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पांचवें चरण में चिराग, रूडी, रोहिणी, अजय निषाद और देवेश चंद्र ठाकुर का मुकाबला, जानें किसका पलड़ा भारी? - Lok Sabha Election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को मतदान होंगे. लेकिन उससे पहले वीवीआईपी कैंडिडेट को लेकर चर्चा तेज है. एक ओर जहां हाजीपुर से चिराग पासवान हैं तो वहीं सारण में रूडी और रोहिणी की बीच कड़ी फाइट मानी जा रही है. मुजफ्फरपुर में कांग्रेस के अजय निषाद कड़ी टक्कर दे रहे हैं तो वहीं सीतामढ़ी में देवेश चंद्र ठाकुर को चुनौती मिली हुई. मधुबनी में भी अशोक यादव की जंग जोरदार है. ऐसे में समीकरण के जरिए जानें कि किसका पलड़ा किसपर भारी है. पढ़ें पूरी खबर-

दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा
दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 16, 2024, 4:20 PM IST

Updated : May 16, 2024, 4:45 PM IST

पटना : बिहार में पांचवें चरण में पांच लोकसभा सीटों के लिए 20 मई को चुनाव होंगे. चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने जहां पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं प्रत्याशी भी पसीना बहा रहे हैं. पांचवें चरण में कई हाई प्रोफाइल उम्मीदवार मैदान में है, जिनके भाग्य का फैसला होना है. बिहार में पांचवें चरण में पांच लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे जिसमें हाजीपुर, सारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सीतामढ़ी लोकसभा की सीटें हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा : पांचवें चरण में कई बड़े नेताओं का फैसला होना है. बड़े नेताओं को जीत दिलाने के लिए राजनीतिक दलों ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है. पांचवें चरण में कुल मिलाकर 82 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें हाजीपुर से चिराग पासवान, सारण से राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य, देवेश चंद्र ठाकुर (सीतामढ़ी) और अजय निषाद (मुजफ्फरपुर) बड़े चेहरे हैं. जिस पर सब की निगाहें टिकी हुईं हैं.

चिराग पासवान पर नजर : दिवंगत रामविलास पासवान की पारंपरिक सीट पर उनके पुत्र चुनाव लड़ रहे हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट पर चिराग पासवान की जीत के लिए पीएम मोदी ने भी प्रचार किया है. जनता से रामविलास पासवान के रिकॉर्ड को तोड़ने का कमिटमेंट लिया है. हाजीपुर सीट पर चिराग पासवान का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम से है. आपको बता दें कि हाजीपुर सीट आरक्षित क्षेत्र है. यहां से अनुसूचित जाति के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट पर कुल 14 उम्मीदवार मैदान में है. चिराग पासवान के चलते हाजीपुर हॉट सीट बन गयी है.

हाजीपुर प्रत्याशी
चिराग पासवान (ETV Bharat)

हाजीपुर चिराग का गढ़ : हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में कल 6 विधानसभा सीट हैं. हाजीपुर और लालगंज विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है, तो महुआ, राघोपुर और महुआ पर राजद का कब्जा है. राजापाकर सीट कांग्रेस के खाते में है. 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले हाजीपुर सीट की चर्चा नहीं होती थी, लेकिन 1977 के चुनाव में रामविलास पासवान ने चार लाख 69000 वोटों से जीत कर रिकॉर्ड बनाया.

हाजीपुर लोकसभा सीट को रामविलास पासवान के परिवार की परंपरागत सीट भी कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए कि इस सीट से रामविलास पासवान ने 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में जीत दर्ज की, वहीं 2019 में उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने महागठबंधन की चुनौती को ध्वस्त करते हुए विजय पताका लहराया. रामविलास पासवान हाजीपुर से दो बार चुनाव हारे. 1984 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान को कांग्रेस के रामरतन राम ने शिकस्त दी थी, तो 2009 में एनडीए के बैनर तले रामसुंदर दास ने रामविलास पासवान को हरा दिया था.

हाजीपुर का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो एक आकलन के मुताबिक यहां यादव वोटर्स की संख्या 3 लाख से अधिक है, वहीं राजपूत मतदाताओं की संख्या भी 3 लाख के आसपास है. जबकि पासवान मतदाताओं की संख्या भी करीब 3 लाख है. इसके अलावा दो लाख के आसपास भूमिहार और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 2 लाख के करीब है. जबकि ब्राह्मण 50 हजार के साथ-साथ महादलित ढाई लाख और बनिया, कुशवाहा, कुर्मी सहित अन्य जाति के मतदाता भी ढाई लाख के आसपास हैं.

