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बनभूलपुरा की जिस जमीन को लेकर हुई थी हिंसा, आज उसकी नैनीताल हाईकोर्ट में है सुनवाई

Hearing on Banbhoolpura case in Nainital High Court बनभूलपुरा की जिस अवैध मस्जिद और मदरसे को हटाने के दौरान उपद्रव और हिंसा हुई थी, उस पर आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई है. सभी की नजरें आज उच्च न्यायालय पर लगी हैं कि वहां से क्या फैसला आता है.

Hearing on Banbhoolpura
बनभूलपुरा हिंसा मामला
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 14, 2024, 7:56 AM IST

नैनीताल (उत्तराखंड): नैनीताल हाईकोर्ट में आज बनभूलपुरा अवैध निर्माण मामले की सुनवाई होगी. इसी वनभूलपुरा में नगर निगम ने नजूल की भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए अवैध मदरसे और धर्म स्थल को हटाया था. उस दौरान भीषण उपद्रव हुआ था. अतिक्रमण हटाने का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुई भीड़ उपद्रव पर उतर आई थी. इसके बाद हल्द्वानी के बनभूलपुरा में जमकर हिंसा हुई थी.

बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई थी हिंसा: उपद्रवी भीड़ ने बनभूलपुरा थाना घेर लिया था. आरोप है कि पेट्रोल बमों से थानों को आग लगा दी गई थी. जब थाने के अंदर फंसे पुलिसकर्मियों और अफसरों की जान खतरे में आई और अनेक पुलिस वाले घायल हो गए तो गोली चलाने की अनुमति मांगी गई थी. हल्द्वानी हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है. 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. 70 से ज्यादा वाहन आग के हवाले कर दिए गए थे. बनभूलपुरा इलाके में अभी भी कर्फ्यू लगा है.

रेलवे जमीन पर अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है: दरअसल बनभूलपुरा इलाके में स्थित रेलवे की जमीन में अतिक्रमण कर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को पिछले साल हाईकोर्ट ने खाली कराने का आदेश जारी किया था. पुलिस प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए जब पूरी तैयारी कर ली थी तो इसी दौरान ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. अभी तक सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है.

याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत: इधर जनवरी 2024 में हल्द्वानी नगर निगम बनभूलपुरा की जमीन को नजूल की जमीन बताते हुए अतिक्रमण खाली करने के नोटिस जारी कर रहा था. 30 जनवरी को जब नगर निगम की टीम जमीन को सील करने पहुंची तो तब भी भारी बवाल हुआ है. अवैध मदरसे और मस्जिद पर बुलडोजर चलने से पहले दूसरे पक्ष ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में नगर निगम द्वारा दावा की गई जमीन से मस्जिद और मदरसे के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिकर्ताओं ने दावा किया था कि उनके पास इस जमीन की 1937 की लीज है. ये लीज अब्दुल मलिक के परिवार से मिली बताई गई. याचिका में कहा गया था कि सरकार (नगर निगम) इस जमीन पर कब्जा नहीं ले सकती है. अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक और अन्य को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था.

8 फरवरी को हटाया गया था अतिक्रमण: नैनीताल हाईकोर्ट से दूसरे पक्ष को राहत नहीं मिलने पर नगर निगम ने 8 फरवरी को सरकारी जमीन पर बने अवैध मदरसे और मस्जिद को गिरा दिया था. इसके बाद वहां इकट्ठा हुई भीड़ ने जमकर हिंसा की थी. इस मामले में अभी भी गिरफ्तारियां हो रही हैं. अब आज नैनीताल हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

