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NEET में नहीं आए अच्छे नंबर, तो निराश ना हों, डॉक्टर बनने के कई दूसरे तरीके भी हैं उपलब्ध - Good News For medical Students

नीट परीक्षा में कम नंबर आने पर छात्रों को निराश होने की जरूरत नहीं है. आयुर्वेदिक कॉलेज में एडमिशन के साथ दुनिया के कई देशों में एमबीबीएस करने का मौका है. जानिए कम फीस में आप कहां मेडिकल की पढ़ाई कर सकते हैं. वहीं देश में भी कम फीस वाले कई मेडिकल कॉलेज हैं.

GOOD NEWS FOR MEDICAL STUDENTS
डॉक्टर बनने के कई दूसरे तरीके भी हैं उपलब्ध (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jun 7, 2024, 10:53 PM IST

Updated : Jun 8, 2024, 10:37 AM IST

जबलपुर। भारत में इस साल लगभग 23 लाख बच्चों ने नीट परीक्षा दी है, लेकिन इनमें से मात्र लाख बच्चों को ही एमबीबीएस करने का मौका मिल पाएगा. ऐसा नहीं है कि बाकी बच्चे डॉक्टर नहीं बन सकते. डॉक्टर बनने के कुछ दूसरे तरीके भी हैं. मेडिकल के अलावा इन माध्यमों से भी आयुर्वेदिक डिग्री, होम्योपैथिक डिग्री और फिजियोथेरेपी में चिकित्सा शिक्षा ली जा सकती है. इनमें एमबीबीएस की अपेक्षा कम कंपटीशन है और मौजूदा समय में इन डिग्रियों का भी महत्व एमबीबीएस से कहीं काम नहीं है.

नीट छात्रों के लिए खबर (ETV Bharat)

भारत में कुल 695 मेडिकल कॉलेज

इस साल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए होने वाले एंट्रेंस परीक्षा नीट में भारत भर में 23 लाख 33000 से अधिक छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी. जबकि भारत में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में कुल मिलाकर 106033 सीट्स हैं, भारत में कुल मिलाकर 695 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें से सरकारी मेडिकल कॉलेज में 55648 सीट है. इसके अलावा 50685 सीट्स निजी मेडिकल कॉलेजे में है. नीट परीक्षा की तैयारी करवाने वाले जानकार के अनुसार सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए कम से कम 654 नंबर चाहिए. 654 नंबर तक 26000 रैंक आ रही है. इससे नीचे यदि आपके नंबर हैं, तो सरकारी मेडिकल कॉलेज में आपका एडमिशन नहीं हो पाएगा.

NEET STUDENTS DO MBBS FROM FOREIGN
कम फीस वाले निजी मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat Graphics)

यह कुछ ऐसे कॉलेज हैं, जिनमें फीस दूसरे निजी मेडिकल कॉलेज से कम है, लेकिन इसमें सिलेक्शन रैंक के हिसाब से ही होता है. फीस की दर 2023 के अनुसार है.

एमबीबीएस इन एब्रॉड

जबलपुर के रेहुल एक एजेंसी चलाते हैं, जो भारतीय विद्यार्थियों को विदेशी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करवाती है. राहुल का कहना है कि नेपाल, कजाकिस्तान ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, यूएसएसआर जैसे कई देशों में भारतीय विद्यार्थी एमबीबीएस करने जाते हैं और अलग-अलग देशों के हिसाब से एमबीबीएस कोर्स की कुल फीस 25 लाख से शुरू होकर एक करोड़ रुपए तक पहुंचती है.

जर्मनी में मेडिकल एजुकेशन बिल्कुल फ्री

इनमें से जर्मनी एक ऐसा देश है. जहां पढ़ाई पूरी तरह से फ्री है. मतलब यदि जर्मनी में आप मेडिकल एजुकेशन लेते हैं, तो आपको कुछ परीक्षाएं पास करनी होती हैं और आपका एडमिशन जर्मनी के मेडिकल कॉलेज में हो जाता है. जर्मनी में पढ़ाई का पैसा नहीं लगता. इसलिए यहां पर यदि कोई विद्यार्थी मेहनत कर सकता है तो फ्री में मेडिकल एजुकेशन प्राप्त कर सकता है.

