चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी है. रुझानों में बीजेपी की सरकार बनती दिख रही है. हालांकि सभी एग्जिट पोल के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनती दिख रही थी, लेकिन अचानक से भाजपा ने राज्य में सबको चौंका दिया. जानिए कि वो कौनसी वजह रही, जिससे कांग्रेस पिछड़ी और भाजपा आगे निकल गई.
खर्ची-पर्ची का मुद्दा : कांग्रेस ने बेरोजगारी और महंगाई का मुद्दा छेड़ा, उसके जवाब में भाजपा ने खर्ची-पर्ची का ऐसा तीर छोड़ा, जिससे कांग्रेस उभर नहीं पाई. तकरीबन भाजपा के सभी नेताओं ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया. भाजपा का आरोप है कि जब 10 साल कांग्रेस की हुड्डा सरकार थी, तब बेरोजगारों को नौकरी खर्ची और पर्ची के दम पर मिलती थी, जबकि खट्टर और नायब सैनी सरकार में खर्ची-पर्ची बंद हो गई थी.
कांग्रेस में आपसी गुटबाजी : हरियाणा की कांग्रेस सरकार में ही चुनाव से पहले आपसी गुटबाजी देखने को मिली. जहां एक ओर भूपेंद्र हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा में ही सीएम पद की दावेदारी को लेकर आपसी खींचतान की खबरें सामने आई तो वहीं, सिरसा से कुमारी शैलजा ने भी सीएम पद पर अपना दावा ठोका. वो विधानसभा चुनाव भी लड़ना चाहतीं थीं, लेकिन उनको टिकट नहीं दिया गया. इस बीच रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी सीएम पद की दावेदारी में अपना नाम रखा. इस तरह आपसी खींचतान ने भी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा दिया.
किसानों की नाराजगी दूर की : भाजपा पर किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश के आरोप लगा जा रहे थे. हरियाणा चुनाव से ठीक 3 महीने पहले भाजपा ने इस पर ठंडे छींटे देने की कोशिश की. नायब सिंह सरकार ने 24 फसलों पर एमएसपी लागू की. ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया. भाजपा नेताओं ने मंचों से इस बारे में खूब बोला और बताया कि कांग्रेस शासित राज्यों में फसलों पर एमएसपी नहीं दी जा रही है तो हरियाणा में कांग्रेस कैसे इसे देगी.
अग्निवीर की 'अग्नि' में डाले ठंडे छींटे : अग्निवीर स्कीम की नीति को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को जमकर आड़े हाथों लिया. इस बीच भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और प्रदेश के नेताओं ने घोषणा की कि 4 साल बाद जब अग्निवीर सैनिक रिटायर होकर घर आएगा, तो भी वो बेरोजगार नहीं रहेगा. उसे उचित नौकरी दी जाएगी. अमित शाह ने अग्निवीरों को नौकरी की गारंटी तक दे डाली. इस तीर का कांग्रेस के पास कोई तोड़ नहीं था, और बीजेपी बहुत आगे निकल गई.
'वोटकाटू' पार्टियों का प्रभाव : हरियाणा में वैसे तो भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर थी, लेकिन इनेलो, हलोपा, आप, जेजेपी व निर्दलीयों ने चुनाव में कांग्रेस के वोट काटने में मदद की. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ा था, जिसके बाद जेजेपी और भाजपा ने अलग अलग चुनाव लड़ा, जो विधानसभा चुनाव में भी देखा गया. दीपेंद्र सिंह हुड्डा सरीखे कांग्रेसी नेता इन सभी पार्टियों को भाजपा की बी टीम भी कहने लगे, इनका इस चुनाव में कितना प्रभाव पड़ा, ये तो इन पार्टियों को मिलने वाले वोटों के फाइनल आंकड़े आने के बाद पता चलेगा, लेकिन भाजपा का जीत की ओर बढ़ने के पीछे यह भी एक बड़ी वजह है.
मोदी का जादू अब भी धरातल पर : पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह सरीखे भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने हरियाणा में जमकर प्रचार किया. पीएम मोदी ने पलवल, हिसार और गोहाना में रैली कर एक साथ कई सीटों को साधा. धरातल पर पीएम मोदी का जादू अब भी दिखाई देता है.
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