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उत्तराखंड में गढ़वाल से कुमाऊं तक वनाग्नि से हाहाकार, अब तक 5 लोगों ने गंवाई जान, कब बुझेगी जंगलों की आग? - Uttarakhand Forest Fire

Forest Fire in Uttarakhand उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी हुई है. जिन्हें बुझाने में वन महकमे के पसीने छूट रहे हैं. आलम ये है कि एक जगह की आग बुझाई जाती है तो दूसरी जगह पर भड़क जाती है. जिससे आग पर काबू करने में परेशानी हो रही है. आग से निकले धुएं और धुंध से आबोहवा भी खराब हो गई है. चिलचिलाती गर्मी से राहत पाने के लिए सैलानी पहाड़ी इलाकों की तरफ रुख कर रहे हैं, लेकिन उन्हें धुंध की वजह से खूबसूरत नजारों के दीदार नहीं हो पा रहे हैं. वहीं, अभी तक कई हेक्टेयर जंगल स्वाहा हो गए हैं. जानिए अब तक कितने जंगल जले और कितने लोगों ने जान गंवाई...

Forest Fire in Uttarakhand
जंगलों में लगी आग (फोटो- ईटीवी भारत ग्राफिक्स)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 6, 2024, 4:45 PM IST

Updated : May 6, 2024, 10:51 PM IST

उत्तराखंड में वनाग्नि से हाहाकार (वीडियो - ईटीवी भारत)

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में लाख कोशिश के बाद भी वन महकमा आग बुझाने में नाकाम साबित हो रहा है. प्रदेशभर में जंगल दहक रहे हैं. इस वनाग्नि में कई लोग झुलस चुके हैं तो कई लोग जान भी गंवा चुके हैं. करोड़ों की वन संपदा इस वनाग्नि की भेंट चढ़ गए हैं. वनाग्नि के कारण जंगली जानवरों के प्राण भी संकट में आ गए हैं. जिधर भी नजर दौड़ाएं तो उधर धुंध ही धुंध नजर आ रही है, लेकिन वनाग्नि को रोका नहीं जा सका है.

सूबे के मुखिया पुष्कर धामी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, इसके बावजूद वो वर्चुअली बैठक कर संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दे रहे हैं. इधर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी तमाम आला अधिकारियों को बुलाकर हाई लेवल बैठक ले रही हैं, लेकिन आग की घटनाओं पर काबू नहीं पाया जा सका है. ऐसे में मौजूदा हालात को देखें तो ऐसा लग रहा है कि पूरा सिस्टम अब बारिश के भरोसे है.

Forest Fire in Uttarakhand
जंगलों में भड़की आग (फोटो- ईटीवी भारत)

उत्तराखंड में अब तक 1,196 हेक्टेयर जंगल जलकर राख: वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में अभी तक 930 जगह आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी है, जबकि, 1,196 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गया है. सबसे ज्यादा घटनाएं कुमाऊं के आरक्षित वन क्षेत्र से सामने आई हैं, जहां 351 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. वहीं, गढ़वाल के आरक्षित वन क्षेत्र में 188 जगहों पर आग लगने की घटना दर्ज की गई है.

उधर, सिविल वन पंचायत इलाकों में की बात करें तो गढ़वाल में 177 जगह आग लगी है तो वहीं कुमाऊं में 140 जगह ऐसी हैं, जो सिविल क्षेत्र का हिस्सा है. अब तक कुमाऊं क्षेत्र में जहां 674 हेक्टेयर वन भूमि पूरी तरह से राख हो गई है. जबकि, गढ़वाल में 433 हेक्टेयर भूमि को नुकसान पहुंचा है. वन विभाग की मानें तो अब तक वनाग्नि में 5 लोगों की मौत हो चुकी है.

अब तक 383 लोगों के खिलाफ केस दर्ज: वन विभाग की मानें तो अभी तक जंगल में आग लगाने के मामले में 383 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं. जिसमें 315 अज्ञात और 59 ज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. इसके अलावा 60 नामजद आरोपियों के खिलाफ वन विभाग ने केस दर्ज किया है. उधर, सीएम धामी ने खेतों में फसल कटाई के बाद आग लगाने पर रोक लगा दी है. ताकि, आग खेतों से जंगलों की तरफ ना जाए.

सबसे ज्यादा कुमाऊं में जल रहे जंगल: उत्तराखंड में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में देखने को मिल रहे हैं. इसके बाद गढ़वाल के पौड़ी और उत्तरकाशी के आसपास के इलाके भी खूब जल रहे हैं. हालांकि, वन विभाग का दावा है बागेश्वर और चंपावत में जो आग लगी हुई थी, उसे रविवार देर शाम तक काबू पा लिया था, लेकिन अल्मोड़ा और नैनीताल में अभी भी जंगल जल रहे हैं.

अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा की मानें तो कुमाऊं मंडल में आग लगने का सबसे ज्यादा असर अल्मोड़ा जिले में देखा जा रहा है. सबसे ज्यादा मामले भी अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिले से ही सामने आए हैं. यहां पर घास पत्ती और पीरूल में आग लगने से ज्यादा जंगल जल रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से हालत को देखते हुए ग्राउंड पर कर्मचारियों की संख्या को बढ़ा दिया है.

इसके साथ ही पिथौरागढ़ में भी अब तक 106 आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. पर्यटक स्थल मसूरी की बात करें तो 42 घटनाएं यहां पर रिकॉर्ड की गई है. वहीं, पौड़ी वन विभाग में अब तक 65 घटनाएं हो चुकी हैं. वन विभाग ने पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, बेरीनाग, डीडीहाट, अस्कोट, धारचूला, मुनस्यारी, चंपावत में पाटी ब्लॉक और भिंगराडा संवेदनशील इलाकों में रखा है.

पर्यटक स्थल वाले इलाके में भी लगी आग: उत्तराखंड में आग की चपेट में वो क्षेत्र भी अछूते नहीं है, जहां पर पर्यटकों का हुजूम देखने को मिलता है. इनदिनों लोग गर्मी से बेहाल हैं तो लोग पहाड़ के ठंडे पर्यटक स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भी वनाग्नि के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही हाल नैनीताल में देखने को मिल रहा है. जहां रविवार देर रात जंगलों में लगी आग तल्लीताल जेल के पास तक पहुंच गई. इसके बाद तत्काल फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी गई और मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया गया.

Forest Fire in Uttarakhand
पेड़ के तने में लगी आग (फोटो- ईटीवी भारत)

कमोबेश ऐसा ही हाल लैंसडाउन का भी है. यहां पर भी रविवार को एक बार फिर आग लगने से अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया. यहां पर आज की चपेट में आकर एक कार जल गई. लैंसडाउन के जंगलों में आग लगने से पूरा छावनी इलाका धुआं-धुआं नजर आया. लैंसडाउन की आग छावनी के पास बीआरओ और चर्च के साथ 16 नंबर बंगले तक पहुंच गई. ऐसे में आग लगने से पर्यटक खूबसूरत नजारों का दीदार नहीं कर पा रहे हैं.

एयरफोर्स कर रही मदद: कुमाऊं के बाद अब गढ़वाल में आग बुझाने के लिए सरकार ने एक बार फिर वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद ली है. पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक के गोड़ख्याखाल, मांडाखाल, ग्वाड़ीगाड, भटीगांव व छानी के जंगलों में धधकती आग पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन ने 6 मई को वायुसेना की मदद ली. एयरफोर्स के एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने शाम के समय श्रीनगर डैम से पानी लेकर वना​ग्नि प्रभावित क्षेत्रों पर बौछार की.

वायुसेना की इस मदद से काफी हद तक आग पर नियंत्रण हो पाया है. इसके साथ ही रुद्रप्रयाग के जंगलों की आग शांत करने के लिए भी वायु सेना का हेलीकॉप्टर मदद कर रहा है. यहां अलकनंदा नदी से पानी अपलिफ्ट कर आग बुझाने का काम किया गया. इससे पहले नैनीताल में भी आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स की मदद ली गई थी.

आग लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई: वहीं, चमोली जिले में वन क्षेत्रों में फैल रही भीषण वनाग्नि की घटनाओं को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने आदेश जारी किया है कि वनों में आग लगाने वालों पर कठोर एक्शन लिया जाएगा. आरोपियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम- 2005 के प्रावधानों के अंतर्गत कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

इसके साथ ही वनाग्नि को रोकने के लिए नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत, जिला पंचायत, वन और उसके निकटतम क्षेत्र में कूड़ा, अन्य अपशिष्ट पदार्थ व कृषि भूमि में पराली जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है.

वनाग्नि के चलते अल्मोड़ा में 4 मजदूरों की मौत: बीती 2 मई सोमेश्वर के स्यूनराकोट के जंगल में आग लगने से 4 लीसा मजदूर लपटों में घिर गए. जिसमें दो महिलाएं भी शामिल थीं. सभी बुरी तरह से झुलस गए. इस घटना में एक लीसा मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि, तीन लोगों को अस्पताल लाया गया. जहां उनकी भी मौत हो गई. ये सभी मजदूर नेपाली मूल के थे.

पौड़ी में वनाग्नि में की चपेट में आई महिला की मौत: वहीं, पौड़ी के थापली गांव के जंगल में लगी आग खेतों तक आ पहुंची. जहां परखुंडा (घास के ढेर) को बचाने गई सावित्री देवी (उम्र 65 वर्ष) बुरी तरह से झुलस गई. ऐसे में उसे पौड़ी जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन गंभीर हालत को देखते महिला को एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया. जहां इलाज के दौरान सावित्री देवी की मौत हो गई.

