गुड पेरेंटिंग टिप्स: आज की दुनिया में बहुत कॉम्पिटिशन है. नतीजतन, नौकरी के क्षेत्र में केवल वही लोग अवसर प्राप्त कर रहे हैं जो टॉप पर हैं. इन परिस्थितियों में माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चे शिक्षा में आगे बढ़ें. न केवल कक्षा में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम से जूझना, बल्कि करंट अफेयर्स, सामान्य ज्ञान जैसे विषयों में भी महारत हासिल करे. हालाँकि, बच्चों को उस स्तर पर पहुंचाने की चाहत ही काफी नहीं है. उन पर लगातार दबाव काम नहीं करेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर माता-पिता तथ्यों को समझे और कुछ सुझावों का पालन करें तो वे अपने बच्चों को प्रतिभावान के रूप में देख सकते हैं. आइए इस बारे में जानें कि आप कैसे अपने बच्चों को होनहार बनाएं.
तनाव न लें: एक्सपर्ट्स का कहना है कि पैरेंट्स को अपने बच्चों की पढ़ाई को लेकर तनाव नहीं लेना चाहिए. जब बच्चे पढ़ाई में पिछड़ रहे होते हैं तो वे उन पर ज्यादा दबाव डाले बिना उनसे संवाद बढ़ाना चाहिए. उनका कहना है कि वे क्यों पिछड़ रहे हैं इसके बारे में जाने और इसका समाधान निकालें. इसके अलावा एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि अगर बच्चों पर दबाव डाला गया तो धोखाधड़ी पहले होगी. पैरेंट्स और बच्चों के बीच संवाद जितना साफ होगा, उनके बीच रिश्ता उतना ही मजबूत होगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे दोनों के बीच दोस्ती भी दोगुनी होगी जिससे बच्चे अपने पैरेंट्स से कई चीजें सीख सकेंगे.
टाइम टेबल बनाएं: बच्चों को परीक्षा में अच्छे अंक दिलाने में अभिभावकों की भूमिका अहम होती है. जब बच्चों की परीक्षा हो तो पहले से ही टाइम टेबल बना लेना चाहिए. उसमें सभी विषयों के अभ्यास के लिए पर्याप्त समय होना चाहिए. साथ ही बीच-बीच में खेलकूद और शौक के लिए भी समय होना चाहिए. इसके साथ ही टाइम टेबल में समय भी सेट करना चाहिए ताकि पर्याप्त नींद मिल सके.
टारगेट सेट करना चाहिए: बच्चों के साथ रहते हुए उन्हें यह टारगेट देना चाहिए कि उन्हें इतने अंक मिलने चाहिए. यह ध्यान रखना चाहिए कि जल्दी से जल्दी पूरा अंक लाने का अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए. केवल वही टारगेट सेट करें जो उनकी प्रतिभा से कम हो. सबसे पहले क्या करना चाहिए और किस काम के लिए कितना समय देना चाहिए? उन्हें ऐसी बातें सिखानी चाहिए. साथ ही उनकी कमजोरी और रुचि के हिसाब से किसी विषय को कितने समय तक पढ़ना है, इसकी योजना भी बनानी चाहिए.
इसके साथ ये भी करें..
सुनिश्चित करें कि घर पर पढ़ाई करते समय आपके बच्चे विचलित न हों. घर में शांतिपूर्ण माहौल बनाएं.
यह मत कहिए कि आपको हर समय पाठ्यपुस्तकों से चिपके रहना है. बोरिंग नहीं, कुछ रोचक कहानी वाली किताबें दें.
परीक्षा से पहले देखें कि बच्चों को सही भोजन दिया जा रहा है या नहीं. यह भी सुनिश्चित करें कि भोजन में पर्याप्त पोषक तत्व हों.
याद रखने वाली आखिरी बात यह है कि भले ही परीक्षा में कम अंक आएं, भले ही वे अंत में फेल हो जाएं, किसी भी हालत में बच्चों को डांटे या मारें नहीं.
बस इसे नजरअंदाज कर दीजिए. निश्चिंत रहिए कि अगली बार हम बेहतर प्रयास करेंगे. असफलता के बाद सफल होने वालों की कहानियाँ बताइए.
अगर उन्हें अच्छे अंक मिले तो बच्चों को बधाई जरूर दीजिए. उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कीजिए.
अंत में इस दुनिया में आपकी लड़की/लड़के जैसा कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है. वे खुद ही हैं. यह समझिए कि आप किसी और से अतुलनीय हैं. उनकी किसी से तुलना मत कीजिए. इस बारे में बिल्कुल भी बात मत कीजिए कि अगर वे उनके जैसे नहीं बने हैं तो वे बेकार क्यों हैं.
नौकरी, पारिवारिक जिम्मेदारियों के नाम पर बच्चों को समय न देना गलत है. हर दिन उनके साथ कुछ समय बिताएं. विशेषज्ञों का कहना है कि इन चीजों को आजमाएं और आप अपने बच्चे में बदलाव जरूर देखेंगे.