धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश): अमेरिकी सदन की पूर्व स्पीकर नैंसी पेलोसी ने गुरुवार को तिब्बत के लोगों के लिए कांग्रेस के समर्थन की 'दृढ़ता से पुष्टि' की. पेलोसी ने अमेरिकी कांग्रेसी माइकल मैककॉल के नेतृत्व में अमेरिकी द्विदलीय कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ बुधवार को यहां धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से उनके आवास पर मुलाकात की.
पेलोसी ने कहा कि धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात के लिए अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में शामिल होना उनके लिए सम्मान की बात है. पेलोसी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'आज धर्मशाला, भारत में परमपावन 14वें @दलाईलामा से मिलने के लिए कांग्रेस के द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल होना मेरे लिए सम्मान की बात थी. हमारी बैठक में, हमने तिब्बत के लोगों के लिए कांग्रेस के समर्थन की दृढ़ता से पुष्टि की.'
इससे पहले आज, पीएम मोदी ने कांग्रेसी माइकल मैककॉल के नेतृत्व वाले द्विदलीय संयुक्त राज्य कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल से भी मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में विदेश मामलों पर अमेरिकी सदन समिति के अध्यक्ष माइकल मैककॉल, अमेरिकी सदन की पूर्व स्पीकर नैन्सी पेलोसी, अमेरिकी प्रतिनिधि - ग्रेगरी मीक्स, मारियानेट मिलर-मीक्स, निकोल मैलियोटाकिस, अमी बेरा और जिम मैकगवर्न शामिल हैं.
जयशंकर ने की थी प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक : इससे पहले बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने द्विदलीय अमेरिकी कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की. उन्होंने भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी के लिए उनके 'मजबूत और निरंतर' समर्थन की सराहना की. पेलोसी ने कल शी जिनपिंग के खिलाफ व्यापक हमला बोलते हुए कहा कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता की विरासत हमेशा बनी रहेगी, लेकिन चीनी राष्ट्रपति कुछ वर्षों में चले जाएंगे.
भारत की दो दिवसीय यात्रा पर आईं पेलोसी ने कहा, 'कोई भी शी को किसी भी चीज का श्रेय नहीं देगा.' अमेरिकी सदन की पूर्व स्पीकर ने कहा, 'परम पावन दलाई लामा, ज्ञान, परंपरा, करुणा, आत्मा की पवित्रता और प्रेम के अपने संदेश के साथ लंबे समय तक जाने जाएंगे और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी. लेकिन आप, चीन के राष्ट्रपति, आप चले जाएंगे और कोई भी आपको किसी भी चीज का श्रेय नहीं देगा.'
द्विदलीय कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को भारत पहुंचा और उसी दिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा हवाई अड्डे पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों ने उसका स्वागत किया. पिछले हफ्ते, अमेरिकी कांग्रेस ने एक विधेयक पारित किया जिसमें बीजिंग से तिब्बत की स्थिति और शासन पर उनके विवाद को शांतिपूर्वक हल करने के लिए दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ फिर से जुड़ने का आग्रह किया गया.
रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने 'तिब्बत-चीन विवाद के समाधान को बढ़ावा देना' विधेयक पारित कर दिया है, जिसे 'तिब्बत समाधान अधिनियम' के रूप में भी जाना जाता है, और अब यह कानून बनने के लिए हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन के पास जा रहा है.