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लोकसभा चुनाव : महाराष्ट्र की 'मटका फोड़' राजनीति, शरद पवार की सेहत पर सियासत गर्म - lok sabha election 2024

Sharad Pawar health : महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के प्रचार को लेकर हलचल तेज है. ऐसे में आरोप-प्रत्यारोप और अलग-अलग स्तर का प्रचार देखने को मिल रहा है. एनसीपी नेता शरद पवार की सेहत को लेकर भी कुछ बातें सामने आ रही हैं. जानकारों का मानना है कि इसका फायदा पवार को हो रहा है.

Sharad Pawar
शरद पवार (Etv Bharat file photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 6, 2024, 9:06 PM IST

मुंबई : राजनीति में यह कहना मुश्किल है कि किस पार्टी या नेता को किस चीज से फायदा होगा और उस पार्टी की जीत आसान होगी. सामने वाले उम्मीदवार को किसी वाक्य या घटना से अचानक सहानुभूति मिल जाती है और अंतिम समय में उसका पलड़ा भारी हो जाता है. राज्य के बड़े नेता शरद पवार के मामले में भी कुछ ऐसा है. इस समय पवार की सेहत को लेकर कुछ चर्चाएं चल रहीं, साथ ही उसे मटके फोड़ने से भी जोड़ा जा रहा है. पूरे मामले को देखें तो बीते चुनाव का जिक्र करना भी जरूरी है.

बारिश में भी जारी रखा था भाषण: शरद पवार ने 2019 चुनाव में सतारा लोकसभा क्षेत्र से श्रीनिवास पाटिल को उम्मीदवार बनाया. जहां ऐसा माहौल था कि यहां छत्रपति उदयनराजे भोसले को चुना जाएगा, वहीं शरद पवार ने श्रीनिवास पाटिल के प्रचार के लिए बैठक की. तभी अचानक बारिश शुरू हो गई और शरद पवार ने बारिश में भीगते हुए बैठक जारी रखी. 80 साल के एक नेता ने बारिश में भी अपने उम्मीदवार के लिए सभा की, जिसका मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा. उस निर्वाचन क्षेत्र में श्रीनिवास पाटिल की जीत हुई. अब एनसीपी कांग्रेस में दो गुट हो गए हैं. इसलिए इस बार का चुनाव बेहद कड़ा और कड़ा होने वाला है.

मटके फोड़ना और शरद पवार की बीमारी: बारामती लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान एक अति उत्साही कार्यकर्ता ने प्रचार सभा में मटके फोड़ दिए. दरअसल किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद आग लगाने से पहले मटका फोड़ा जाता है. इससे यह संदेश दूर-दूर तक फैल गया कि इन कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उदासीनता किसी व्यक्ति की मृत्यु का इंतजार कर रही है. इससे जनमानस में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई.

वहीं, संयोग से शरद पवार बीमार पड़ गए हैं. महाराष्ट्र के सभी लोग जानते हैं कि शरद पवार कई सालों से एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन शरद पवार की इस बीमारी और उनके बारे में दिए गए बयानों से एक बार फिर महाराष्ट्र में शरद पवार के लिए सहानुभूति की लहर पैदा हो सकती है. किसी व्यक्ति के गलत काम या किसी व्यक्ति की बीमारी के कारण उत्पन्न सहानुभूति की लहर उनकी पार्टी या उम्मीदवार की जीत के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने आशंका जताई है कि एक बार फिर शरद पवार की बीमारी से उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है.

सिर्फ एनसीपी के पवार गुट को फायदा: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने आशंका जताई है कि एक बार फिर शरद पवार की बीमारी से उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है. महाराष्ट्र में जहां शरद पवार बीमार हैं, वहीं अजित पवार का गुट उनके मामले को रफा-दफा कर रहा है. महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में अगर कोई इस तरह का व्यवहार करेगा तो महाराष्ट्र की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. महाराष्ट्र में शरद पवार के प्रति कई वर्षों से सहानुभूति रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार पार्टी के सचिव दत्ताजीराव देसाई ने कहा है कि पिछले 45 वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में शरद पवार द्वारा किए गए कार्यों के प्रति लोगों के मन में सम्मान है.

