नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी, जिसमें अशांत क्षेत्रों की संपत्तियों पर 1991 के राज्य कानून के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने से इनकार कर दिया गया था.
यह मामला जस्टिस दीपांकर दत्ता और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ के समक्ष आया. पीठ ने वकील से पूछा, "अंतरिम आदेश द्वारा कुछ प्रावधानों को कैसे निलंबित किया जा सकता है?" पीठ ने कहा कि हर कानून के साथ संवैधानिकता की धारणा जुड़ी होती है.
सुनवाई के लिए इच्छुक नहीं सुप्रीम कोर्ट
पीठ ने कहा कि वह विशेष अनुमति याचिका को खारिज करते हुए हाई कोर्ट की खंडपीठ द्वारा पारित आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं है. बेंच ने वकील से पूछा, क्या आप हाई कोर्ट में जल्द सुनवाई में रुचि नहीं रखते हैं? इस पर वकील ने जवाब दिया कि वे चाहते हैं कि हाई कोर्ट में मुख्य मामले की जल्द सुनवाई हो.
इसके बाद पीठ ने कहा कि मुख्य याचिका पिछले तीन वर्षों से हाई कोर्ट में लंबित है और मामले की जल्द सुनवाई के लिए याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध कर सकते हैं. पीठ ने आगे कहा, "हम स्पष्ट करते हैं कि अगर रिट याचिका की शीघ्र सुनवाई का अनुरोध हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष किया जाता है, तो हमें विश्वास है कि इस अनुरोध पर विचार किया जाएगा."
किसने दायर की याचिका?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता हाई कोर्ट के समक्ष अधिनियम के प्रावधानों को चुनौती देने वाली अपनी लंबित याचिका को आगे बढ़ा सकते हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका जमीयत उलमा-ए-हिंद और अन्य द्वारा दायर की गई थी, जिसका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी और अधिवक्ता एजाज मकबूल ने किया था.
इससे पहले अक्टूबर में हाई कोर्ट ने गुजरात अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर प्रतिबंध और अशांत क्षेत्रों में परिसर से बेदखली से किराएदारों के संरक्षण के प्रावधान अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों को निलंबित करने की मांग करने वाली एक अर्जी को खारिज कर दिया था. यह कानून राज्य के अशांत क्षेत्रों में अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर रोक लगाता है.