ETV Bharat / bharat

कई साल पहले भी ऐसे ही धधकी थी कूड़े में आग, फेल रहा 'एक्शन प्लान', पढ़िए- इनसाइड स्‍टोरी - GHAZIPUR LANDFILL SITE INCIDENT - GHAZIPUR LANDFILL SITE INCIDENT

Ghazipur landfill site past and present: गाजीपुर लैंडफिल साइट पर कचरे में आग लगने की घटना पहली बार नहीं हुई इससे पहले भी कई बार दिल्ली का ये इलाका धुआं धुआं हो चुका है. जानिये क्यों बार-बार धधकते हैं कूड़े के ढेर और दिल्ली वालों को क्यूं नहीं मिलता इस कूड़े से छुटकारा.

पढ़िए इनसाइड स्‍टोरी न्यू
पढ़िए इनसाइड स्‍टोरी न्यू
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 22, 2024, 1:44 PM IST

Updated : Apr 22, 2024, 2:30 PM IST

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली की सबसे पुरानी सेनेटरी लैंडफ‍िल साइट गाजीपुर (Ghazipur Landfill Site) में लगी आग प‍िछले 20 घंटे में नहीं बुझ पायी है. दिल्ली फायर सर्व‍िस और द‍िल्‍ली नगर न‍िगम (MCD) के अलावा दूसरी सरकारी मशीनरी आग पर काबू पाने के ल‍िए लगातार प्रयास कर रही हैं. बावजूद इसके आग के शोले बार-बार भड़क जा रहे हैं ज‍िससे आसपास रहने वाले लोगों के ल‍िए अब सांस लेना मुश्‍क‍िल हो रहा है.

दिल्ली धुआं-धुआं !

कचरे के पहाड़ में लगी आग से न‍िकलने वाले धुंए ने द‍िल्‍ली की आबोहवा को भी खराब कर द‍िया है. इस साइट पर आग की घटनाएं अक्‍सर मौसम में गर्मी बढ़ने के दौरान ही सामने आती रही हैं. इस समस्‍या से न‍िपटने के ल‍िए पहले भी कई बड़े कदम उठाए गए हैं. लेकिन बार-बार कूड़े के ढेर में आग की घटनाएं बढ़ती रही हैं.

आग का वैज्ञानिक कारण

इस आग की घटना को लेकर ये तथ्‍य भी सामने आए हैं क‍ि गीला कचरा दबे होने की वजह से उसमें हीट पैदा होती है. फ‍िर उसमें गैस पैदा होती है. इससे आग लगने की घटना होती है. एक स्टडी में भी इस बात का दावा क‍िया गया है क‍ि जहां पर कूड़ा कचरा डंप किया जाता है, वहां बड़ी मात्रा में मीथेन गैस निकलती है. मीथेन गैस भी इस आग लगने की घटनाओं की एक बड़ी वजह होती है. स्‍ट्डी में ये भी दावा क‍िया गया था क‍ि इस मीथेन गैस के पैदा होने की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग और शहरों का तापमान बढ़ रहा है. कचरा डंप करने वाली जगह के भीतर भारी मात्रा में मौजूद मीथेन के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है.

आग को बुझाने का काम जारी
इस बीच देखा जाए तो दिल्ली फायर सर्विसेज व‍िभाग के अध‍िकारी भी खुद इस बात को कह रहे हैं क‍ि आग लैंडफिल में पैदा हुई गैस के कारण लगी थी. रव‍िवार 21 अप्रैल की शाम करीब साढ़े 5 बजे के आसपास कूड़े के पहाड़ में आग लगने की खबर सामने आई थी. इसके बाद से आग पर काबू पाने का काम क‍िया जा रहा है, लेक‍िन आग को पूरी तरह से बुझाया नहीं जा सका है.

कई द‍िनों तक नहीं बुझ पाती मीथेन गैस की वजह से लगी आग
कचरे में पैदा होने वाली मीथेन गैस की वजह से लगी आग कई बार कई-कई द‍िनों तक नहीं बुझ पाती है. इस पर काबू पाने के हरसंभव प्रयास क‍िए जाते रहते हैं. अक्‍सर गर्मी के मौसम में लगने वाली इस आग को एक जगह से काबू क‍िया जाता है तो यह दूसरी जगह पर भड़क जाती है. ऐसा भी माना जाता रहा है क‍ि कई बार कुछ असामाजिक तत्व भी कूड़े के ढेर में आग लगा देते हैं.

नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा डम्पिंग ग्राउंड गाजीपुर एसएलएफ
गाजीपुर लैंडफ‍िल साइट को नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा डम्पिंग ग्राउंड माना जाता है. डम्पिंग ग्राउंड पर कूड़ा भरने की क्षमता पहले ही खत्म हो चुकी है, लेक‍िन इस पर अभी भी कूड़ा डंप करने का काम बदस्‍तूर जारी है. डम्‍प‍िंग ग्राउंड 'कूड़े का पहाड़' बन चुका है. इस साइट पर अक्‍सर ईस्ट दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों का कूड़ा कचरा डंप क‍िया जाता है.

