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डेरा प्रमुख राम रहीम ने पैरोल पर रोक के खिलाफ हाईकोर्ट में लगाई याचिका, HC ने SGPC और सरकार से मांगा जवाब - RAM RAHIM PAROLE

Ram Rahim Parole: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह एक बार फिर जेल से बाहर आना चाहता है. यही कारण है कि राम रहीम ने पैरोल और फरलो पर लगाई गई रोक के आदेश को हटाने के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. डेरा प्रमुख के अनुसार इस साल उसकी 41 दिन की पैरोल/फरलो शेष है और वो इनका लाभा लेना चाहता है.

Ram Rahim Parole
राम रहीम (File Photo)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : May 20, 2024, 11:00 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा के सिरसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने पैरोल पर रोक लगाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की अर्जी पर हरियाणा सरकार और एसजीपीसी को नोटिस जारी कर इस पर जवाब तलब किया है. साथ ही जस्टिस जीएस संधावालिया आधारित डिवीजन बेंच ने हरियाणा सरकार से बीते एक साल के उस रिकॉर्ड की जानकारी देने को कहा है, जिसमें डेरा मुखी जैसे अन्य दोषियों में से कितनों की पैरोल की अर्जी सरकार द्वारा खारिज की गई है.

राम रहीम ने याचिका में क्या कहा है?
सिरसा डेरा प्रमुख ने अपनी अर्जी में कहा है कि इस साल उसके पास 41 दिन की पैरोल/फरलो शेष है. वो इनका लाभ लेना चाहता है. नतीजतन उसने इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो समेत कुल 41 दिन की अवधि की रिहाई के लिए पात्र होने का दावा किया है. गौरतलब है कि 29 फरवरी को हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को भविष्य में अदालत की अनुमति बिना डेरा प्रमुख की पैरोल के आवेदन पर विचार ना किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

सुधारात्मक प्रकृति और सामाजिक संबंधों का हवाला:
डेरा प्रमुख ने हाइकोर्ट के 29 फरवरी के आदेश संबंधी पैरोल/फरलो पर लगाई रोक हटाने की मांग करते हुए दलील दी है. इस दलील के अनुसार पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति और दोषी को परिवार व समाज के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना बताया गया है. इसके अलावा हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट-2022 के तहत पात्र दोषियों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिये जाने का भी हवाला दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि नियम किसी भी ऐसे दोषी की पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराकर सजा सुनाई गई हो.

संगीन अपराध के 89 दोषियों को मिलती रही पैरोल:
डेरा प्रमुख द्वारा दलील दी गई है कि हरियाणा सरकार मामले में जवाब दायर कर बता चुकी है कि उसके अलावा ऐसे 89 और दोषी भी हैं, जिन्हें तीन या इससे अधिक संगीन अपराध में दोषी करार दिया गया लेकिन उन्हें समय पर पैरोल मिलती रही है. इस आधार पर गुरमीत सिंह ने कहा कि उसे मिली पैरोल गलत नहीं है.

हाई कोर्ट से आदेश में संशोधन की मांग:
डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने कहा इस साल उसे कुल 41 दिन की पैरोल/फरलो लेने का अधिकार है. इस आधार पर उसने हाईकोर्ट से पूर्व के आदेश में संशोधन की गुहार लगाई है. डेरा प्रमुख को पैरोल/फरलो देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद फरवरी में हाईकोर्ट द्वारा डेरा प्रमुख को कोर्ट की अनुमति के बिना पैरोल या फरलो देने पर रोक लगा दी गई थी.

ये भी पढ़ें- राम रहीम को अब पैरोल देने के लिए हाईकोर्ट से लेनी होगी अनुमति, HC ने हरियाणा सरकार को दिया ये सख्त आदेश
ये भी पढ़ें- राम रहीम को फरलो मिलने का अंशुल छत्रपति ने किया विरोध, बोले- ये न्याय व्यवस्था से खिलवाड़
ये भी पढ़ें- गुरमीत राम रहीम फिर आया जेल से बाहर, जानिए क्या हैं इसके राजनीतिक मायने?

चंडीगढ़: हरियाणा के सिरसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने पैरोल पर रोक लगाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की अर्जी पर हरियाणा सरकार और एसजीपीसी को नोटिस जारी कर इस पर जवाब तलब किया है. साथ ही जस्टिस जीएस संधावालिया आधारित डिवीजन बेंच ने हरियाणा सरकार से बीते एक साल के उस रिकॉर्ड की जानकारी देने को कहा है, जिसमें डेरा मुखी जैसे अन्य दोषियों में से कितनों की पैरोल की अर्जी सरकार द्वारा खारिज की गई है.

राम रहीम ने याचिका में क्या कहा है?
सिरसा डेरा प्रमुख ने अपनी अर्जी में कहा है कि इस साल उसके पास 41 दिन की पैरोल/फरलो शेष है. वो इनका लाभ लेना चाहता है. नतीजतन उसने इस साल 20 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो समेत कुल 41 दिन की अवधि की रिहाई के लिए पात्र होने का दावा किया है. गौरतलब है कि 29 फरवरी को हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने राज्य सरकार को भविष्य में अदालत की अनुमति बिना डेरा प्रमुख की पैरोल के आवेदन पर विचार ना किए जाने के निर्देश दिए गए हैं.

सुधारात्मक प्रकृति और सामाजिक संबंधों का हवाला:
डेरा प्रमुख ने हाइकोर्ट के 29 फरवरी के आदेश संबंधी पैरोल/फरलो पर लगाई रोक हटाने की मांग करते हुए दलील दी है. इस दलील के अनुसार पैरोल और फरलो देने का उद्देश्य सुधारात्मक प्रकृति और दोषी को परिवार व समाज के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने में सक्षम बनाना बताया गया है. इसके अलावा हरियाणा गुड कंडक्ट प्रिजनर्स (टेम्पररी रिलीज) एक्ट-2022 के तहत पात्र दोषियों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में 70 दिन की पैरोल और 21 दिन की फरलो देने का अधिकार दिये जाने का भी हवाला दिया गया है.

याचिका में कहा गया है कि नियम किसी भी ऐसे दोषी की पैरोल और फरलो देने पर रोक नहीं लगाते हैं, जिसे आजीवन कारावास और निश्चित अवधि की सजा वाले तीन या अधिक मामलों में दोषी ठहराकर सजा सुनाई गई हो.

संगीन अपराध के 89 दोषियों को मिलती रही पैरोल:
डेरा प्रमुख द्वारा दलील दी गई है कि हरियाणा सरकार मामले में जवाब दायर कर बता चुकी है कि उसके अलावा ऐसे 89 और दोषी भी हैं, जिन्हें तीन या इससे अधिक संगीन अपराध में दोषी करार दिया गया लेकिन उन्हें समय पर पैरोल मिलती रही है. इस आधार पर गुरमीत सिंह ने कहा कि उसे मिली पैरोल गलत नहीं है.

हाई कोर्ट से आदेश में संशोधन की मांग:
डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने कहा इस साल उसे कुल 41 दिन की पैरोल/फरलो लेने का अधिकार है. इस आधार पर उसने हाईकोर्ट से पूर्व के आदेश में संशोधन की गुहार लगाई है. डेरा प्रमुख को पैरोल/फरलो देने के खिलाफ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने भी हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके बाद फरवरी में हाईकोर्ट द्वारा डेरा प्रमुख को कोर्ट की अनुमति के बिना पैरोल या फरलो देने पर रोक लगा दी गई थी.

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