वडोदरा : गुजरात में मोटनाथ रेजीडेंसी कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड के निवासी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे सोसाइटी में एक मुस्लिम महिला को दिए गए आवास आवंटन को अमान्य करने की मांग कर रहे हैं. सोसाइटी हिंदू बहुल है. जिस महिला को फ्लैट आवंटित किया गया है, वह एक सरकारी कर्मचारी है. आवंटन सीएम आवास योजना के तहत हुआ था.
2017 में एलआईजी स्कीम के तहत उस महिला ने फ्लैट के लिए आवेदन किया था. आवेदन के बाद लकी ड्रॉ में उस महिला को फ्लैट प्राप्त हुआ था. महिला उद्यमिता और कौशल विकास मंत्रालय में काम करती है. फ्लैट वडोदरा के हरनी इलाके में स्थित है. इस सोसाइटी में रहने वाले 33 परिवारों ने जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि उस महिला का आवंटन रद्द किया जाए.
इस ज्ञापन में यह कहा गया है कि हरनी क्षेत्र एक हिंदू बहुल शांतिपूर्ण क्षेत्र है और लगभग चार किलोमीटर की परिधि में मुसलमानों की कोई बस्ती नहीं है. यह 461 परिवारों की शांतिपूर्ण जिंदगी में आग लगाने जैसा है. कागजी कार्रवाई के बाद मार्च 2019 में मकान संख्या K204 उस महिला के हिस्से आया.
कौशल विकास मंत्रालय में कार्यरत 44 वर्षीय मुस्लिम महिला ने मीडिया को बताया कि 2020 में निवासियों ने उसके आवंटन को अमान्य करने की मांग के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को भी एक पत्र लिखा था. हालिया विरोध प्रदर्शन 10 जून से शुरू हुआ है.
वर्तमान में शहर के दूसरे इलाके में अपने माता-पिता के साथ रहने वाली महिला ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा कि वह वडोदरा के उस इलाके में पली-बढ़ी है, जहां मिश्रित आबादी है. उसने यह भी कहा कि उसके परिवार ने कभी भी मुस्लिम बस्ती की अवधारणा में विश्वास नहीं किया. वह हमेशा चाहती थी कि उसका बेटा एक समावेशी पड़ोस में बड़ा हो, लेकिन उसके सपने चकनाचूर हो गए, क्योंकि वह छह साल से ऐसी स्थिति का सामना कर रही है.
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेरा बेटा अब 12वीं कक्षा में है और इतना बड़ा हो गया है कि समझ सके कि क्या हो रहा है. उसके अनुसार भेदभाव उस पर मानसिक रूप से असर डालेगा. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मैं सिर्फ इस विरोध के कारण अपनी मेहनत से कमाई गई संपत्ति को बेचना नहीं चाहती, मैं इंतजार करूंगी.
महिला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि हाल ही में उन्होंने रखरखाव बकाया के बारे में उससे संपर्क किया था, जिसे वह भुगतान करने के लिए सहमत हुई थी यदि वे उसे शेयर प्रमाणपत्र प्रदान करते. उन्होंने कहा कि वह वीएमसी को पहले ही ₹50,000 का एकमुश्त रखरखाव शुल्क का भुगतान कर चुकी हैं.
वडोदरा नगर निगम ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि आवंटन लॉटरी प्रणाली के माध्यम से किया गया था. अधिनियम के कार्यान्वयन से पहले आवश्यक दस्तावेज जमा किए गए थे. स्थायी समिति अध्यक्ष डॉ. शीतल मिस्त्री ने कहा कि लॉटरी प्रणाली 2017 में शुरू की गई थी. जिसमें कोई भी आवेदन कर सकता था. ड्रा में एक मुस्लिम महिला का नाम भी निकला. कागजी कार्रवाई 2018 में की गई थी जब अशांत क्षेत्र अधिनियम यहां लागू नहीं था. कानूनी तौर पर आवंटन रद्द नहीं किया जा सकता. हम घर के मालिक से बात कर सकते हैं और इसे सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.
इस संबंध में नगर पालिका के अफोर्डेबल हाउसिंग मैनेजर और कार्यकारी अभियंता इंजीनियर नीलेश परमार ने मीडिया को बताया कि बिल्डिंग के दस्तावेज 2018 में हुए थे. 2018 में अशांत एक्ट लागू नहीं था. सरकारी योजनाओं में धर्म आधारित आवंटन नहीं होता. आवंटन का फार्मूला भी सरकार ही तय करती है. इसमें नगर पालिका की कोई जिम्मेदारी नहीं है.
महापौर पिंकी सोनी ने कहा कि आवास का आवंटन मौजूदा नियमों के अनुसार ड्रा प्रणाली द्वारा किया जाता है. इसमें हर नागरिक आवेदन कर सकता है. मौजूदा नियमों के मुताबिक न तो धर्म देखा जाता है और न ही जाति. अगर सरकारी नियमों में कोई बदलाव होता है तो उसे तुरंत लागू किया जाएगा और जो विवाद उत्पन्न हुआ है उसे जनहित को ध्यान में रखते हुए सुलझाया जाएगा. अधिवक्ता नीरज जैन ने कहा कि अशान्त अधिनियम सरकार द्वारा लागू किया जाता है लेकिन इस ड्रा प्रणाली में भी बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए.