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उत्तराखंड में करंट से वन्य जीवों की मौत पर विभाग हुआ गंभीर, जारी किए सख्त निर्देश - FOREST DEPARTMENT ISSUED GUIDELINES

दो भालुओं की मौत के बाद एक बार फिर से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की विद्युत व्यवस्था पर सवाल खड़े होने लगे हैं.

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आरके मिश्र, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 6, 2024, 3:06 PM IST

Updated : Dec 6, 2024, 5:21 PM IST

देहरादून: सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में विद्युत व्यवस्था न केवल इंसानों बल्कि वन्य जीवों के लिए भी खतरा बन गई है. हाल ही में हुई एक घटना के बाद अब वन विभाग ने इस मामले पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में एक भालू और उसके बच्चे की करंट लगने से मौत हुई थी. ऐसे में वन मुख्यालय ने पूरे प्रदेश में लापरवाही या जानबूझकर करंट लगने से मौत के मामले में सख्ती बरतने के संकेत दिए हैं.

वन विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश: उत्तराखंड वन मुख्यालय में वन्य जीव कार्यालय से जारी हुए दिशा निर्देशों ने करंट लगने से मौत के मामलों पर सख्ती बरतने के संकेत दे दिए हैं. दरअसल, चमोली जिले के गोपेश्वर में कुछ दिन पहले ही नमामि गंगे के तहत बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट लगने से एक भालू और उसके शावक की मौत होने का मामला सामने आया था.

उत्तराखंड में करंट से वन्य जीवों की मौत पर विभाग हुआ गंभीर (ETV Bharat)

मादा भालू और उसके बच्चे की हुई थी मौत: बताया गया कि 6 साल की मादा भालू और उसके 11 महीने के बच्चे को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में लगे ट्रांसफार्मर से करंट लगा था, जिससे उनकी मौत हो गई. घटना सामने आने के बाद फौरन वन विभाग के अधिकारियों ने प्रकरण पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े अधिकारियों की भूमिका को लेकर सवाल भी खड़े किए थे और मामले में शिकायत भी की थी.

विद्युत लाइनों के लिए एहतियात बरतने को कहा: इस घटना के सामने आने के बाद वन मुख्यालय के स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए पूरे प्रदेश में विद्युत लाइनों के लिए अधिकारियों को विशेष एहतियात बरतने के लिए कहा गया है. दिए गए निर्देशों के अनुसार अधिकारियों को विद्युत लाइन के आसपास के क्षेत्र का हर महीने निरीक्षण करने और क्षतिग्रस्त लाइनें को विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए ठीक करवाने के लिए कहा गया है.

हाई वोल्टेज तार का इस्तेमाल करने की मनाही: इस दौरान ट्रांसफार्मर और विभिन्न खाबों के आसपास सुरक्षा के लिहाज से उचित व्यवस्था किए जाने के लिए भी प्रयास करने के लिए कहा गया है. वन विभाग के अधिकारियों को आम लोगों को भी जागरूक करने के लिए कहा गया है, ताकि लोग खेतों, गांव या मोहल्लों में वन्यजीवों को रोकने के लिए हाई वोल्टेज तार का इस्तेमाल न करें.

सर्किट ब्रेकर सिस्टम को चेक करने के आदेश: इस दौरान सब स्टेशन में सर्किट ब्रेकर सिस्टम सही तरह से कम कर रहे हैं या नहीं, इसके लिए भी वन विभाग के अधिकारी विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर तमाम स्थितियों पर स्पष्टता लायेंगे. उत्तराखंड में बात केवल भालू की मौत की ही नहीं है, बल्कि हाथियों और जंगली सूअरों के अलावा तमाम वन्यजीवों की भी इस तरह की घटनाओं में मौत हो रही है.

साल 2023 में लापरवाही के कारण 16 लोगों की गई थी जान: बड़ी बात यह है कि चमोली में ही साल 2023 में नमामि गंगे के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में लापरवाही के कारण करंट लगने से 16 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद तमाम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की सुरक्षा मानकों को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए थे, लेकिन एक बार फिर वन्यजीवों की मौत से विद्युत विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही सामने दिख रही है और इसके बाद वन विभाग भी अब सचेत हो गया है.

