इस मामले में सुनवाई के लिए तैयार हो गई है.
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी किया. इस मामले पर अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी. इसी तारीख पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी और इसके बाद जारी रिमांड आदेश को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई होगी.
उधर, सीबीआई के मुताबिक, कई गवाहों के बयान हैं जो केजरीवाल की ओर इशारा करते हैं. 26 जून को राऊज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील डीपी सिंह ने मगुंटा रेड्डी के बयानों का जिक्र करते हुए कहा था कि सीबीआई के पास इस बात के साक्ष्य हैं कि साउथ ग्रुप ने बताया कि आबकारी नीति कैसे तैयार की जाए. साउथ ग्रुप दिल्ली आयी उस समय कोरोना अपने चरम पर था और लोग मर रहे थे, उन्होंने एक रिपोर्ट बनाई और अभिषेक बोइनपल्ली को दी. ये रिपोर्ट विजय नायर के जरिये मनीष सिसोदिया को दी गई. डीपी सिंह ने कहा कि कोरोना के दौरान जल्दबाजी में नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसके पीछे अरविंद केजरीवाल का ही हाथ था.
21 मार्च को केजरीवाल की हुई थी गिरफ्तारी
दिल्ली हाईकोर्ट से 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं मिलने के बाद ईडी ने 21 मार्च को ही देर शाम को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए 1 जून तक की अंतरिम जमानत देते हुए 2 जून को सरेंडर करने का आदेश दिया था. केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर कर दिया था. 21 जून को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी के मामले में केजरीवाल को नियमित जमानत दी थी जिस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा रखी है.
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