जहां खाली कराया अतिक्रमण वहां खुली चौकी: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 12 फरवरी को हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में बनभूलपुरा की अतिक्रमण वाली जगह पर थाने खोलने की घोषणा की थी. इसके बाद पुलिस विभाग ने आनन-फानन में वहां पर पुलिस चौकी खोल दी. अभी टेंट में पुलिस चौकी चल रही है. इसको देखरेख पुलिस चौकी, थाना बनभूलपुरा नाम दिया गया है.
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नैनीताल (उत्तराखंड): नैनीताल हाईकोर्ट में आज बनभूलपुरा अवैध निर्माण मामले की सुनवाई होगी. इसी वनभूलपुरा में नगर निगम ने नजूल की भूमि पर अतिक्रमण का आरोप लगाते हुए अवैध मदरसे और धर्म स्थल को हटाया था. उस दौरान भीषण उपद्रव हुआ था. अतिक्रमण हटाने का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुई भीड़ उपद्रव पर उतर आई थी. इसके बाद हल्द्वानी के बनभूलपुरा में जमकर हिंसा हुई थी.

बनभूलपुरा में अतिक्रमण हटाने के दौरान हुई थी हिंसा: उपद्रवी भीड़ ने बनभूलपुरा थाना घेर लिया था. आरोप है कि पेट्रोल बमों से थानों को आग लगा दी गई थी. जब थाने के अंदर फंसे पुलिसकर्मियों और अफसरों की जान खतरे में आई और अनेक पुलिस वाले घायल हो गए तो गोली चलाने की अनुमति मांगी गई थी. हल्द्वानी हिंसा में अब तक 6 लोगों की मौत हो चुकी है. 300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. 70 से ज्यादा वाहन आग के हवाले कर दिए गए थे. बनभूलपुरा इलाके में अभी भी कर्फ्यू लगा है.

रेलवे जमीन पर अतिक्रमण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है: दरअसल बनभूलपुरा इलाके में स्थित रेलवे की जमीन में अतिक्रमण कर बसी 50 हजार की आबादी वाली बस्ती को पिछले साल हाईकोर्ट ने खाली कराने का आदेश जारी किया था. पुलिस प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने के लिए जब पूरी तैयारी कर ली थी तो इसी दौरान ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. अभी तक सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन है.

याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट से नहीं मिली थी राहत: इधर जनवरी 2024 में हल्द्वानी नगर निगम बनभूलपुरा की जमीन को नजूल की जमीन बताते हुए अतिक्रमण खाली करने के नोटिस जारी कर रहा था. 30 जनवरी को जब नगर निगम की टीम जमीन को सील करने पहुंची तो तब भी भारी बवाल हुआ है. अवैध मदरसे और मस्जिद पर बुलडोजर चलने से पहले दूसरे पक्ष ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस याचिका में नगर निगम द्वारा दावा की गई जमीन से मस्जिद और मदरसे के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिकर्ताओं ने दावा किया था कि उनके पास इस जमीन की 1937 की लीज है. ये लीज अब्दुल मलिक के परिवार से मिली बताई गई. याचिका में कहा गया था कि सरकार (नगर निगम) इस जमीन पर कब्जा नहीं ले सकती है. अवकाशकालीन न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता साफिया मलिक और अन्य को किसी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया था.

8 फरवरी को हटाया गया था अतिक्रमण: नैनीताल हाईकोर्ट से दूसरे पक्ष को राहत नहीं मिलने पर नगर निगम ने 8 फरवरी को सरकारी जमीन पर बने अवैध मदरसे और मस्जिद को गिरा दिया था. इसके बाद वहां इकट्ठा हुई भीड़ ने जमकर हिंसा की थी. इस मामले में अभी भी गिरफ्तारियां हो रही हैं. अब आज नैनीताल हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं.

जहां खाली कराया अतिक्रमण वहां खुली चौकी: उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने 12 फरवरी को हरिद्वार में आयोजित एक कार्यक्रम में बनभूलपुरा की अतिक्रमण वाली जगह पर थाने खोलने की घोषणा की थी. इसके बाद पुलिस विभाग ने आनन-फानन में वहां पर पुलिस चौकी खोल दी. अभी टेंट में पुलिस चौकी चल रही है. इसको देखरेख पुलिस चौकी, थाना बनभूलपुरा नाम दिया गया है.
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