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देहरादून: सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में विद्युत व्यवस्था न केवल इंसानों बल्कि वन्य जीवों के लिए भी खतरा बन गई है. हाल ही में हुई एक घटना के बाद अब वन विभाग ने इस मामले पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं. जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में एक भालू और उसके बच्चे की करंट लगने से मौत हुई थी. ऐसे में वन मुख्यालय ने पूरे प्रदेश में लापरवाही या जानबूझकर करंट लगने से मौत के मामले में सख्ती बरतने के संकेत दिए हैं.

वन विभाग ने जारी किए दिशा-निर्देश: उत्तराखंड वन मुख्यालय में वन्य जीव कार्यालय से जारी हुए दिशा निर्देशों ने करंट लगने से मौत के मामलों पर सख्ती बरतने के संकेत दे दिए हैं. दरअसल, चमोली जिले के गोपेश्वर में कुछ दिन पहले ही नमामि गंगे के तहत बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में करंट लगने से एक भालू और उसके शावक की मौत होने का मामला सामने आया था.

उत्तराखंड में करंट से वन्य जीवों की मौत पर विभाग हुआ गंभीर (ETV Bharat)

मादा भालू और उसके बच्चे की हुई थी मौत: बताया गया कि 6 साल की मादा भालू और उसके 11 महीने के बच्चे को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परिसर में लगे ट्रांसफार्मर से करंट लगा था, जिससे उनकी मौत हो गई. घटना सामने आने के बाद फौरन वन विभाग के अधिकारियों ने प्रकरण पर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से जुड़े अधिकारियों की भूमिका को लेकर सवाल भी खड़े किए थे और मामले में शिकायत भी की थी.

विद्युत लाइनों के लिए एहतियात बरतने को कहा: इस घटना के सामने आने के बाद वन मुख्यालय के स्तर पर दिशा-निर्देश जारी करते हुए पूरे प्रदेश में विद्युत लाइनों के लिए अधिकारियों को विशेष एहतियात बरतने के लिए कहा गया है. दिए गए निर्देशों के अनुसार अधिकारियों को विद्युत लाइन के आसपास के क्षेत्र का हर महीने निरीक्षण करने और क्षतिग्रस्त लाइनें को विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए ठीक करवाने के लिए कहा गया है.

हाई वोल्टेज तार का इस्तेमाल करने की मनाही: इस दौरान ट्रांसफार्मर और विभिन्न खाबों के आसपास सुरक्षा के लिहाज से उचित व्यवस्था किए जाने के लिए भी प्रयास करने के लिए कहा गया है. वन विभाग के अधिकारियों को आम लोगों को भी जागरूक करने के लिए कहा गया है, ताकि लोग खेतों, गांव या मोहल्लों में वन्यजीवों को रोकने के लिए हाई वोल्टेज तार का इस्तेमाल न करें.

सर्किट ब्रेकर सिस्टम को चेक करने के आदेश: इस दौरान सब स्टेशन में सर्किट ब्रेकर सिस्टम सही तरह से कम कर रहे हैं या नहीं, इसके लिए भी वन विभाग के अधिकारी विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर तमाम स्थितियों पर स्पष्टता लायेंगे. उत्तराखंड में बात केवल भालू की मौत की ही नहीं है, बल्कि हाथियों और जंगली सूअरों के अलावा तमाम वन्यजीवों की भी इस तरह की घटनाओं में मौत हो रही है.

साल 2023 में लापरवाही के कारण 16 लोगों की गई थी जान: बड़ी बात यह है कि चमोली में ही साल 2023 में नमामि गंगे के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में लापरवाही के कारण करंट लगने से 16 लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद तमाम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की सुरक्षा मानकों को लेकर दिशा-निर्देश दिए गए थे, लेकिन एक बार फिर वन्यजीवों की मौत से विद्युत विभाग के कर्मचारियों की लापरवाही सामने दिख रही है और इसके बाद वन विभाग भी अब सचेत हो गया है.

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Last Updated : Dec 6, 2024, 5:21 PM IST
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