दिल्ली में कितना कचरा?

  • देश की राजधानी द‍िल्‍ली से हर रोज करीब 10-12 हजार मीट्रिक टन कूड़ा एकत्रित होता है.
  • आने वाले समय में कूड़े की मात्रा बढ़कर 20,000 मीट्रिक टन प्रत‍िद‍िन होने की अनुमान है.
  • नॉर्थ द‍िल्‍ली की भलस्वा लैंडफिल साइट 19.2 हेक्टेयर में फैली है.
  • गाजीपुर लैंडफिल साइट 28 हेक्टेयर में फैली हुई है.
  • ओखला लैंडफिल साइट का क्षेत्रफल 12.8 हेक्टेयर हैं.

कूड़े के पहाड़ खत्‍म करने में कहां बना है गतिरोध

  • कूड़ा संग्रहण को सबसे पहले व्यवस्थित करने पर जोर देने की जरूरत
  • कालोनी और बाजार में पर्याप्त संख्या में अलग-अलग स्थानों पर कूड़ेदान की व्यवस्था.
  • आउटडेटेड तकनीक की बजाए एजेंसी को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर करनी चाहिए कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था
  • रिसाइक्लिंग प्लांट के लिए लैंडफिल साइट के समीप जगह नहीं मिलने की स्थिति में एमसीडी को शहर के बाहरी हिस्से में स्थित अपनी जमीन पर प्लांट लगाने के बारे में निर्णय लेना चाहिए.
    इनसाइड स्‍टोरी
    इनसाइड स्‍टोरी


गाजीपुर के साथ-साथ भलस्वा और ओखला तीन लैंडफ‍िल साइट हैं. ओखला एसएलएफ करीब 62 एकड़ में फैली है ज‍िसके 60 लाख मीट्रिक टन कूड़े को प्रोसेस करने का काम दो कंपनियों को सौंपा हुआ है. यहां पर अब स‍िर्फ 38 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़े को प्रोसेस किया जाना बाकी है. संभावना है क‍ि इस साल के आख‍िर तक इसको प्रोसेस करने का काम पूरा कर ल‍िया जाएगा. भलस्‍वा और गाजीपुर के कूड़े को प्रोसेस करने का बड़ी चुनौती एमसीडी के सामने खड़ी है जबकि हजारों टन कूड़ा हर रोज न‍िकल भी रहा है.

ये भी पढ़ें- 18 घंटे से धधक रही गाजीपुर लैंडफिल साइट की आग, धुएं से आसपास के लोग परेशान

नई द‍िल्‍ली: द‍िल्‍ली की सबसे पुरानी सेनेटरी लैंडफ‍िल साइट गाजीपुर (Ghazipur Landfill Site) में लगी आग प‍िछले 20 घंटे में नहीं बुझ पायी है. दिल्ली फायर सर्व‍िस और द‍िल्‍ली नगर न‍िगम (MCD) के अलावा दूसरी सरकारी मशीनरी आग पर काबू पाने के ल‍िए लगातार प्रयास कर रही हैं. बावजूद इसके आग के शोले बार-बार भड़क जा रहे हैं ज‍िससे आसपास रहने वाले लोगों के ल‍िए अब सांस लेना मुश्‍क‍िल हो रहा है.

दिल्ली धुआं-धुआं !

कचरे के पहाड़ में लगी आग से न‍िकलने वाले धुंए ने द‍िल्‍ली की आबोहवा को भी खराब कर द‍िया है. इस साइट पर आग की घटनाएं अक्‍सर मौसम में गर्मी बढ़ने के दौरान ही सामने आती रही हैं. इस समस्‍या से न‍िपटने के ल‍िए पहले भी कई बड़े कदम उठाए गए हैं. लेकिन बार-बार कूड़े के ढेर में आग की घटनाएं बढ़ती रही हैं.

आग का वैज्ञानिक कारण

इस आग की घटना को लेकर ये तथ्‍य भी सामने आए हैं क‍ि गीला कचरा दबे होने की वजह से उसमें हीट पैदा होती है. फ‍िर उसमें गैस पैदा होती है. इससे आग लगने की घटना होती है. एक स्टडी में भी इस बात का दावा क‍िया गया है क‍ि जहां पर कूड़ा कचरा डंप किया जाता है, वहां बड़ी मात्रा में मीथेन गैस निकलती है. मीथेन गैस भी इस आग लगने की घटनाओं की एक बड़ी वजह होती है. स्‍ट्डी में ये भी दावा क‍िया गया था क‍ि इस मीथेन गैस के पैदा होने की वजह से ग्लोबल वॉर्मिंग और शहरों का तापमान बढ़ रहा है. कचरा डंप करने वाली जगह के भीतर भारी मात्रा में मौजूद मीथेन के कारण आग लगने का खतरा बढ़ जाता है.

