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हेमंत कैबिनेट में शामिल हुए कोल्हान के रामदास सोरेन, क्या चंपाई का विकल्प बन पाएंगे रामदास! - Ramdas Soren

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 30, 2024, 2:23 PM IST

Updated : Aug 30, 2024, 2:43 PM IST

MLA Ramdas Soren took oath as minister. घाटशिला के झामुमो विधायक रामदास सोरेन ने मंत्री पद की शपथ ली. रांची में सादे समारोह में राज्यपाल संतोष गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. कोल्हान से आने वाले रामदास क्या चंपाई सोरेन का विकल्प बनकर उभरेंगे, ये सवाल अब पूरी सियासी फिजा में गूंज रही है. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट से जानें, क्या कहते हैं, नेता और जानकार.

Ghatsila JMM MLA Ramdas Soren took oath as minister in Ranchi
रामदास सोरेन ने मंत्री पद की शपथ ली (Etv Bharat)

रांचीः घाटशिला से झामुमो विधायक रामदास सोरेन ने मंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. रामदास सोरेन को चंपाई सोरेन की जगह पर मंत्री बनाया गया है. चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में मंत्री का एक पद रिक्त हो गया था. सीएम हेमंत सोरेन ने कोल्हान को तरजीह देते हुए रामदास सोरेन को मंत्री बनाया है.

रामदास सोरेन का शपथ ग्रहण समारोह (ETV Bharat)

रामदास के शपथ ग्रहण के साथ शुरू हुई राजनीति

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम लगातार और तेजी से बदल रहा है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी रणनीति के अनुसार चाल भी चल रहे हैं. शुक्रवार शाम जब रांची में विधिवत चंपाई सोरेन अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन के साथ भाजपा में शामिल होंगे. उससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल्हान के घाटशिला से झामुमो विधायक रामदास सोरेन को मंत्री पद की शपथ दिलवाई है. जिससे यह मैसेज देने की कोशिश की है कि झामुमो ने कोल्हान में चंपाई सोरेन का विकल्प चुन लिया है और उनके भाजपा में जाने का कोई असर झामुमो पर नहीं पड़ेगा.

रामदास सोरेन का चंपाई सोरेन से भी अच्छा परफॉर्मेंस होगा

झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय कहते भी हैं कि चंपाई को चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ही बनाया था. रामदास सोरेन भी हमारे अनुभवी, गुरुजी के बेहद करीबी, झारखंड के आंदोनकारी और जुझारू नेता रहे हैं. उनमें चंपाई सोरेन का विकल्प बनने की नहीं बल्कि उनसे भी बेहतर करने की क्षमता है.

रामदास सोरेन कभी नहीं बन सकते चंपाई का विकल्प

चंपाई सोरेन के विकल्प के तौर पर रामदास सोरेन को मंत्री बनाए जाने पर प्रदेश भाजपा ने प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद ने कहा कि रामदास सोरेन कभी भी चंपाई सोरेन का विकल्प नहीं बन सकते हैं. चंपाई सोरेन पुराने आंदोलनकारी रहे हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना काल से ही लगातार गुरुजी के सहयोगी रहे हैं. ऐसे में चंपाई सोरेन का व्यक्तित्व हर राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए एक प्रेरणा स्रोत की तरह है कि कैसे कोई व्यक्ति एक कार्यकर्ता से राजनीतिक जीवन शुरू कर मुख्यमंत्री तक का सफर तय कर सकता है. चंपाई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में शामिल होने से झामुमो को राजनीतिक नुकसान होगा वहीं इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलना तय है.

रामदास सोरेन को चंपाई सोरेन के विकल्प तौर पर देखने पर बीजेपी और झामुमो नेता के बयान (ETV Bharat)

विकल्प को लेकर क्या हैं बाधाएं

रामदास सोरेन को लेकर पक्ष-विपक्ष भले ही अपनी-अपनी बात रखी है. अगर निष्पक्ष रूप से बात करें तो भले ही रामदास सोरेन, चंपाई सोरेन की राजनीतिक कद की बराबरी नहीं कर सकते हैं. लेकिन उनका कद चंपाई सोरेन से बहुत छोटा भी नहीं है. झारखंड आंदोलन के समय में कोल्हान में आंदोलन को सफल बनाने की जिम्मेवारी जिन चंद लोगों पर होती थी. उसमें रामदास सोरेन का भी नाम शामिल होता था.

झारखंड और कोल्हान की राजनीति को जानने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश कहते हैं कि चंपाई सोरेन को झामुमो ने पूरे कोल्हान में खुले हाथ से काम करने की आजादी दी थी. अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक है, एक तो रामदास सोरेन के पास समय काफी कम बचा है. दूसरा उनका स्वास्थ्य भी ऐसा नहीं है कि वह ताबड़तोड़ दौरा कर पाएं. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद उनके दैनिक गतिविधियां भी डॉक्टर्स की सलाह के अनुसार सीमित ही होगा. वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार चंपाई सोरेन की जगह कोल्हान के ही एक संथाल आदिवासी नेता को मंत्री बनाकर हेमंत सोरेन ने अपने उस क्षेत्र के वोटरों एक मैसेज जरूर देने की कोशिश की है.