अगर कोई शरद पवार के संबंध में इस तरह का व्यवहार करेगा तो इससे शरद पवार और एनसीपी को ही फायदा होगा. पिछले चुनाव में शरद पवार ने बारिश में भाषण दिया था, इसलिए वोटों में इसका अच्छा नतीजा मिला. अब संयोगवश जब शरद पवार बीमार हैं तो विपक्ष ने मटके फोड़कर लोगों में और असंतोष पैदा कर दिया है. देसाई ने यह भी दावा किया है कि इसका फायदा हमें यानी शरद चंद्र पवार की पार्टी एनसीपी को होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है.

'सहानुभूति नहीं विकास के लिए वोट करें': इस संदर्भ में बोलते हुए एनसीपी के अजित पवार गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजमोहन श्रीवास्तव ने कहा कि 'अगर किसी ने इस तरह का व्यवहार किया है तो यह अनुचित है. हम न केवल शरद पवार बल्कि देश के सभी लोगों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं. यदि कोई प्रचार सभा में मटके फोड़ता है तो वह कृत्य अनुचित है. किसी एनसीपी कार्यकर्ता ने वह हरकत नहीं की होगी. जिसने भी ऐसा किया हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं.'

उन्होंने कहा कि 'हालांकि, अगर कोई सोचता है कि इससे सहानुभूति की लहर पैदा होगी, तो ऐसा नहीं होगा. चुनाव सहानुभूति पर नहीं विकास पर लड़ा जाता है. इसलिए, राज्य की जनता ऐसी सहानुभूति के आगे झुके बिना निश्चित रूप से विकास के लिए वोट करेगी.' श्रीवास्तव ने दावा किया है कि बारामती में भी एनसीपी उम्मीदवार को अच्छे वोट मिलेंगे और जीत होगी.

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मुंबई : राजनीति में यह कहना मुश्किल है कि किस पार्टी या नेता को किस चीज से फायदा होगा और उस पार्टी की जीत आसान होगी. सामने वाले उम्मीदवार को किसी वाक्य या घटना से अचानक सहानुभूति मिल जाती है और अंतिम समय में उसका पलड़ा भारी हो जाता है. राज्य के बड़े नेता शरद पवार के मामले में भी कुछ ऐसा है. इस समय पवार की सेहत को लेकर कुछ चर्चाएं चल रहीं, साथ ही उसे मटके फोड़ने से भी जोड़ा जा रहा है. पूरे मामले को देखें तो बीते चुनाव का जिक्र करना भी जरूरी है.

बारिश में भी जारी रखा था भाषण: शरद पवार ने 2019 चुनाव में सतारा लोकसभा क्षेत्र से श्रीनिवास पाटिल को उम्मीदवार बनाया. जहां ऐसा माहौल था कि यहां छत्रपति उदयनराजे भोसले को चुना जाएगा, वहीं शरद पवार ने श्रीनिवास पाटिल के प्रचार के लिए बैठक की. तभी अचानक बारिश शुरू हो गई और शरद पवार ने बारिश में भीगते हुए बैठक जारी रखी. 80 साल के एक नेता ने बारिश में भी अपने उम्मीदवार के लिए सभा की, जिसका मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव पड़ा. उस निर्वाचन क्षेत्र में श्रीनिवास पाटिल की जीत हुई. अब एनसीपी कांग्रेस में दो गुट हो गए हैं. इसलिए इस बार का चुनाव बेहद कड़ा और कड़ा होने वाला है.

