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फ्रांसीसी और भारतीय सेनाओं ने मेघालय के उमरोई में संयुक्त अभ्यास 'शक्ति' किया शुरू - India France Army Exercise

India-France Army Exercise: भारतीय और फ्रांसीसी सेनाओं के बीच 'शक्ति 2024' सैन्य अभ्यास मेघालय में शुरू हो गया है. यह ज्वाइंट अभ्यास शक्ति का सातवां एडिशन है

French and Indian Armies
फ्रांसीसी और भारतीय सेनाओं ने संयुक्त अभ्यास 'शक्ति' किया शुरू (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 13, 2024, 2:59 PM IST

नई दिल्ली: रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय और फ्रांसीसी सेनाओं के बीच 'शक्ति 2024' सैन्य अभ्यास सोमवार को मेघालय के उमरोई स्थित पूर्वी कमान के ज्वाइंट ट्रेनिंग नोड में शुरू हुआ. यह ज्वाइंट अभ्यास शक्ति का सातवां एडिशन है. इसे भारत और फ्रांस में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है.

इस संबंध में भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी माथौ ने उद्घाटन समारोह में भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि इस साल का संयुक्त अभ्यास यूनाइटेड नेशंस के आदेश के तहत सेमी- अर्बन और पहाड़ी इलाकों में ट्रेनिंग देने पर केंद्रित है और यह कार्यक्रम इस साल 26 मई तक चलेगा.

इस बार दोगुना सैनिक तैनात
यह पिछले एडिशन की तुलना में ज्यादा जटिल है क्योंकि इसमें पहले की तुलना में दोगुने सैनिक तैनात किए गए हैं. इसकी शुरुआत ब्रिगेड स्तर के कमांड पोस्ट से हुई है और इसमें पहली बार वायु सेना के साथ-साथ नौसेना और वायु सेना के पर्यवेक्षक भी शामिल हैं.

फ्रांस के दल में फ्रांसीसी सेना की लीजियन एट्रांगेर (विदेशी सेना) के 90 कर्मी शामिल हैं. बता दें कि 26 जनवरी को लीजियन एट्रैन्गेरे की एक अन्य टुकड़ी ने फ्रांस के साथ सम्मानित अतिथि के रूप में भारत के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया था.

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने किया था फ्रांस का दौरा
इस साल की शक्ति एक्सरसाइज 25-26 जनवरी को राष्ट्रपति मैक्रां की भारत यात्रा के बाद भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों की गहनता को दर्शाने के लिए भी हो रहा है. हाल ही में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने फ्रांस का आधिकारिक दौरा किया, जबकि फ्रांसीसी नौसेना और सेना प्रमुखों ने भारत का दौरा किया.

रक्षा और सुरक्षा सहयोग भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी का एक अनिवार्य घटक है. इसे हॉरिजोन 2047 रोडमैप के पहले स्तंभ के रूप में स्थापित किया गया था. इसे पिछले साल बैस्टिल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान अडोप्ट किया गया था.गौरतलब है कि भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग का उद्देश्य दोनों देशों की संप्रभुता और रणनीतिक ऑटोनोमी को मजबूत करना और क्षेत्र में शांति को आगे बढ़ाना है.

यह भी पढ़ें- कोरोना वैक्सीन को लेकर PM मोदी के खिलाफ वाराणसी कोर्ट में याचिका; झूठ बोलकर लाभ लेने का आरोप

नई दिल्ली: रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारतीय और फ्रांसीसी सेनाओं के बीच 'शक्ति 2024' सैन्य अभ्यास सोमवार को मेघालय के उमरोई स्थित पूर्वी कमान के ज्वाइंट ट्रेनिंग नोड में शुरू हुआ. यह ज्वाइंट अभ्यास शक्ति का सातवां एडिशन है. इसे भारत और फ्रांस में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है.

इस संबंध में भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी माथौ ने उद्घाटन समारोह में भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि इस साल का संयुक्त अभ्यास यूनाइटेड नेशंस के आदेश के तहत सेमी- अर्बन और पहाड़ी इलाकों में ट्रेनिंग देने पर केंद्रित है और यह कार्यक्रम इस साल 26 मई तक चलेगा.

इस बार दोगुना सैनिक तैनात
यह पिछले एडिशन की तुलना में ज्यादा जटिल है क्योंकि इसमें पहले की तुलना में दोगुने सैनिक तैनात किए गए हैं. इसकी शुरुआत ब्रिगेड स्तर के कमांड पोस्ट से हुई है और इसमें पहली बार वायु सेना के साथ-साथ नौसेना और वायु सेना के पर्यवेक्षक भी शामिल हैं.

फ्रांस के दल में फ्रांसीसी सेना की लीजियन एट्रांगेर (विदेशी सेना) के 90 कर्मी शामिल हैं. बता दें कि 26 जनवरी को लीजियन एट्रैन्गेरे की एक अन्य टुकड़ी ने फ्रांस के साथ सम्मानित अतिथि के रूप में भारत के गणतंत्र दिवस परेड में भाग लिया था.

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने किया था फ्रांस का दौरा
इस साल की शक्ति एक्सरसाइज 25-26 जनवरी को राष्ट्रपति मैक्रां की भारत यात्रा के बाद भारत-फ्रांस रक्षा संबंधों की गहनता को दर्शाने के लिए भी हो रहा है. हाल ही में सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने फ्रांस का आधिकारिक दौरा किया, जबकि फ्रांसीसी नौसेना और सेना प्रमुखों ने भारत का दौरा किया.

रक्षा और सुरक्षा सहयोग भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी का एक अनिवार्य घटक है. इसे हॉरिजोन 2047 रोडमैप के पहले स्तंभ के रूप में स्थापित किया गया था. इसे पिछले साल बैस्टिल दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान अडोप्ट किया गया था.गौरतलब है कि भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग का उद्देश्य दोनों देशों की संप्रभुता और रणनीतिक ऑटोनोमी को मजबूत करना और क्षेत्र में शांति को आगे बढ़ाना है.

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