कौन हैं रामदास सोरेन

रामदास सोरेन मूल रूप से घाटशिला के तामपाड़ा के रहने वाले हैं. वे दूसरी बार विधायक बने हैं. पहली बार वो 2009 में चुनाव जीते थे. 2019 में वे दूसरी बार विधायक बने हैं. रामदास सोरेन झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं. उन्होंने पहला चुनाव 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ लड़ा था. तब उन्हें महज 7,306 वोट मिले थे. उस चुनाव में रघुवर दास की जीत हुई थी. उन्होंने कांग्रेस के केपी सिंह को सिर्फ 1,101 वोट के अंतर से हराया था. रामदास सोरेन ने 2005 में घाटशिला से झामुमो का टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय ताल ठोक दिया था. 2009 में उन्होंने झामुमो की टिकट पर कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू को महज 1,192 वोट से हराकर पहली जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सूर्य सिंह बेसरा तीसरे स्थान पर रहे थे. 2014 में मोदी लहर का असर पड़ा. इस चुनाव में रामदास सोरेन को भाजपा के लक्ष्मण टुडू ने हरा दिया था. 2019 में रामदास सोरेन ने भाजपा के लखन चंद्र मार्डी को हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की.

झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं रामदास सोरेन

रामदास सोरेन वर्तमान में जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में परिवार के साथ रहते हैं. इनके तीन पुत्र और पुत्री है. इनकी पुत्री बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली में मैनेजर के पद पर हैं. दो पुत्र बिजनेस करते हैं. एक पुत्र यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. रामदास सोरेन खुद को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से स्नातक हैं. रामदास सोरेन झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं. उनका चंपाई सोरेन से बेहद करीबी संबंध रहा है.

इसे भी पढ़ें- रामदास सोरेन का शपथ ग्रहण समारोह LIVE - Ramdas Soren swearing

इसे भी पढ़ें- हेमंत कैबिनेट में चंपाई की जगह लेंगे रामदास सोरेन, कल एक तरफ शपथ तो दूसरी तरफ गरजेंगे कोल्हान टाइगर - Hemant Cabinet Expansion

इसे भी पढ़ें- कोल्हान में चंपाई के विकल्प की तलाश में झामुमो, शिबू-हेमंत के चेहरे पर पार्टी को भरोसा, सेकंड लाइन में हैं ये नाम - Champai Soren

रांचीः घाटशिला से झामुमो विधायक रामदास सोरेन ने मंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. रामदास सोरेन को चंपाई सोरेन की जगह पर मंत्री बनाया गया है. चंपाई सोरेन के इस्तीफे के बाद कैबिनेट में मंत्री का एक पद रिक्त हो गया था. सीएम हेमंत सोरेन ने कोल्हान को तरजीह देते हुए रामदास सोरेन को मंत्री बनाया है.

रामदास सोरेन का शपथ ग्रहण समारोह (ETV Bharat)

रामदास के शपथ ग्रहण के साथ शुरू हुई राजनीति

झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले झारखंड में राजनीतिक घटनाक्रम लगातार और तेजी से बदल रहा है तो सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी रणनीति के अनुसार चाल भी चल रहे हैं. शुक्रवार शाम जब रांची में विधिवत चंपाई सोरेन अपने पुत्र बाबूलाल सोरेन के साथ भाजपा में शामिल होंगे. उससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल्हान के घाटशिला से झामुमो विधायक रामदास सोरेन को मंत्री पद की शपथ दिलवाई है. जिससे यह मैसेज देने की कोशिश की है कि झामुमो ने कोल्हान में चंपाई सोरेन का विकल्प चुन लिया है और उनके भाजपा में जाने का कोई असर झामुमो पर नहीं पड़ेगा.

रामदास सोरेन का चंपाई सोरेन से भी अच्छा परफॉर्मेंस होगा

झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय कहते भी हैं कि चंपाई को चंपाई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ही बनाया था. रामदास सोरेन भी हमारे अनुभवी, गुरुजी के बेहद करीबी, झारखंड के आंदोनकारी और जुझारू नेता रहे हैं. उनमें चंपाई सोरेन का विकल्प बनने की नहीं बल्कि उनसे भी बेहतर करने की क्षमता है.