पशुपति पारस की जगह चिराग : 2019 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस लड़े थे और उन्हें जीत हासिल हुई थी. इस बार चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस से सीट छीन ली है और खुद चुनाव के मैदान में है. चिराग पासवान के समक्ष चुनौती विरासत की सियासत को आगे बढ़ाने की है.

सारण लोकसभा सीट : पांचवें चरण की सबसे हॉट सीट सारण लोकसभा की सीट है. पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी जहां भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार हैं वहीं लालू प्रसाद यादव ने छोटी बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है. राजीव प्रताप रूडी वर्तमान में सांसद हैं और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं. नरेंद्र मोदी ने भी राजीव प्रताप रूडी के लिए वोट मांगा है.

राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य
राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य (ETV Bharat)

सारण में रूडी Vs रोहिणी : वहीं, लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और मीसा भारती सारण क्षेत्र का लगातार दौरा कर रहे हैं. सारण लोकसभा क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि यह लालू प्रसाद यादव की परंपरागत सीट है. 1977 में लालू प्रसाद यादव पहली बार सारण से ही लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद लालू प्रसाद यादव 2004 और 2009 में सारण से जीत दर्ज की थी.

सारण में 15 उम्मीदवार : 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी में एक बार फिर से राजीव प्रताप रूडी को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजीव प्रताप रूडी सारण से चार बार सांसद चुने गए हैं. 1996, 1999, 2014 और 2019 में छपरा से सांसद रह चुके रूडी की लड़ाई हर बार लालू के परिवार से ही रही. वैसे राजीव प्रताप रूडी को 2004 और 2009 में लालू प्रसाद यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस बार लालू प्रसाद यादव ने राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है. सारण लोकसभा सीट पर कुल 15 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं.

सारण का समीकरण : सारण लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र आता है. मढ़ौरा, गरखा, छपरा, अमनौर, परसा और सोनपुर. इन 6 सीट में 4 सीट मढ़ौरा, गरखा, परसा और सोनपुर पर राजद का कब्जा है. अमनौर और छपरा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. जातीय समीकरण की बात करें तो यादव 25%, राजपूत और ब्राह्मण 23%, वैश्य और अन्य पिछड़ी जाति 20%, मुस्लिम 13% एवं दलित मतदाता 12% हैं.

सीतामढ़ी लोकसभा सीट जदयू के लिहाज से हॉट सीट है. इस बार जदयू ने विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को मैदान में उतारा है. वर्तमान सांसद सुनील कुमार पिंटू का टिकट जदयू ने काट दिया है. देवेश चंद्र ठाकुर नीतीश कुमार के करीबी नेता माने जाते हैं. सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं. जदयू के देवेश चंद्र ठाकुर का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के अर्जुन राय से है. देवेश चंद्र ठाकुर भी स्थानीय हैं और इस लिहाज से वहां लड़ाई दिलचस्प है.

देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी उम्मीदवार, एनडीए
देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी उम्मीदवार, एनडीए (Etv Bharat)

सीतामढ़ी में NDA मजबूत? : सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट है. जिसमें की बथनाहा, परिहार और सीतामढ़ी पर भाजपा का कब्जा है जबकि सुरसंड और रुन्नीसैदपुर जदयू के खाते में है. राष्ट्रीय जनता दल के पास सिर्फ एक विधानसभा सीट बाजपट्टी है. विधायकों की संख्या के हिसाब से एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई देता है.

सीतामढ़ी का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 5 लाख 80 हजार वैश्य मतदाता हैं. जबकि मुस्लिम मतदाता करीब ढाई लाख और यादव मतदाता 2 लाख 10 हजार हैं. वहीं अति पिछड़ा मतदाताओं की संख्या 2 लाख 90 हजार हैं, तो कुर्मी-कोइरी मिलकर करीब 1 लाख 30 हजार वोटर्स हैं. इसके अलावा सवर्ण मतदाताओं की संख्या 2 लाख 60 हजार और दलित-महादलित मतदाताओं की संख्या भी 2 लाख 60 हजार है.

मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट : भारतीय जनता पार्टी से बे टिकट हुए अजय निषाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है . वह इस बार महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. पिछली बार अजय निषाद बड़े मतों के अंतर से मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर चुनाव जीते थे. इस बार भाजपा ने राज भूषण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर दोनों ही उम्मीदवार साहनी जाति से हैं.

मुजफ्फरपुर प्रत्याशी अजय निषाद
मुजफ्फरपुर प्रत्याशी अजय निषाद (ETV Bharat)

मुजफ्फरपुर में 26 उम्मीदवार : मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर कुल 26 उम्मीदवार मैदान में है. मुख्य मुकाबला भाजपा के राजभूषण चौधरी और कांग्रेस पार्टी के अजय निषाद के बीच है. निषाद वोट नेताओं के जीत हार का फासला तय करता है. मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें तीन बीजेपी और 2 महागठबंधन के पाले हैं. इस हिसाब से यहां लड़ाई कांटे की नजर आ रही है.

मुजफ्फरपुर बाहरी उम्मीदवारों के लिए अनुकूल : लोकसभा सीट हमेशा से बाहरी प्रत्याशियों के लिए अनुकूल रही है. 1957 में गुजरात से आकर अशोक रणजीत राम मेहता मुजफ्फरपुर की जनता को भा गये तो जॉर्ज फर्नांडिस को यहां की जनता ने सिर-आंखों पर चढ़ाकर 5 बार सांसद बनाकर दिल्ली भेजा. 2009 से हुए पिछले 3 चुनावों में मुजफ्फरपुर सीट से जेडीयू और बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

मुजफ्फरपुर का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सवर्ण मतदाता साढ़े तीन लाख, यादव पौने दो लाख, मुस्लिम दो लाख और वैश्य सवा दो लाख हैं. इसके अलावा यहां निषाद और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की भी संख्या अच्छी-खासी है.

मधुबनी लोकसभा सीट अपेक्षाकृत रूप से कम चर्चा में है भाजपा की ओर से वहां अशोक यादव को मैदान में उतर गया है. राष्ट्रीय जनता दल ने अली अशरफ फातमी को मैदान में उतारा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में अशोक यादव बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. मधुबनी लोकसभा सीट पर कुल 26 उम्मीदवार मैदान में हैं, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच आमने-सामने की लड़ाई है.

मधुबनी में बीजेपी मजबूत? : मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आती है जिसमें कि बेनीपट्टी, बिस्फी, केवटी और जाले पर भाजपा का कब्जा है तो हरलाखी की सीट जदयू के पास है. राष्ट्रीय जनता दल के पास सिर्फ मधुबनी विधानसभा सीट है. इस लिहाज से कुल 5 विधानसभा सीट एनडीए के पास तो एक महागठबंधन के पास है. ऐसे में एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई देता है.

मधुबनी का जातिगत समीकरण : मधुबनी लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात कर ले तो ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है, जो आबादी का लगभग 35% हैं, इसके बाद मुस्लिम (19%) और निषाद (10%) हैं. यादव और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) भी एक बड़ा हिस्सा हैं. वैश्य मतदाताओं की संख्या लगभग 6% है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि ''पांचवें चरण का चुनाव दोनों ही गठबंधन का राजनीतिक भविष्य तय करेगा. लालू प्रसाद यादव के समक्ष चुनौती सारण सीट को जीत कर खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल करने की है, तो चिराग पासवान के समक्ष चुनौती अपने पिता का रिकॉर्ड तोड़ने की है. भाजपा किसी भी सूरत में सारण और मुजफ्फरपुर सीट हारना नहीं चाहेगी. मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. भाजपा के लिए मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट बड़ी चुनौती है. सीतामढ़ी और मधुबनी लोकसभा सीट पर एनडीए की राहें आसान दिख रही है.''