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उत्तराखंड में वनाग्नि से हाहाकार (वीडियो - ईटीवी भारत)

देहरादून (उत्तराखंड): उत्तराखंड में लाख कोशिश के बाद भी वन महकमा आग बुझाने में नाकाम साबित हो रहा है. प्रदेशभर में जंगल दहक रहे हैं. इस वनाग्नि में कई लोग झुलस चुके हैं तो कई लोग जान भी गंवा चुके हैं. करोड़ों की वन संपदा इस वनाग्नि की भेंट चढ़ गए हैं. वनाग्नि के कारण जंगली जानवरों के प्राण भी संकट में आ गए हैं. जिधर भी नजर दौड़ाएं तो उधर धुंध ही धुंध नजर आ रही है, लेकिन वनाग्नि को रोका नहीं जा सका है.

सूबे के मुखिया पुष्कर धामी चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, इसके बावजूद वो वर्चुअली बैठक कर संबंधित अधिकारियों को जरूरी दिशा निर्देश दे रहे हैं. इधर, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी तमाम आला अधिकारियों को बुलाकर हाई लेवल बैठक ले रही हैं, लेकिन आग की घटनाओं पर काबू नहीं पाया जा सका है. ऐसे में मौजूदा हालात को देखें तो ऐसा लग रहा है कि पूरा सिस्टम अब बारिश के भरोसे है.

Forest Fire in Uttarakhand
जंगलों में भड़की आग (फोटो- ईटीवी भारत)

उत्तराखंड में अब तक 1,196 हेक्टेयर जंगल जलकर राख: वन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में अभी तक 930 जगह आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी है, जबकि, 1,196 हेक्टेयर जंगल जलकर राख हो गया है. सबसे ज्यादा घटनाएं कुमाऊं के आरक्षित वन क्षेत्र से सामने आई हैं, जहां 351 घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं. वहीं, गढ़वाल के आरक्षित वन क्षेत्र में 188 जगहों पर आग लगने की घटना दर्ज की गई है.

उधर, सिविल वन पंचायत इलाकों में की बात करें तो गढ़वाल में 177 जगह आग लगी है तो वहीं कुमाऊं में 140 जगह ऐसी हैं, जो सिविल क्षेत्र का हिस्सा है. अब तक कुमाऊं क्षेत्र में जहां 674 हेक्टेयर वन भूमि पूरी तरह से राख हो गई है. जबकि, गढ़वाल में 433 हेक्टेयर भूमि को नुकसान पहुंचा है. वन विभाग की मानें तो अब तक वनाग्नि में 5 लोगों की मौत हो चुकी है.

अब तक 383 लोगों के खिलाफ केस दर्ज: वन विभाग की मानें तो अभी तक जंगल में आग लगाने के मामले में 383 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं. जिसमें 315 अज्ञात और 59 ज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है. इसके अलावा 60 नामजद आरोपियों के खिलाफ वन विभाग ने केस दर्ज किया है. उधर, सीएम धामी ने खेतों में फसल कटाई के बाद आग लगाने पर रोक लगा दी है. ताकि, आग खेतों से जंगलों की तरफ ना जाए.

सबसे ज्यादा कुमाऊं में जल रहे जंगल: उत्तराखंड में सबसे ज्यादा आग की घटनाएं कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा, नैनीताल और बागेश्वर जिलों में देखने को मिल रहे हैं. इसके बाद गढ़वाल के पौड़ी और उत्तरकाशी के आसपास के इलाके भी खूब जल रहे हैं. हालांकि, वन विभाग का दावा है बागेश्वर और चंपावत में जो आग लगी हुई थी, उसे रविवार देर शाम तक काबू पा लिया था, लेकिन अल्मोड़ा और नैनीताल में अभी भी जंगल जल रहे हैं.

अपर प्रमुख वन संरक्षक निशांत वर्मा की मानें तो कुमाऊं मंडल में आग लगने का सबसे ज्यादा असर अल्मोड़ा जिले में देखा जा रहा है. सबसे ज्यादा मामले भी अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ जिले से ही सामने आए हैं. यहां पर घास पत्ती और पीरूल में आग लगने से ज्यादा जंगल जल रहे हैं, लेकिन वन विभाग की ओर से हालत को देखते हुए ग्राउंड पर कर्मचारियों की संख्या को बढ़ा दिया है.

इसके साथ ही पिथौरागढ़ में भी अब तक 106 आग लगने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. पर्यटक स्थल मसूरी की बात करें तो 42 घटनाएं यहां पर रिकॉर्ड की गई है. वहीं, पौड़ी वन विभाग में अब तक 65 घटनाएं हो चुकी हैं. वन विभाग ने पिथौरागढ़, गंगोलीहाट, बेरीनाग, डीडीहाट, अस्कोट, धारचूला, मुनस्यारी, चंपावत में पाटी ब्लॉक और भिंगराडा संवेदनशील इलाकों में रखा है.

