ग्वालियर: चंबल की पहचान भले ही बंदूक और डकैतों से रही है. लेकिन यही चम्बल अपनी धरा पर कई ऐतिहासिक धरोहर संजोये हुए हैं और आज भी चम्बल में बनी ऐतिहासिक इमारतें इस क्षेत्र कि यात्रा बयां करती हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा इस क्षेत्र में कई पौराणिक अवशेषों को संरक्षित किया है. अटेर का खूबसूरत किला हो या महाभारत काल में पांडवों द्वारा बनवाया गया शिव मंदिर. अब एक बार फिर पुरातत्व विभाग द्वारा चंबल की ऐतिहासिक विरासत को संजोने का काम शुरू हुआ है. जिसमें लगभग 1000 वर्ष पुराना विष्णु मंदिर का जीर्णोद्धार कर उसे उसी रूप में तैयार किया जाएगा. इसके साथ ही चार अन्य स्मारकों को भी उनका स्वरूप लौटाया जाएगा.
जीर्णशीर्ण हालत में मिला मंदिर, कई हिस्से अब भी साबुत
करीब 12 वर्ष पहले मुरैना जिले की शनिश्चरा धाम स्थित एंती गांव में शनिश्चरा पहाड़ी पर बने टीले पर विष्णुमंदिर के अवशेष पुरातत्व विभाग को मिले थे. इन पर हुए गहन अध्ययन के बाद यह बात सामने आयी थी कि यह मंदिर भगवान विष्णु का है, जो करीब 1000 साल पुराना था. लेकिन इस मंदिर के सभी हिस्से आसपास बिखरे हुए थे. सर्वे में पता चला था कि टीले में कच्छप घात कालीन मंदिर था, जो समय के साथ साथ टीले में परिवर्तित हो गया था. ये मंदिर 10वीं शताब्दी में बना था. इन अवशेषों में मंदिर के वेदीबंद साबुत हालत में था. इसके साथ ही अंतरपट्टिका, कुंभ कलश, कपोतिका, कणिका, खुरप पूरी तरह साबुत हैं. यहां पायी गई प्रतिमा में भगवान विष्णु रथ पर विराजमान हैं.
मुरैना से 35 किलोमीटर दूर मिला था विष्णु मंदिर
मुरैना के जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि, ''अब मुरैना से 35 किलोमीटर दूर शनिश्चर धाम में भगवान विष्णु का यह मंदिर जो लगभग एक हजार साल पुराना है जो अपने समय में बेहद खूबसूरत मंदिर रहा होगा. लेकिन कालांतर में वायु परिवर्तन और पर्यावरण के चलते यह जीर्णशीर्ण (टूटा फूटा) हालत में मिला था.''
चंबल के इन स्मारकों का होगा जीर्णोद्धार
जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा के मुताबिक, ''अब पुरातत्व विभाग द्वारा शनिश्चर धाम के विष्णु मंदिर समेत भिंड जिले के गोहद किला, डांग गांव में स्थित शिव मंदिर, भिंड शहर में स्थित किला और भिंड के ही सीता राम की लावन गांव में बने शिव और देवी मंदिर को उनके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए जीर्णोद्धार कर पूर्व स्वरूप में लाने का फैसला किया गया है.''
अवशेषों को जोड़कर लौटाएंगे पुराना स्वरूप
पुरातत्व विभाग द्वारा जीर्णोद्धार कार्य के लिए टेंडर प्रक्रिया भी जारी कर दी गई है. विष्णु मंदिर पर इस प्रोजेक्ट में खास तवज्जो रहेगी. इस पुरातत्त्व मंदिर को इसके आस पास खुदाई कर इसके सभी अवशेषों को जोड़ कर पुनः उसी स्वरूप में लाने का प्रयास किया जा रहा है, जिस स्वरूप में कभी यह विष्णु मंदिर हुआ करता था. इसके जीर्णोद्धार का कार्य भी जल्द शुरू होगा.
पर्यटन के क्षेत्र में होगा फायदा
वैसे तो चंबल में इतिहास की झलक जगह जगह देखने को मिलती है, लेकिन उतनी ही आस्था यहां दंदरौआ में स्थित डॉक्टर हनुमान मंदिर और शनिश्चरा धाम पर आने वाले श्रद्धालुओं में देखने को मिलती है. साथ ही साथ यहां पूरे देश से कई पर्यटक पहुंचते हैं. ऐसे में जब विष्णु मंदिर के रूप में एक भव्य और पौराणिक मंदिर जुड़ेगा तो इस क्षेत्र को और भी फायदा होगा.
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पांच स्मारकों पर दो करोड़ खर्च करेगा पुरातत्व विभाग
ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने का प्रयास शुरू हो ही गया है. आपको यह भी बता दें कि इस काम के लिए पुरातत्व विभाग लगभग 2 करोड़ रुपया खर्च करने वाला है. विष्णु मंदिर को इसका स्वरूप लौटाने के लिए लगभग 17 लाख रुपया खर्च किए जाएंगे. वहीं, लावन गांव में बने मंदिर पर करीब 28 लाख रुपया से अधिक का खर्चा आएगा. इसके साथ ही डांग गांव में स्थित मंदिर का जीर्णोद्धार करीब 7 लाख रुपया से होगा. भिंड जिले के किले की जीर्णोद्धार की लागत करीब 79 लाख रुपया आएगी. तो गोहद किले का 75.39 लाख रुपये के बजट से जीर्णोद्धार कराया जाएगा.