रामदास सोरेन कभी नहीं बन सकते चंपाई का विकल्प

चंपाई सोरेन के विकल्प के तौर पर रामदास सोरेन को मंत्री बनाए जाने पर प्रदेश भाजपा ने प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश प्रवक्ता जेबी तुबिद ने कहा कि रामदास सोरेन कभी भी चंपाई सोरेन का विकल्प नहीं बन सकते हैं. चंपाई सोरेन पुराने आंदोलनकारी रहे हैं और झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना काल से ही लगातार गुरुजी के सहयोगी रहे हैं. ऐसे में चंपाई सोरेन का व्यक्तित्व हर राजनीतिक कार्यकर्ता के लिए एक प्रेरणा स्रोत की तरह है कि कैसे कोई व्यक्ति एक कार्यकर्ता से राजनीतिक जीवन शुरू कर मुख्यमंत्री तक का सफर तय कर सकता है. चंपाई सोरेन के झारखंड मुक्ति मोर्चा छोड़कर भाजपा में शामिल होने से झामुमो को राजनीतिक नुकसान होगा वहीं इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को मिलना तय है.

रामदास सोरेन को चंपाई सोरेन के विकल्प तौर पर देखने पर बीजेपी और झामुमो नेता के बयान (ETV Bharat)

विकल्प को लेकर क्या हैं बाधाएं

रामदास सोरेन को लेकर पक्ष-विपक्ष भले ही अपनी-अपनी बात रखी है. अगर निष्पक्ष रूप से बात करें तो भले ही रामदास सोरेन, चंपाई सोरेन की राजनीतिक कद की बराबरी नहीं कर सकते हैं. लेकिन उनका कद चंपाई सोरेन से बहुत छोटा भी नहीं है. झारखंड आंदोलन के समय में कोल्हान में आंदोलन को सफल बनाने की जिम्मेवारी जिन चंद लोगों पर होती थी. उसमें रामदास सोरेन का भी नाम शामिल होता था.

झारखंड और कोल्हान की राजनीति को जानने समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार राजेश कहते हैं कि चंपाई सोरेन को झामुमो ने पूरे कोल्हान में खुले हाथ से काम करने की आजादी दी थी. अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक है, एक तो रामदास सोरेन के पास समय काफी कम बचा है. दूसरा उनका स्वास्थ्य भी ऐसा नहीं है कि वह ताबड़तोड़ दौरा कर पाएं. किडनी ट्रांसप्लांट के बाद उनके दैनिक गतिविधियां भी डॉक्टर्स की सलाह के अनुसार सीमित ही होगा. वरिष्ठ पत्रकार के अनुसार चंपाई सोरेन की जगह कोल्हान के ही एक संथाल आदिवासी नेता को मंत्री बनाकर हेमंत सोरेन ने अपने उस क्षेत्र के वोटरों एक मैसेज जरूर देने की कोशिश की है.

कौन हैं रामदास सोरेन

रामदास सोरेन मूल रूप से घाटशिला के तामपाड़ा के रहने वाले हैं. वे दूसरी बार विधायक बने हैं. पहली बार वो 2009 में चुनाव जीते थे. 2019 में वे दूसरी बार विधायक बने हैं. रामदास सोरेन झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं. उन्होंने पहला चुनाव 1995 में जमशेदपुर पूर्वी से रघुवर दास के खिलाफ लड़ा था. तब उन्हें महज 7,306 वोट मिले थे. उस चुनाव में रघुवर दास की जीत हुई थी. उन्होंने कांग्रेस के केपी सिंह को सिर्फ 1,101 वोट के अंतर से हराया था. रामदास सोरेन ने 2005 में घाटशिला से झामुमो का टिकट नहीं मिलने पर बतौर निर्दलीय ताल ठोक दिया था. 2009 में उन्होंने झामुमो की टिकट पर कांग्रेस के प्रदीप बलमुचू को महज 1,192 वोट से हराकर पहली जीत दर्ज की थी. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सूर्य सिंह बेसरा तीसरे स्थान पर रहे थे. 2014 में मोदी लहर का असर पड़ा. इस चुनाव में रामदास सोरेन को भाजपा के लक्ष्मण टुडू ने हरा दिया था. 2019 में रामदास सोरेन ने भाजपा के लखन चंद्र मार्डी को हराकर दूसरी बार जीत दर्ज की.

झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं रामदास सोरेन

रामदास सोरेन वर्तमान में जमशेदपुर के घोड़ाबांधा में परिवार के साथ रहते हैं. इनके तीन पुत्र और पुत्री है. इनकी पुत्री बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली में मैनेजर के पद पर हैं. दो पुत्र बिजनेस करते हैं. एक पुत्र यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं. रामदास सोरेन खुद को-ऑपरेटिव कॉलेज, जमशेदपुर से स्नातक हैं. रामदास सोरेन झारखंड आंदोलनकारी रहे हैं. उनका चंपाई सोरेन से बेहद करीबी संबंध रहा है.

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Last Updated : Aug 30, 2024, 2:43 PM IST
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