पर्यटक स्थल वाले इलाके में भी लगी आग: उत्तराखंड में आग की चपेट में वो क्षेत्र भी अछूते नहीं है, जहां पर पर्यटकों का हुजूम देखने को मिलता है. इनदिनों लोग गर्मी से बेहाल हैं तो लोग पहाड़ के ठंडे पर्यटक स्थलों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन उन्हें भी वनाग्नि के चलते परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसा ही हाल नैनीताल में देखने को मिल रहा है. जहां रविवार देर रात जंगलों में लगी आग तल्लीताल जेल के पास तक पहुंच गई. इसके बाद तत्काल फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी गई और मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया गया.

Forest Fire in Uttarakhand
पेड़ के तने में लगी आग (फोटो- ईटीवी भारत)

कमोबेश ऐसा ही हाल लैंसडाउन का भी है. यहां पर भी रविवार को एक बार फिर आग लगने से अफरा तफरी का माहौल पैदा हो गया. यहां पर आज की चपेट में आकर एक कार जल गई. लैंसडाउन के जंगलों में आग लगने से पूरा छावनी इलाका धुआं-धुआं नजर आया. लैंसडाउन की आग छावनी के पास बीआरओ और चर्च के साथ 16 नंबर बंगले तक पहुंच गई. ऐसे में आग लगने से पर्यटक खूबसूरत नजारों का दीदार नहीं कर पा रहे हैं.

एयरफोर्स कर रही मदद: कुमाऊं के बाद अब गढ़वाल में आग बुझाने के लिए सरकार ने एक बार फिर वायुसेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर की मदद ली है. पौड़ी के खिर्सू ब्लॉक के गोड़ख्याखाल, मांडाखाल, ग्वाड़ीगाड, भटीगांव व छानी के जंगलों में धधकती आग पर काबू पाने के लिए जिला प्रशासन ने 6 मई को वायुसेना की मदद ली. एयरफोर्स के एमआई-17 हेलीकॉप्टर ने शाम के समय श्रीनगर डैम से पानी लेकर वना​ग्नि प्रभावित क्षेत्रों पर बौछार की.

वायुसेना की इस मदद से काफी हद तक आग पर नियंत्रण हो पाया है. इसके साथ ही रुद्रप्रयाग के जंगलों की आग शांत करने के लिए भी वायु सेना का हेलीकॉप्टर मदद कर रहा है. यहां अलकनंदा नदी से पानी अपलिफ्ट कर आग बुझाने का काम किया गया. इससे पहले नैनीताल में भी आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स की मदद ली गई थी.

आग लगाने वालों पर कड़ी कार्रवाई: वहीं, चमोली जिले में वन क्षेत्रों में फैल रही भीषण वनाग्नि की घटनाओं को देखते हुए जिला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने आदेश जारी किया है कि वनों में आग लगाने वालों पर कठोर एक्शन लिया जाएगा. आरोपियों के खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम- 2005 के प्रावधानों के अंतर्गत कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.

इसके साथ ही वनाग्नि को रोकने के लिए नगर पालिका परिषद, नगर पंचायत, जिला पंचायत, वन और उसके निकटतम क्षेत्र में कूड़ा, अन्य अपशिष्ट पदार्थ व कृषि भूमि में पराली जलाना पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है.

वनाग्नि के चलते अल्मोड़ा में 4 मजदूरों की मौत: बीती 2 मई सोमेश्वर के स्यूनराकोट के जंगल में आग लगने से 4 लीसा मजदूर लपटों में घिर गए. जिसमें दो महिलाएं भी शामिल थीं. सभी बुरी तरह से झुलस गए. इस घटना में एक लीसा मजदूर की मौके पर ही मौत हो गई. जबकि, तीन लोगों को अस्पताल लाया गया. जहां उनकी भी मौत हो गई. ये सभी मजदूर नेपाली मूल के थे.

पौड़ी में वनाग्नि में की चपेट में आई महिला की मौत: वहीं, पौड़ी के थापली गांव के जंगल में लगी आग खेतों तक आ पहुंची. जहां परखुंडा (घास के ढेर) को बचाने गई सावित्री देवी (उम्र 65 वर्ष) बुरी तरह से झुलस गई. ऐसे में उसे पौड़ी जिला अस्पताल लाया गया, लेकिन गंभीर हालत को देखते महिला को एम्स ऋषिकेश रेफर कर दिया गया. जहां इलाज के दौरान सावित्री देवी की मौत हो गई.

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Last Updated : May 6, 2024, 10:51 PM IST
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