आयुर्वेद में चिकित्सा डिग्री

यदि आपका सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए नहीं हो पा रहा है, तो बीएएमएस एक बेहतर विकल्प है. जबलपुर में करियर काउंसलर शिवांशु मेहता का कहना है कि 'आयुर्वेद का जिस तरह से चलन बढ़ रहा है. उसमें आयुर्वेद के क्वालिफाइड डॉक्टरों की बड़ी मांग है. बीएएमएस करके डॉक्टर न केवल प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं, बल्कि सरकारी और निजी क्षेत्र में भी इन्हें नौकरियां मिलती हैं. भारत में आयुर्वेद की शिक्षा के कई सरकारी कॉलेज हैं. जिनमें काफी कम फीस में यह डिग्री पूरी की जा सकती है.

शिवांशु मेहता का कहना है कि ऐसा नहीं है कि केवल बायोलॉजी लेकर एमबीबीएस की ही पढ़ाई की जा सकती है, बल्कि कई ऐसे कोर्स हैं, जिनमें अच्छे मौके हैं. आईसर का एंट्रेंस एग्जाम है. इसमें भी अच्छा करियर बनाया जा सकता है. फॉरेंसिक साइंस में भी पढ़ाई की जा सकती है. बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी बायोलॉजी के स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके हैं.

यहां पढ़ें...

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एमबीबीएस के अलावा बीडीएस भी अच्छा कोर्स

एमबीबीएस के अलावा बीडीएस भी एक ऐसा कोर्स है. जिसमें कम रैंक आने पर भी कॉलेज में एडमिशन मिल जाता है. बीडीएस के डॉक्टर की भी भारत में अच्छी मांग है. वहीं होम्योपैथिक और फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर भी प्रैक्टिस और नौकरी दोनों में ही समस्या नहीं है, इसलिए यदि नीट में आपकी रैंक अच्छी नहीं आई है, तो निराश होने की जरूरत नहीं है और एलोपैथिक की जगह दूसरी पद्धति से भी चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की जा सकती है और डॉक्टर बना जा सकता है.

जबलपुर। भारत में इस साल लगभग 23 लाख बच्चों ने नीट परीक्षा दी है, लेकिन इनमें से मात्र लाख बच्चों को ही एमबीबीएस करने का मौका मिल पाएगा. ऐसा नहीं है कि बाकी बच्चे डॉक्टर नहीं बन सकते. डॉक्टर बनने के कुछ दूसरे तरीके भी हैं. मेडिकल के अलावा इन माध्यमों से भी आयुर्वेदिक डिग्री, होम्योपैथिक डिग्री और फिजियोथेरेपी में चिकित्सा शिक्षा ली जा सकती है. इनमें एमबीबीएस की अपेक्षा कम कंपटीशन है और मौजूदा समय में इन डिग्रियों का भी महत्व एमबीबीएस से कहीं काम नहीं है.

नीट छात्रों के लिए खबर (ETV Bharat)

भारत में कुल 695 मेडिकल कॉलेज

इस साल मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए होने वाले एंट्रेंस परीक्षा नीट में भारत भर में 23 लाख 33000 से अधिक छात्र-छात्राओं ने परीक्षा दी थी. जबकि भारत में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए सरकारी मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में कुल मिलाकर 106033 सीट्स हैं, भारत में कुल मिलाकर 695 मेडिकल कॉलेज हैं. इनमें से सरकारी मेडिकल कॉलेज में 55648 सीट है. इसके अलावा 50685 सीट्स निजी मेडिकल कॉलेजे में है. नीट परीक्षा की तैयारी करवाने वाले जानकार के अनुसार सरकारी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए कम से कम 654 नंबर चाहिए. 654 नंबर तक 26000 रैंक आ रही है. इससे नीचे यदि आपके नंबर हैं, तो सरकारी मेडिकल कॉलेज में आपका एडमिशन नहीं हो पाएगा.