आग को बुझाने का काम जारी
इस बीच देखा जाए तो दिल्ली फायर सर्विसेज व‍िभाग के अध‍िकारी भी खुद इस बात को कह रहे हैं क‍ि आग लैंडफिल में पैदा हुई गैस के कारण लगी थी. रव‍िवार 21 अप्रैल की शाम करीब साढ़े 5 बजे के आसपास कूड़े के पहाड़ में आग लगने की खबर सामने आई थी. इसके बाद से आग पर काबू पाने का काम क‍िया जा रहा है, लेक‍िन आग को पूरी तरह से बुझाया नहीं जा सका है.

कई द‍िनों तक नहीं बुझ पाती मीथेन गैस की वजह से लगी आग
कचरे में पैदा होने वाली मीथेन गैस की वजह से लगी आग कई बार कई-कई द‍िनों तक नहीं बुझ पाती है. इस पर काबू पाने के हरसंभव प्रयास क‍िए जाते रहते हैं. अक्‍सर गर्मी के मौसम में लगने वाली इस आग को एक जगह से काबू क‍िया जाता है तो यह दूसरी जगह पर भड़क जाती है. ऐसा भी माना जाता रहा है क‍ि कई बार कुछ असामाजिक तत्व भी कूड़े के ढेर में आग लगा देते हैं.

नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा डम्पिंग ग्राउंड गाजीपुर एसएलएफ
गाजीपुर लैंडफ‍िल साइट को नॉर्थ इंडिया का सबसे बड़ा डम्पिंग ग्राउंड माना जाता है. डम्पिंग ग्राउंड पर कूड़ा भरने की क्षमता पहले ही खत्म हो चुकी है, लेक‍िन इस पर अभी भी कूड़ा डंप करने का काम बदस्‍तूर जारी है. डम्‍प‍िंग ग्राउंड 'कूड़े का पहाड़' बन चुका है. इस साइट पर अक्‍सर ईस्ट दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों का कूड़ा कचरा डंप क‍िया जाता है.

दिल्ली में कितना कचरा?

  • देश की राजधानी द‍िल्‍ली से हर रोज करीब 10-12 हजार मीट्रिक टन कूड़ा एकत्रित होता है.
  • आने वाले समय में कूड़े की मात्रा बढ़कर 20,000 मीट्रिक टन प्रत‍िद‍िन होने की अनुमान है.
  • नॉर्थ द‍िल्‍ली की भलस्वा लैंडफिल साइट 19.2 हेक्टेयर में फैली है.
  • गाजीपुर लैंडफिल साइट 28 हेक्टेयर में फैली हुई है.
  • ओखला लैंडफिल साइट का क्षेत्रफल 12.8 हेक्टेयर हैं.

कूड़े के पहाड़ खत्‍म करने में कहां बना है गतिरोध

  • कूड़ा संग्रहण को सबसे पहले व्यवस्थित करने पर जोर देने की जरूरत
  • कालोनी और बाजार में पर्याप्त संख्या में अलग-अलग स्थानों पर कूड़ेदान की व्यवस्था.
  • आउटडेटेड तकनीक की बजाए एजेंसी को अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर करनी चाहिए कूड़ा निस्तारण की व्यवस्था
  • रिसाइक्लिंग प्लांट के लिए लैंडफिल साइट के समीप जगह नहीं मिलने की स्थिति में एमसीडी को शहर के बाहरी हिस्से में स्थित अपनी जमीन पर प्लांट लगाने के बारे में निर्णय लेना चाहिए.
    इनसाइड स्‍टोरी
    इनसाइड स्‍टोरी


गाजीपुर के साथ-साथ भलस्वा और ओखला तीन लैंडफ‍िल साइट हैं. ओखला एसएलएफ करीब 62 एकड़ में फैली है ज‍िसके 60 लाख मीट्रिक टन कूड़े को प्रोसेस करने का काम दो कंपनियों को सौंपा हुआ है. यहां पर अब स‍िर्फ 38 लाख मीट्रिक टन से अधिक कूड़े को प्रोसेस किया जाना बाकी है. संभावना है क‍ि इस साल के आख‍िर तक इसको प्रोसेस करने का काम पूरा कर ल‍िया जाएगा. भलस्‍वा और गाजीपुर के कूड़े को प्रोसेस करने का बड़ी चुनौती एमसीडी के सामने खड़ी है जबकि हजारों टन कूड़ा हर रोज न‍िकल भी रहा है.

ये भी पढ़ें- 18 घंटे से धधक रही गाजीपुर लैंडफिल साइट की आग, धुएं से आसपास के लोग परेशान

Last Updated : Apr 22, 2024, 2:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.