देहरादूनः हरिद्वार के रुड़की स्थित पिरान कलियर शरीफ दरगाह में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स की पहल पर नई परंपरा की शुरुआत होने जा रही है. आजादी के बाद पहली बार 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के मौके पर पिरान कलियर शरीफ दरगाह के प्रांगण में ध्वजारोहण का कार्यक्रम रखा गया है.
पिरान कलियर शरीफ दरगाह: पिरान कलियर शरीफ दरगाह को मुसलमानों का सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है. यह रुड़की शहर से लगभग 6 किलोमीटर दूर हजरत मखदूम अलाउद्दीन अली अहमद साबिर की दरगाह है. मुसलमानों में इस धार्मिक स्थल की बड़ी मानता है. यहां यात्रा करने के लिए सालाना पाकिस्तान और देश के अलग-अलग हिस्सों से जरीन भी पहुंचते हैं. मुसलमानों के इस पवित्र धार्मिक स्थल पर केवल मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिंदुओं की बड़ी आबादी भी माथा टेकने आती है. 13वीं शताब्दी में बनी यह दरगाह बेहद विशाल और अपने आप में बड़ा महत्व रखती है. उत्तराखंड में इसे पांचवां धाम बनाने की भी कवायद चल रही है. मौजूदा समय में एक बड़ा प्रबंधन इसकी देखरेख करता है.
ये भी पढ़ेंः 26 जनवरी को दून परेड ग्राउंड के चारों ओर रहेगा जीरो जोन, रूट प्लान देखकर ही घर से निकलें
क्यों नहीं हो पाया आज तक ध्वजारोहण: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अधीन आने वाली इस दरगाह में आजादी के बाद से अब तक ध्वजारोहण नहीं हुआ. लेकिन इस बार बकायदा कार्यक्रम के तहत यहां पर ध्वजारोहण होगा. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स की माने तो अभिलेखों में दिखाया गया है कि यहां ध्वजारोहण की कोई परंपरा नहीं निभाई गई. ऐसे में 26 जनवरी को सुबह 10:30 बजे पिरान कलियर के गेट पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम होगा. शादाब ने कहा कि वह एक राष्ट्रवादी मुस्लिम हैं. हो सकता है कि कुछ लोगों को यह बात पसंद ना आए. लेकिन हम भारत में रहते हैं. कल हर राष्ट्रवादी के लिए बड़ा दिन है.
तेज हो सकते हैं विरोध के सुर: शम्स ने कहा कि हैरानी की बात है कि 23 साल का उत्तराखंड होने के बाद भी इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया. हो सकता है कि मेरा कुछ लोग विरोध करें. लेकिन मुझे इस बात की परवाह नहीं है. हमें चंद लोगों के नेगेटिव माइंड के सहारे नहीं चलना है. मुझे खुशी है कि मैंने जब यह प्रस्ताव दिया तो सभी ने खुशी-खुशी उसे स्वीकार किया. कल सुबह हम एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं.