नई दिल्ली: हर साल 6 अप्रैल को बीजेपी का स्थापना दिवस मनाया जाता है. भारतीय जनता पार्टी आज 45वीं वर्षगांठ मना रही है. 1980 में मात्र दो सांसद जीतने वाली भाजपा आज विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है. इस मौके पर पीएम मोदी, अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुभकामनाएं दी हैं.
6 अप्रैल को भाजपा का गठन
आज से करीब 45 साल पहले 6 अप्रैल, 1980 को देशभर के प्रमुख जनसंघ नेताओं की बैठक हुई, और नई भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई. चुनाव चिह्न कमल घोषित किया गया और पार्टी का संविधान बनाने का काम शुरू हुआ. बीजेपी का पहला अधिवेशन मुंबई के माहिम इलाके में हुआ. सभी वरिष्ठ नेतृत्व ने लाखों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में सर्वसम्मति से जनसंघ के तीन बार अध्यक्ष रहे अटल बिहारी वाजपेई को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया. कई प्रस्ताव पारित किए गए.
जनसंघ घटक दलों से अलग क्यों हुआ और जनता पार्टी क्यों टूटी, इस पर आडवाणी ने अपने विचार व्यक्त किये. उसी शाम अपने अध्यक्षीय भाषण में अटल ने कहा, 'अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा' (अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा) मंच के पीछे लगे बैनर पर भी लिखा था, गद्दी छोड़ो, जनता आएगी. इस मौके पर छागला ने कहा कि मैं अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं कि बीजेपी आ रही है और देश का भावी प्रधानमंत्री आ रहा है. मंत्री होंगे अटल बिहारी वाजपेयी.
भारतीय जनता पार्टी का उदय
जनता पार्टी के नेताओं के रवैये से जनसंघ के नेता हैरान थे. उनके पास संगठन और संसाधनों का अभाव था. जनसंघ कार्यकर्ताओं ने एक नई शुरुआत की. जनता सरकार में मंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी और वाजपेयी के अलावा नानाजी देशमुख, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, सुंदरसिंह मलकानी, कुशाभाऊ ठाकरे, जना कृष्णमूर्ति, सुंदरलाल पटवा, शांता कुमार और भैरोसिंह शेखावत जैसे नेता संघ पृष्ठभूमि के थे. वे पार्टी का नेतृत्व करने के लिए तैयार थे. इसके अलावा सिकंदर बख्त, राम जेठमलानी और शांति भूषण जैसे नेता भी बीजेपी में शामिल हुए. इस प्रकार 6 अप्रैल 1980 को भारतीय राजनीति में भारतीय जनता पार्टी का उदय हुआ.
1951 में हुई भारतीय जनसंघ की स्थापना
भारतीय जनता पार्टी वर्ष 1980 में अस्तित्व में आई, लेकिन राजनीतिक रूप से इसकी विचारधारा और पृष्ठभूमि आजादी के बाद के शुरुआती वर्षों से फैली हुई है. भारतीय जनसंघ की स्थापना वर्ष 1951 में हुई थी. पार्टी ने 1952, 57, 62, 67 और 71 के लोकसभा चुनाव लड़े. इसमें पार्टी ने 3 से 22 सीटों तक का सफर तय किया. इस बीच पार्टी का वोट प्रतिशत 3 फीसदी से बढ़कर करीब 7.5 फीसदी हो गया.
इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के बाद 1977 में पहला चुनाव हुआ था. इसमें जनता मोर्चा को 405 में से 299 सीटें मिलीं, जिनमें से 93 पर जनसंघ की जीत हुई. आंतरिक विरोध के कारण जनता मोर्चा सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. जनता मोर्चा सरकार के पतन के साथ ही वर्ष 1980 में मध्यावधि चुनाव की नौबत आ गयी. लोकसभा चुनाव के दौरान इंदिरा गांधी की सत्ता में वापसी हुई. जनता पार्टी का विभाजन हुआ और तत्कालीन राजनीतिक स्थिति ने भाजपा की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया.
कैसे हुआ पार्टी का गठन?
4 अप्रैल 1980 को जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. इस बैठक में उन सदस्यों को शामिल किया गया जो चौधरी चरण सिंह से अलग नहीं हुए थे. चन्द्रशेखर समूह और कुछ अन्य समाजवादियों को लगा कि यदि जनसंघ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि वाले नेता और कार्यकर्ता पार्टी में बने रहेंगे, तो वे संख्या और प्रभुत्व के मामले में पार्टी पर कब्ज़ा कर लेंगे. जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एक प्रस्ताव पारित किया गया कि पार्टी नेताओं को संघ से नाता तोड़ लेना चाहिए. इससे जनसंघ और आरएसएस पृष्ठभूमि वाले नेता सदमे में थे. जब जनता पार्टी बनी तो ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई. वह जनता पार्टी में सबसे बड़े वैचारिक घटक थे. हालांकि, उन्होंने मोरारजी सरकार में संख्यात्मक भागीदारी नहीं चाही.
सिर्फ 2 सीटों पर हुई जीत
अक्टूबर-1984 में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई. 67 दिनों में मतदाताओं का मूड बदल गया और लोगों में कांग्रेस के पक्ष में लहर चल पड़ी. विपक्ष विभाजित था और उनके बीच गठबंधन नहीं बन सका. बीजेपी ने 224 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से 100 से ज्यादा सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही. उसे 7.75 फीसदी वोट मिले. लेकिन पार्टी को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली. गुजरात की मेहसाणा सीट से डॉ. एक के पटेल ने कांग्रेस के सागर रायका को हराया. साबरकांठा सीट से एचएम पटेल जीते. चिमन शुक्ला, रतिलाल वर्मा, अशोक भट्ट, गभाजी ठाकोर, आर.के. गुजरात में अमीन और जसपाल सिंह जैसे बीजेपी उम्मीदवार चुनाव हार गए.
