नई दिल्ली: साइबर फ्रॉड का सामना कर रहे देशभर के लाखों मोबाइल यूजर्स को राहत देने के लिए सरकार ने पूरी तरह कमर कस ली है. साथ ही ऐसे व्यक्तियों की सूची तैयार करने के लिए कदम उठाए गए हैं, जो अब नए सिम कार्ड के लिए पात्र नहीं होंगे. यानी वह अब नया सिम नहीं खरीद सकेंगे.
दरअसल, दूरसंचार विभाग (DoT) ने नए सिम कार्ड नियमों के तहत सख्त उपायों को लागू करना शुरू कर दिया है. हाल ही में, TRAI द्वारा शुरू किए गए अभियान का उद्देश्य फर्जी कॉल और एसएमएस की समस्या से निपटना है. अधिकारी इस संबंध में सख्त एक्शन लागू करने के लिए तैयार हैं.
तीन साल तक का बैन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक किसी और के नाम पर सिम कार्ड प्राप्त करने या धोखाधड़ी वाले मैसेज भेजने वाले व्यक्ति पर सख्त एक्शन लिया जाएगा. साथ ही ऐसे अपराधियों को साइबर सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में कैटेग्राइज किया जाएगा. जानकारी के मुताबिक ऐसे यूजर्स को तीन साल तक के प्रतिबंध का सामना करना पड़ सकता है.
फेक मैसेज भेजना भी दंडनीय अपराध
नए नियमों के तहत, किसी दूसरे व्यक्ति के नाम पर सिम कार्ड लेना अपराध माना जाता है और फेक मैसेज भेजना भी दंडनीय अपराध माना जाता है. 2025 से, इन अपराधियों के नाम एक ब्लैकलिस्ट में जोड़े जाएंगे, जिसे सभी दूरसंचार ऑपरेटरों के साथ शेयर किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके नाम से फिर से कोई सिम कार्ड जारी न हो.
ब्लैकलिस्ट किए गए लोगों के सिम कार्ड ब्लॉक कर दिए जाएंगे और उन्हें छह महीने से लेकर तीन साल तक की अवधि के लिए नया कनेक्शन लेने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा.सरकार ने इन साइबर सुरक्षा नियमों के तहत व्यक्तियों का एक संग्रह बनाने का फैसला किया है.एक बार सूची तैयार हो जाने के बाद, इन यूजर्स को नोटिस भेजा जाएगा, जिसमें सात दिनों के भीतर जवाब देने की आवश्यकता होगी.
सार्वजनिक हित से जुड़े मामलों में सरकार बिना किसी पूर्व सूचना के कार्रवाई कर सकती है. परिणामस्वरूप, शख्स छह महीने से तीन साल तक नया सिम कार्ड नहीं खरीद सकेगा. इन साइबर सुरक्षा रेगूलेशन की आधिकारिक घोषणा नवंबर में की गई थी, जिसमें अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कई नए प्रावधान पेश किए गए थे.
इंडिया टीवी के मुताबिक सरकार इसे लागू करने के लिए ऐसे व्यक्तियों का एक भंडार बना रही है. साथ ही अपराधियों को 7-दिन के रेस्पांस टाइम के साथ नोटिस प्राप्त होंगे.
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