चंडीगढ़ : हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की आज बड़ी बैठक बुलाई गई थी. हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के घर पर इस बैठक को बुलाया गया था. भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौधरी उदयभान ने बैठक ली. बैठक में पार्टी के विधायक और नवनिर्वाचित सांसद मौजूद हैं. लोकसभा चुनाव के नतीजे और आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन किया गया. साथ ही बीजेपी सरकार को घेरने की आगे की रणनीति बनाई गई. लेकिन नवनिर्वाचित सांसद कुमारी शैलजा और तोशाम से विधायक किरण चौधरी बैठक में नहीं पहुंची.
हरियाणा कांग्रेस की बैठक : लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा विधानसभा में विधायकों के समीकरण बदल गए हैं. ऐसे में कांग्रेस पूरी तरह एक्टिव हो गई है. इसी सिलसिले में चंडीगढ़ में हरियाणा कांग्रेस विधायक दल की बैठक को बुलाया गया. कांग्रेस लगातार दावा कर रही है कि हरियाणा में बीजेपी सरकार अल्पमत में है. आज की बैठक में राज्य में अल्पमत को लेकर बीजेपी सरकार को घेरने की रणनीति बनाई गई. बैठक के बाद बोलते हुए रोहतक से सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बैठक में लोकसभा चुनाव में जनता के समर्थन को लेकर धन्यवाद प्रस्ताव पास किया गया है और जनता का आभार जताया गया है. हरियाणा में सबसे ज्यादा वोट प्रतिशत इंडी गठबंधन को मिला है. अब हरियाणा में कांग्रेस का लक्ष्य प्रदेश को बचाना है. एक बार फिर से विकास की पटरी पर राज्य को लाना है. साथ ही गरीबों का कल्याण करके उन्हें भी मुख्य धारा में लाने का संकल्प पास किया गया है. दीपेंद्र हुड्डा ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी सरकार अल्पमत में है. सरकार के पास विधानसभा में संख्या बल नहीं है और नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए. राज्यपाल को संज्ञान लेना चाहिए कि प्रदेश में विधायकों की खरीद फरोख्त हो सकती है. इस तरह की चर्चाएं हैं कि अल्पमत से बचने के लिए एक-दो विधायकों के इस्तीफे भी करवा दिए जाएं. राज्यपाल को सरकार को बर्खास्त करते हुए चुनाव करवाना चाहिए.
हरियाणा में विधानसभा चुनाव में हाथ के साथ नहीं AAP : दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस का गठबंधन लोकसभा चुनाव तक ही था. कांग्रेस पार्टी प्रदेश की 90 सीटों पर अकेले लड़ने में सक्षम है.
बहुमत से दूर बीजेपी : आपको बता दें कि भले ही हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी करनाल विधानसभा उपचुनाव जीत चुके हो लेकिन इस जीत के बावजूद हरियाणा में बीजेपी विधायकों का आंकड़ा 41 है. इसके अलावा बीजेपी को एक निर्दलीय विधायक नयन पाल रावत और हलोपा के गोपाल कांडा का समर्थन हासिल है. लेकिन इसके बावजूद आंकड़ा मिलकर 43 हो रहा है जो मौजूदा वक्त में बहुमत से एक अंक दूर है. वहीं अगर सदन में कांग्रेस, जजपा और इनेलो एक साथ आ गए तो बीजेपी सरकार की परेशानी बढ़ सकती है. बीजेपी भी विधानसभा में कम "नंबर" होने के संकट से उबरना चाहती है. कुछ दिन पहले ही चंडीगढ़ में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जननायक जनता पार्टी (JJP) के दो विधायकों जोगीराम सिहाग और रामनिवास सुरजाखेड़ा से मुलाकात की थी.
![Haryana Congress Legislative Party meeting in Chandigarh strategy will be made against the government Bhupinder Singh Hooda](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/10-06-2024/21677100_congress.jpg)
हरियाणा विधानसभा में ऐसी स्थिति क्यों ?: दरअसल 90 विधायकों वाले हरियाणा विधानसभा में अब 87 विधायक ही बचे हैं. बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया है, जबकि लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सिरसा की रानियां सीट से रणजीत सिंह चौटाला ने इस्तीफा दे दिया था लेकिन उन्हें लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा. वहीं मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी अंबाला लोकसभा सीट से सांसद बन चुके हैं. ऐसे में 87 सदस्य वाले हरियाणा विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 46 से गिरकर 44 हो गया है. वहीं पहले बीजेपी जजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही थी लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले ये गठबंधन टूट गया. वहीं 3 निर्दलीय विधायकों ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया. हालांकि सीएम नायब सिंह सैनी ने मार्च में ही फ्लोर टेस्ट के दौरान बहुमत साबित किया है. ऐसे में 6 महीने तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है और अक्टूबर तक हरियाणा में विधानसभा चुनाव भी होने हैं.
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