कांग्रेस को 26 में से 24 सीटें मिलीं
गुजरात में तब कांग्रेस को 26 में से 24 सीटें मिली थीं. लोकसभा चुनाव के दौरान 92.3 प्रतिशत सीटों के साथ गुजरात में यह पार्टी का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था. 1980 के लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी ने 26 में से 25 सीटें जीतीं. उस चुनाव में मोतीभाई चौधरी मेहसाणा सीट से जीते थे. करीब 96 प्रतिशत के साथ यह कांग्रेस का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है.
अनुशासन, संगठन और विकास का सिद्धांत
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक कृष्णकांत झा ने कहा कि 1980 से 1995 तक पार्टी को खड़ा करने में कार्यकर्ताओं ने खूब पसीना बहाया. इसी पसीने का परिणाम है कि आज भाजपा विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है. श्यामाप्रसाद मुखर्जी से लेकर नरेंद्र मोदी तक इस पार्टी को नेतृत्व मिला है. अनुशासित संगठन एवं विकास के सिद्धांत पर इसने देश के कोने-कोने तक अपनी खुशबू फैलाई है.
1984 गुजरात विधानसभा चुनाव
1984 के लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद, गुजरात विधानसभा चुनाव हुए. सहानुभूति लहर और KHAM समीकरण ने कोंग्रेस पार्टी को 182 में से 149 सीटें दीं. इससे पहले 1980 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 140 सीटें मिली थीं. राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस ने 491 में से 404 सीटें जीतीं. सीपीएम को 22, जनता पार्टी को 10, सीपीआई को छह, भारतीय कांग्रेस (सोशलिस्ट) को चार और लोकदल को तीन सीटें मिलीं. एक साल बाद दिसंबर-1985 में जब असम-पंजाब में अलग-अलग चुनाव हुए तो कांग्रेस को 10, आईसीएस को एक, क्षेत्रीय दलों को आठ और निर्दलीयों को आठ सीटें मिलीं. बीजेपी अपना खाता खोलने में नाकाम रही. पार्टी अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर सीट पर माधवराव सिंधिया से हार गए. फिलहाल माधवराव के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में हैं और मोदी सरकार में मंत्री भी हैं.
1985 में वाजपेई के नेतृत्व में कार्यकारिणी की बैठक
15-17 मार्च 1985 को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक वाजपेई के नेतृत्व में बंबई में हुई. जिसमें पार्टी अध्यक्ष के तौर पर वाजपेयी ने लोकसभा-विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार की जिम्मेदारी ली. कहा कि पार्टी जो भी सजा देगी, उसे भुगतने के लिए तैयार हैं. 1989 में बीजेपी के समर्थन से केंद्र में वीपी सिंह की सरकार बनी. जिसका जल्द ही पतन हुआ.
1996 में वाजपेयी प्रधानमंत्री बने
1996 में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के उम्मीदवार, वाजपेयी प्रधान मंत्री बने, लेकिन विश्वास मत पारित करने में विफल रहे. इससे उनकी सरकार केवल 13 दिनों में गिर गई. साल 1998 में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए गठबंधन की दोबारा सरकार बनी. वाजपेयी लगभग 13 महीने तक सत्ता में रहे और उनकी सरकार को राजनीतिक अस्थिरता का सामना करना पड़ा.
1999 में फिर सत्तारूढ़ पार्टी
1999 में बीजेपी लगभग बराबर संख्या के साथ सत्ता में वापस आई. वाजपेयी के नेतृत्व में एनडीए ने अपना कार्यकाल पूरा किया. वाजपेयी को पहली गैर-कांग्रेसी और पहली गठबंधन सरकार का सफलतापूर्वक नेतृत्व करने का श्रेय दिया जाता है. 2004 और 2009 में बीजेपी हार गई. सोनिया गांधी के नेतृत्व में यूपीए ने सत्ता संभाली. जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने.
2014 में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार
कृष्णकांत झा ने गांधीनगर में बीजेपी की स्थिति पर बात करते हुए कहा कि बीजेपी को अगर गांधीनगर में 1 भी पब्लिक मीटिंग करनी होती थी तो बहुत परेशानी होती थी. सार्वजनिक सभाओं में बमुश्किल 1,2000 लोग जुटते थे, जबकि आज बीजेपी की सभा में लाखों की संख्या में लोग उमड़ते है. 1984 के बाद 2014 में पहली बार केंद्र में पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिला और अपना कार्यकाल पूरा किया. साल 2019 में एक बार फिर गैर कांग्रेसी सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया.
बीजेपी का गढ़ माने जाना वाले गुजरात में भाजपा 27 सालों से लगातार सरकार बना रही है. 2014 सें क्लीन स्वीप के साथ गुजरात की 26 की 26 सीटे जीत रही है. आगामी चुनाव में बीजेपी ने गुजरात की हर सीट पर 5 लाख से ज्यादा वोटों से जीतने का दावा किया है. हालांकि, एक लोकसभा चुनाव ऐसा भी था जब बीजेपी ने गुजरात में केवल 1 सीट जीती थी.
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