बेंगलुरु: हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान सड़क अवरुद्ध करने और जनता को परेशानी पहुंचाने के आरोप में उनके खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने और 2022 में तत्कालीन मंत्री के.एस.ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग की थी.
जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई की और यह आदेश जारी किया. साथ ही पीठ ने सीएम को छह मार्च को जन प्रतिनिधियों की विशेष अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है.
पीठ ने मंत्री रामलिंगारेड्डी को 7 मार्च, एमबी पाटिल को 15 मार्च और कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला को 11 मार्च को अदालत में पेश होने का आदेश दिया. मामले में पीएसआई को अनावश्यक रूप से प्रतिवादी बनाने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और अन्य पर 10,000 का जुर्माना लगाया गया है.
बेंच ने कहा, अगर प्रतिनिधि कानून का पालन करेंगे तो जनता भी इसका पालन करेगी. सार्वजनिक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन करने से लोगों को बड़ी परेशानी होगी. शहरी जीवन एक बड़ी समस्या है. विरोध प्रदर्शन के कारण लोगों को अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. सड़क जाम करने पर सहमत नहीं हो सकते क्योंकि वह जनता के प्रतिनिधि हैं. जो लोग जन नेता बनते हैं उन्हें पहले कानून का पालन करना चाहिए.
क्या है मामला: 14 अप्रैल, 2022 को कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के मामले में तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री केएस ईश्वरप्पा के इस्तीफे की मांग करते हुए रेस व्यू होटल के पास बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया.
इसके चलते शहर के हाईग्राउंड्स थाना पुलिस ने यातायात में बाधा डालने और कानून-व्यवस्था बिगाड़ने के आरोप में मामला दर्ज किया था. इस संबंध में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, मंत्री रामलिंगा रेड्डी, एमबी पाटिल और एआईसीसी नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने उच्च न्यायालय से 42वीं एसीएमएम कोर्ट (जनप्रतिनिधियों की विशेष अदालत) द्वारा जारी एनबीडब्ल्यू (गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट) को रद्द करने की मांग की. लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया.