Rani Laxmi Bai Poem Changed: झांसी की रानी का बलिदान दिवस, वो दिन जब झांसी से आई एक वीरांगना ने देश की आजादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे. इसी दिन ग्वालियर के राजवंश सिंधिया परिवार पर गद्दारी की तोहमत लगी थी. जिसे कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपनी कविता के माध्यम से लोगों तक बड़ी खूबी से पंहुचाया. झांसी वाली रानी की इस कविता को बच्चे स्कूल में पढ़ते आये हैं. कविता में जिन गद्दारों का उल्लेख जिन पंक्तियों में किया गया है अब उनमें बदलाव देखा जा रहा है. इस बदलती तस्वीर पर सियासी सरगर्मियां तेज हो चुकी हैं.
ग्वालियर में बलिदान दिवस
रानी लक्ष्मीबाई सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी. आज भी उनकी शहादत को याद किया जाता है. 18 जून को रानी लक्ष्मी बाई की शहादत की याद में प्रतिवर्ष मध्यप्रदेश के ग्वालियर में बलिदान दिवस मनाया जाता है. इस दौरान कई प्रोग्राम किए जाते हैं जिनमें रानी लक्ष्मीबाई द्वारा लड़ी गई लड़ाई का उल्लेख किया जाता है लेकिन इस बार यह कुछ अलग है. जिससे सियासत भी गरमाई हुई है क्योंकि कविता में बदलाव का सीधा नाता सिंधिया परिवार से है. यही वजह है कि एक तरफ कांग्रेस इतिहास से जुड़े तथ्यों को लेकर सवाल खड़े कर रही है तो भाजपा किसी भी प्रकार की नकारात्मकता को दूर रखने की बात कह रही है.
झांसी वाली रानी की शौर्य गाथा में बदलाव
असल में बात ऐसी है कि रानी लक्ष्मीबाई की 1857 की क्रांति के दौरान हुई लड़ाई की कुछ झलकियां हर साल ग्वालियर में आयोजित बलिदान दिवस के कार्यक्रम में नाट्य मंचन और कविता के जरिए दिखाई जाती रही है, जिसमें सिंधिया परिवार से जुड़ी ऐतिहासिक बातों को उजागर किया जाता था जो इस राज घराने के लिए अलग छवि प्रदर्शित करती थी, लेकिन इस बार ना सिर्फ नाटक में बदलाव किया गया है बल्कि सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई रानी लक्ष्मीबाई की मशहूर कविता 'झांसी की रानी' की प्रमुख पंक्तियों में भी बदलाव किया गया है. कविता के पुराने स्वरूप में बताया गया था जब रानी लक्ष्मीबाई ग्वालियर पहुंची थी तो उस समय अंग्रेजों के मित्र कहे जाने वाले सिंधिया परिवार ने उनके साथ नहीं दिया था जिन्हें इस तरह से कहा गया था कि "अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी" जो की कविता से गायब नजर आ रही है.
'देशभक्ति में नकारात्मकता ढूंढ़ना दृष्टि दोष'
इस कविता के नए रूप को लेकर ग्वालियर की सियासत में कुछ सरगर्मियां देखी जा रही हैं. कविता में हुए बदलाव को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेता जयभान सिंह पवैया का कहना है कि "यह आयोजन देशभक्ति का आयोजन है और इसमें नकारात्मक बातों को ढूंढने की कोशिश एक पवित्र आयोजन में हमारा दृष्टि दोष है. आयोजन के दौरान उन सभी शस्त्र और अस्त्रों को भी प्रदर्शित किया जाता है जिनके माध्यम से झांसी की रानी लड़ाइयां लड़ा करती थीं."
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'इतिहास को धूमिल कर रही बीजेपी की वाशिंग मशीन'
इधर कविता की पंक्तियों में कांट-छांट पर कांग्रेस के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष आरपी सिंह का कहना है कि "यह कोई नई बात नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी ने इतिहास के साथ खिलवाड़ किया है. अपना ही पक्ष रखने के लिए एक नया इतिहास नई पीढ़ी के सामने रखने का प्रयास किया है, जब भी झांसी की रानी की बात होती है तो जो गद्दार थे जिनकी वजह से वे शहीद हुई उनका भी जिक्र होता है लेकिन अब बीजेपी की वाशिंग मशीन इतिहास को भी धूमिल करने में लगी हुई है."