नई दिल्ली : कांग्रेस पदाधिकारी विपक्ष के नेता राहुल गांधी के निर्देश का पालन करने की कोशिश कर रहे हैं कि हरियाणा विधानसभा चुनाव के सभी टिकटों को सर्वसम्मति से मंजूरी दी जानी चाहिए. साथ ही पार्टी नेता 5 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए एकजुट टीम उतारने की पहल में जुटे हैं. पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति अब तक कुल 90 विधानसभा सीटों में से 66 पर आम सहमति बनाने में सफल रही है, लेकिन शेष 24 सीटों पर कोई सहमति नहीं बन सकी क्योंकि तीन मजबूत क्षेत्रीय नेता पूर्व मुख्यमंत्री बीएस हुड्डा, लोकसभा सांसद कुमारी शैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला अपने उम्मीदवारों के नामों पर जोर देते रहे.
हरियाणा के एआईसीसी प्रभारी दीपक बाबरिया ने ईटीवी भारत को बताया कि हमने सीईसी के दो दौर आयोजित किए हैं और 90 सीटों में से 66 को अंतिम रूप दिया है. शेष सीटों को एक समीक्षा समिति को भेजा गया है, जो जल्द ही मामले को सुलझा लेगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार 2 और 3 सितंबर को सीईसी की बैठक से पहले, एआईसीसी कोषाध्यक्ष अजय माकन की अध्यक्षता वाली हरियाणा के लिए स्क्रीनिंग कमेटी ने क्षेत्रीय नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत की. हालांकि वे एक संतोषजनक सूची पर नहीं पहुंच सके, जिसे केंद्रीय चुनाव समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जा सके.
बाबरिया ने कहा कि हमने सभी सीटों पर विस्तार से चर्चा की और सर्वसम्मति से 66 सीटों को मंजूरी दी, लेकिन अभी कुछ और विचार-विमर्श बाकी है. कांग्रेस राज्य में एकजुट है और अगली सरकार बनाएगी. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, स्क्रीनिंग पैनल के प्रमुख अजय माकन, राज्य प्रभारी बाबरिया और वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री के साथ अब 5 सितंबर को तीन क्षेत्रीय नेताओं हुड्डा, शैलजा और सुरजेवाला से एक-एक करके बात करेंगे. ताकि उनके बीच मतभेदों को दूर किया जा सके और शेष सीटों पर आम सहमति बनाई जा सके.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि समीक्षा समिति की सिफारिशों के आधार पर सीईसी को नाम भेजे बिना ही टिकटों को मंजूरी दे दी जाएगी. हरियाणा की 90 सीटों के लिए करीब 2556 आवेदन आए थे, यानी हर सीट पर औसतन 28 आवेदन आए. राज्य इकाई में अंदरूनी कलह को रोकने के लिए आलाकमान ने मौजूदा सांसदों शैलजा, सुरजेवाला और बीएस हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को विधानसभा टिकट देने से मना कर दिया था, जो सभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे. हालांकि, क्षेत्रीय नेताओं को आश्वासन दिया गया था कि टिकट मंजूरी में उनके सुझावों पर विचार किया जाएगा. पहली सूची 4 सितंबर को घोषित की जा सकती है क्योंकि कांग्रेस ने अपने 28 मौजूदा विधायकों में से अधिकांश को फिर से मैदान में उतारने का फैसला किया है. लेकिन कुछ विधायकों को प्रदर्शन के मुद्दों पर फिर से नामांकन खोना पड़ सकता है.
अगर सीट बंटवारे पर औपचारिक सहमति बन जाती है तो पार्टी पदाधिकारी सहयोगी आप और सपा के लिए कुछ सीटें छोड़ सकते हैं. इसके अलावा, कांग्रेस पदाधिकारी द्वारा पहलवान विनेश फोगट और बजरंग पुनिया को क्रमश: जुलाना और बादली सीटों से मैदान में उतारने की संभावना है, क्योंकि दोनों ने 4 सितंबर को विपक्ष के नेता राहुल गांधी से मुलाकात की थी. विनेश और बजरंग ने एआईसीसी के प्रभारी संगठन केसी वेणुगोपाल से भी मुलाकात की, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि बैठक चुनाव से संबंधित नहीं थी. इससे पहले, कांग्रेस ने पेरिस 2024 ओलंपिक में हुई गड़बड़ी के पीछे एक साजिश का आरोप लगाया था, जिसमें विनेश फोगट फाइनल में पहुंची थीं, लेकिन उन्हें खेलने से रोक दिया गया था क्योंकि उनका वजन थोड़ा ज़्यादा पाया गया था. बाद में उन्होंने कोर्ट में रजत पदक के लिए अपील की, जिसने उनके मामले को खारिज कर दिया. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने मांग की थी कि खेलों में योगदान के लिए विनेश को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया जाए.
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