चंडीगढ़: हरियाणा सरकार पर मंडरा रहे सियासी संकट को लेकर सभी की निगाहें अब राजभवन पर टिकी हैं. क्या राजभवन की तरफ से कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को मिलने का समय दिया जाएगा? या फिर राजभवन की ओर से कांग्रेस पार्टी को समय नहीं मिलेगा? कांग्रेस, जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल हरियाणा सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर चुके हैं. विपक्ष ने सरकार को बहुमत साबित करने के लिए फ्लोर टेस्ट की मांग रखी है. इस मामले में सारी निगाहें राजभवन पर टिकी हैं.
अल्पमत में हरियाणा सरकार? राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "वर्तमान हालात में लग रहा है कि सरकार इस संकट को दूर करने के लिए हर तरह का प्रयास करेगी. वर्तमान स्थिति में जो आंकड़ा विधानसभा के सदस्यों का है. वो 88 है. सत्ता पक्ष के पास 43 विधायक हैं, जबकि विपक्ष के पास 45 हैं. जिनमें कांग्रेस पार्टी के 30, जननायक जनता पार्टी के 10, इंडियन नेशनल लोकदल एक, 4 निर्दलीय हैं. इस हालत में अगर राज्यपाल सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कहते हैं, तो फिर सामान्य तौर पर तो सरकार अल्पमत में दिखाई दे रही है."
बीजेपी की राह आसान कर सकते हैं जेजेपी के बागी विधायक: धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "बीजेपी की राह जननायक जनता पार्टी के 3 विधायक आसान कर सकते हैं. जननायक जनता पार्टी के तीन विधायक पहले से ही बीजेपी के संपर्क में हैं. जैसा कि सब जानते हैं कि वे तीन विधायक पानीपत में भी पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात कर चुके हैं. सरकार को अगर सदन में बहुमत हासिल करना पड़ा, तो जेजेपी के तीन विधायक अपना इस्तीफा भी दे सकते हैं. जिससे सदन में मौजूद आंकड़ा 85 का हो जाएगा. इस स्थिति में सत्ता पक्ष के पास 43 और विपक्ष के पास 42 का आंकड़ा रह जाएगा. यानी सत्ता पक्ष बहुमत हासिल कर सकता है."
जेजेपी विधायक भी बंटे! राजनीतिक मामलों के जानकार ने कहा "एक चर्चा इस बात को लेकर भी चल रही है कि जननायक जनता पार्टी के जो विधायक अपनी पार्टी से नाराज चल रहे हैं. वो अलग से भी अपना धड़ा खड़ा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कम से कम सात विधायकों को एक साथ आना होगा. इसके बाद वो सातों कांग्रेस या बीजेपी के साथ जा सकते हैं या फिर अपनी अलग पार्टी भी खड़ी कर सकते हैं, लेकिन इसकी संभावनाएं कम हैं क्योंकि ये सातों विधायक बीजेपी या कांग्रेस के खेमे में खड़े दिखाई नहीं दे रहे हैं."