मटके फोड़ना और शरद पवार की बीमारी: बारामती लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान एक अति उत्साही कार्यकर्ता ने प्रचार सभा में मटके फोड़ दिए. दरअसल किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद आग लगाने से पहले मटका फोड़ा जाता है. इससे यह संदेश दूर-दूर तक फैल गया कि इन कार्यकर्ताओं द्वारा की गई उदासीनता किसी व्यक्ति की मृत्यु का इंतजार कर रही है. इससे जनमानस में इसकी तीव्र प्रतिक्रिया हुई.

वहीं, संयोग से शरद पवार बीमार पड़ गए हैं. महाराष्ट्र के सभी लोग जानते हैं कि शरद पवार कई सालों से एक लाइलाज बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन शरद पवार की इस बीमारी और उनके बारे में दिए गए बयानों से एक बार फिर महाराष्ट्र में शरद पवार के लिए सहानुभूति की लहर पैदा हो सकती है. किसी व्यक्ति के गलत काम या किसी व्यक्ति की बीमारी के कारण उत्पन्न सहानुभूति की लहर उनकी पार्टी या उम्मीदवार की जीत के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है. वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने आशंका जताई है कि एक बार फिर शरद पवार की बीमारी से उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है.

सिर्फ एनसीपी के पवार गुट को फायदा: वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक विजय चोरमारे ने आशंका जताई है कि एक बार फिर शरद पवार की बीमारी से उनकी पार्टी को फायदा हो सकता है. महाराष्ट्र में जहां शरद पवार बीमार हैं, वहीं अजित पवार का गुट उनके मामले को रफा-दफा कर रहा है. महाराष्ट्र जैसे प्रगतिशील राज्य में अगर कोई इस तरह का व्यवहार करेगा तो महाराष्ट्र की जनता इसे बर्दाश्त नहीं करेगी. महाराष्ट्र में शरद पवार के प्रति कई वर्षों से सहानुभूति रही है. राष्ट्रवादी कांग्रेस शरद पवार पार्टी के सचिव दत्ताजीराव देसाई ने कहा है कि पिछले 45 वर्षों में राज्य के विभिन्न हिस्सों में शरद पवार द्वारा किए गए कार्यों के प्रति लोगों के मन में सम्मान है.

अगर कोई शरद पवार के संबंध में इस तरह का व्यवहार करेगा तो इससे शरद पवार और एनसीपी को ही फायदा होगा. पिछले चुनाव में शरद पवार ने बारिश में भाषण दिया था, इसलिए वोटों में इसका अच्छा नतीजा मिला. अब संयोगवश जब शरद पवार बीमार हैं तो विपक्ष ने मटके फोड़कर लोगों में और असंतोष पैदा कर दिया है. देसाई ने यह भी दावा किया है कि इसका फायदा हमें यानी शरद चंद्र पवार की पार्टी एनसीपी को होगा, इसमें कोई संदेह नहीं है.

'सहानुभूति नहीं विकास के लिए वोट करें': इस संदर्भ में बोलते हुए एनसीपी के अजित पवार गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता बृजमोहन श्रीवास्तव ने कहा कि 'अगर किसी ने इस तरह का व्यवहार किया है तो यह अनुचित है. हम न केवल शरद पवार बल्कि देश के सभी लोगों के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं. यदि कोई प्रचार सभा में मटके फोड़ता है तो वह कृत्य अनुचित है. किसी एनसीपी कार्यकर्ता ने वह हरकत नहीं की होगी. जिसने भी ऐसा किया हम उसकी कड़ी निंदा करते हैं.'

उन्होंने कहा कि 'हालांकि, अगर कोई सोचता है कि इससे सहानुभूति की लहर पैदा होगी, तो ऐसा नहीं होगा. चुनाव सहानुभूति पर नहीं विकास पर लड़ा जाता है. इसलिए, राज्य की जनता ऐसी सहानुभूति के आगे झुके बिना निश्चित रूप से विकास के लिए वोट करेगी.' श्रीवास्तव ने दावा किया है कि बारामती में भी एनसीपी उम्मीदवार को अच्छे वोट मिलेंगे और जीत होगी.

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