NEET STUDENTS DO MBBS FROM FOREIGN
कम फीस वाले निजी मेडिकल कॉलेज (ETV Bharat Graphics)

यह कुछ ऐसे कॉलेज हैं, जिनमें फीस दूसरे निजी मेडिकल कॉलेज से कम है, लेकिन इसमें सिलेक्शन रैंक के हिसाब से ही होता है. फीस की दर 2023 के अनुसार है.

एमबीबीएस इन एब्रॉड

जबलपुर के रेहुल एक एजेंसी चलाते हैं, जो भारतीय विद्यार्थियों को विदेशी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन करवाती है. राहुल का कहना है कि नेपाल, कजाकिस्तान ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम, यूएसएसआर जैसे कई देशों में भारतीय विद्यार्थी एमबीबीएस करने जाते हैं और अलग-अलग देशों के हिसाब से एमबीबीएस कोर्स की कुल फीस 25 लाख से शुरू होकर एक करोड़ रुपए तक पहुंचती है.

जर्मनी में मेडिकल एजुकेशन बिल्कुल फ्री

इनमें से जर्मनी एक ऐसा देश है. जहां पढ़ाई पूरी तरह से फ्री है. मतलब यदि जर्मनी में आप मेडिकल एजुकेशन लेते हैं, तो आपको कुछ परीक्षाएं पास करनी होती हैं और आपका एडमिशन जर्मनी के मेडिकल कॉलेज में हो जाता है. जर्मनी में पढ़ाई का पैसा नहीं लगता. इसलिए यहां पर यदि कोई विद्यार्थी मेहनत कर सकता है तो फ्री में मेडिकल एजुकेशन प्राप्त कर सकता है.

आयुर्वेद में चिकित्सा डिग्री

यदि आपका सिलेक्शन एमबीबीएस के लिए नहीं हो पा रहा है, तो बीएएमएस एक बेहतर विकल्प है. जबलपुर में करियर काउंसलर शिवांशु मेहता का कहना है कि 'आयुर्वेद का जिस तरह से चलन बढ़ रहा है. उसमें आयुर्वेद के क्वालिफाइड डॉक्टरों की बड़ी मांग है. बीएएमएस करके डॉक्टर न केवल प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं, बल्कि सरकारी और निजी क्षेत्र में भी इन्हें नौकरियां मिलती हैं. भारत में आयुर्वेद की शिक्षा के कई सरकारी कॉलेज हैं. जिनमें काफी कम फीस में यह डिग्री पूरी की जा सकती है.

शिवांशु मेहता का कहना है कि ऐसा नहीं है कि केवल बायोलॉजी लेकर एमबीबीएस की ही पढ़ाई की जा सकती है, बल्कि कई ऐसे कोर्स हैं, जिनमें अच्छे मौके हैं. आईसर का एंट्रेंस एग्जाम है. इसमें भी अच्छा करियर बनाया जा सकता है. फॉरेंसिक साइंस में भी पढ़ाई की जा सकती है. बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी बायोलॉजी के स्टूडेंट्स के लिए अच्छे मौके हैं.

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एमबीबीएस के अलावा बीडीएस भी अच्छा कोर्स

एमबीबीएस के अलावा बीडीएस भी एक ऐसा कोर्स है. जिसमें कम रैंक आने पर भी कॉलेज में एडमिशन मिल जाता है. बीडीएस के डॉक्टर की भी भारत में अच्छी मांग है. वहीं होम्योपैथिक और फिजियोथेरेपिस्ट डॉक्टर भी प्रैक्टिस और नौकरी दोनों में ही समस्या नहीं है, इसलिए यदि नीट में आपकी रैंक अच्छी नहीं आई है, तो निराश होने की जरूरत नहीं है और एलोपैथिक की जगह दूसरी पद्धति से भी चिकित्सा शिक्षा प्राप्त की जा सकती है और डॉक्टर बना जा सकता है.

Last Updated : Jun 8, 2024, 10:37 AM IST
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