रायपुर: छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार जब्त किए गए वन्यप्राणी को वापस उनके रहवास में छोड़ा गया है. इस मामले में रायपुर के वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने जानकारी दी कि अभी तक किसी भी न्यायालय प्रकरण में जब्त किए गए वन्यप्राणी को जब्त किए जाने के बाद जू में रख दिया जाता था. न्यायालय में प्रकरण लंबित रहने के कारण उन्हें वापस वन में छोड़ने का कोई प्रयत्न नहीं किया जाता था. वन्यजीवों को आजीवन जू में ही रहना पड़ता था.
वन विभाग को लिखा गया था पत्र: सिंघवी ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) से निवेदन किया कि केंद्रीय जू अथॉरिटी की गाइडलाइंस के अनुसार ऐसे जब्त वन्यप्राणियों को कोर्ट की अनुमति लेने के बाद उन्हें जंगल में छोड़ा जा सकता है. उन्हें छोड़ा जाना चाहिए. इसके पश्चात प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) ने वन विभाग के मैदानी अमले में पदस्थ समस्त अधिकारियों को पत्र लिखकर जब्त वन्य प्राणियों को न्यायालय से अनुमति लेकर वन क्षेत्र में छोड़े जाने का आदेश जुलाई में जारी किया
पहली बार छोड़े गए शेड्यूल-1 के चार मॉनिटर लिजार्ड: 30 जून 2024 को रायपुर वन मंडल ने विधि द्वारा संरक्षण प्राप्त शेड्यूल-1 के चार मॉनिटर लिजार्ड जब्त किए गए. प्राप्त जानकारी के मुताबिक पुलिस चेकिंग के दौरान ये जब्त किए गए थे. इन्हें नंदनवन जंगल सफारी नया रायपुर में शिफ्ट कर दिया गया. डायरेक्टर जंगल सफारी की ओर से 23 जुलाई को इन वन्य प्राणियों का स्वास्थ्य जांच कर, वनमंडल अधिकारी रायपुर को पत्र लिखा गया. इसमें चारों मॉनिटर लिजार्ड को छोड़ने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा गया. वन मंडल अधिकारी रायपुर ने कोर्ट से अनुमति लेने के बाद चारों मॉनिटर लिजार्ड को उचित रहवास में छोड़ दिया है.
सिंघवी ने इसे लेकर वन विभाग को बधाई दी. साथ ही कहा कि आशा करते हैं कि पूर्व में जब्त सभी स्वस्थ और छोड़े जाने योग्य वन्य प्राणियों को वन विभाग शीघ्र ही वन क्षेत्र में छोड़ देगा. साथ ही भविष्य में भी वन्य जीवों के हित में कार्रवाई की जाएगी.