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पटना : बिहार में पांचवें चरण में पांच लोकसभा सीटों के लिए 20 मई को चुनाव होंगे. चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने जहां पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं प्रत्याशी भी पसीना बहा रहे हैं. पांचवें चरण में कई हाई प्रोफाइल उम्मीदवार मैदान में है, जिनके भाग्य का फैसला होना है. बिहार में पांचवें चरण में पांच लोकसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे जिसमें हाजीपुर, सारण, मुजफ्फरपुर, मधुबनी और सीतामढ़ी लोकसभा की सीटें हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा : पांचवें चरण में कई बड़े नेताओं का फैसला होना है. बड़े नेताओं को जीत दिलाने के लिए राजनीतिक दलों ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है. पांचवें चरण में कुल मिलाकर 82 उम्मीदवार मैदान में है जिसमें हाजीपुर से चिराग पासवान, सारण से राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य, देवेश चंद्र ठाकुर (सीतामढ़ी) और अजय निषाद (मुजफ्फरपुर) बड़े चेहरे हैं. जिस पर सब की निगाहें टिकी हुईं हैं.

चिराग पासवान पर नजर : दिवंगत रामविलास पासवान की पारंपरिक सीट पर उनके पुत्र चुनाव लड़ रहे हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट पर चिराग पासवान की जीत के लिए पीएम मोदी ने भी प्रचार किया है. जनता से रामविलास पासवान के रिकॉर्ड को तोड़ने का कमिटमेंट लिया है. हाजीपुर सीट पर चिराग पासवान का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व मंत्री शिवचंद्र राम से है. आपको बता दें कि हाजीपुर सीट आरक्षित क्षेत्र है. यहां से अनुसूचित जाति के उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकते हैं. हाजीपुर लोकसभा सीट पर कुल 14 उम्मीदवार मैदान में है. चिराग पासवान के चलते हाजीपुर हॉट सीट बन गयी है.

हाजीपुर प्रत्याशी
चिराग पासवान (ETV Bharat)

हाजीपुर चिराग का गढ़ : हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में कल 6 विधानसभा सीट हैं. हाजीपुर और लालगंज विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा है, तो महुआ, राघोपुर और महुआ पर राजद का कब्जा है. राजापाकर सीट कांग्रेस के खाते में है. 1977 के लोकसभा चुनाव से पहले हाजीपुर सीट की चर्चा नहीं होती थी, लेकिन 1977 के चुनाव में रामविलास पासवान ने चार लाख 69000 वोटों से जीत कर रिकॉर्ड बनाया.

हाजीपुर लोकसभा सीट को रामविलास पासवान के परिवार की परंपरागत सीट भी कहा जा सकता है. ऐसा इसलिए कि इस सीट से रामविलास पासवान ने 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999, 2004 और 2014 में जीत दर्ज की, वहीं 2019 में उनके छोटे भाई पशुपति कुमार पारस ने महागठबंधन की चुनौती को ध्वस्त करते हुए विजय पताका लहराया. रामविलास पासवान हाजीपुर से दो बार चुनाव हारे. 1984 के लोकसभा चुनाव में रामविलास पासवान को कांग्रेस के रामरतन राम ने शिकस्त दी थी, तो 2009 में एनडीए के बैनर तले रामसुंदर दास ने रामविलास पासवान को हरा दिया था.

हाजीपुर का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो एक आकलन के मुताबिक यहां यादव वोटर्स की संख्या 3 लाख से अधिक है, वहीं राजपूत मतदाताओं की संख्या भी 3 लाख के आसपास है. जबकि पासवान मतदाताओं की संख्या भी करीब 3 लाख है. इसके अलावा दो लाख के आसपास भूमिहार और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी 2 लाख के करीब है. जबकि ब्राह्मण 50 हजार के साथ-साथ महादलित ढाई लाख और बनिया, कुशवाहा, कुर्मी सहित अन्य जाति के मतदाता भी ढाई लाख के आसपास हैं.

पशुपति पारस की जगह चिराग : 2019 के लोकसभा चुनाव में चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस लड़े थे और उन्हें जीत हासिल हुई थी. इस बार चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति पारस से सीट छीन ली है और खुद चुनाव के मैदान में है. चिराग पासवान के समक्ष चुनौती विरासत की सियासत को आगे बढ़ाने की है.

सारण लोकसभा सीट : पांचवें चरण की सबसे हॉट सीट सारण लोकसभा की सीट है. पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी जहां भाजपा के टिकट पर उम्मीदवार हैं वहीं लालू प्रसाद यादव ने छोटी बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है. राजीव प्रताप रूडी वर्तमान में सांसद हैं और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी रह चुके हैं. नरेंद्र मोदी ने भी राजीव प्रताप रूडी के लिए वोट मांगा है.

राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य
राजीव प्रताप रूडी और रोहिणी आचार्य (ETV Bharat)

सारण में रूडी Vs रोहिणी : वहीं, लालू प्रसाद यादव अपनी बेटी रोहिणी आचार्य के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और मीसा भारती सारण क्षेत्र का लगातार दौरा कर रहे हैं. सारण लोकसभा क्षेत्र के बारे में कहा जाता है कि यह लालू प्रसाद यादव की परंपरागत सीट है. 1977 में लालू प्रसाद यादव पहली बार सारण से ही लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद लालू प्रसाद यादव 2004 और 2009 में सारण से जीत दर्ज की थी.

सारण में 15 उम्मीदवार : 2024 लोकसभा चुनाव में बीजेपी में एक बार फिर से राजीव प्रताप रूडी को अपना उम्मीदवार बनाया है. राजीव प्रताप रूडी सारण से चार बार सांसद चुने गए हैं. 1996, 1999, 2014 और 2019 में छपरा से सांसद रह चुके रूडी की लड़ाई हर बार लालू के परिवार से ही रही. वैसे राजीव प्रताप रूडी को 2004 और 2009 में लालू प्रसाद यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. इस बार लालू प्रसाद यादव ने राजीव प्रताप रूडी के खिलाफ अपनी बेटी रोहिणी आचार्य को मैदान में उतारा है. सारण लोकसभा सीट पर कुल 15 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं.

सारण का समीकरण : सारण लोकसभा में 6 विधानसभा क्षेत्र आता है. मढ़ौरा, गरखा, छपरा, अमनौर, परसा और सोनपुर. इन 6 सीट में 4 सीट मढ़ौरा, गरखा, परसा और सोनपुर पर राजद का कब्जा है. अमनौर और छपरा विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है. जातीय समीकरण की बात करें तो यादव 25%, राजपूत और ब्राह्मण 23%, वैश्य और अन्य पिछड़ी जाति 20%, मुस्लिम 13% एवं दलित मतदाता 12% हैं.

सीतामढ़ी लोकसभा सीट जदयू के लिहाज से हॉट सीट है. इस बार जदयू ने विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर को मैदान में उतारा है. वर्तमान सांसद सुनील कुमार पिंटू का टिकट जदयू ने काट दिया है. देवेश चंद्र ठाकुर नीतीश कुमार के करीबी नेता माने जाते हैं. सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर कुल 15 उम्मीदवार मैदान में हैं. जदयू के देवेश चंद्र ठाकुर का मुकाबला राष्ट्रीय जनता दल के अर्जुन राय से है. देवेश चंद्र ठाकुर भी स्थानीय हैं और इस लिहाज से वहां लड़ाई दिलचस्प है.

देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी उम्मीदवार, एनडीए
देवेश चंद्र ठाकुर, सीतामढ़ी उम्मीदवार, एनडीए (Etv Bharat)

सीतामढ़ी में NDA मजबूत? : सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट है. जिसमें की बथनाहा, परिहार और सीतामढ़ी पर भाजपा का कब्जा है जबकि सुरसंड और रुन्नीसैदपुर जदयू के खाते में है. राष्ट्रीय जनता दल के पास सिर्फ एक विधानसभा सीट बाजपट्टी है. विधायकों की संख्या के हिसाब से एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई देता है.

सीतामढ़ी का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा 5 लाख 80 हजार वैश्य मतदाता हैं. जबकि मुस्लिम मतदाता करीब ढाई लाख और यादव मतदाता 2 लाख 10 हजार हैं. वहीं अति पिछड़ा मतदाताओं की संख्या 2 लाख 90 हजार हैं, तो कुर्मी-कोइरी मिलकर करीब 1 लाख 30 हजार वोटर्स हैं. इसके अलावा सवर्ण मतदाताओं की संख्या 2 लाख 60 हजार और दलित-महादलित मतदाताओं की संख्या भी 2 लाख 60 हजार है.

मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट : भारतीय जनता पार्टी से बे टिकट हुए अजय निषाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है . वह इस बार महागठबंधन के उम्मीदवार हैं. पिछली बार अजय निषाद बड़े मतों के अंतर से मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर चुनाव जीते थे. इस बार भाजपा ने राज भूषण चौधरी को उम्मीदवार बनाया है. मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर दोनों ही उम्मीदवार साहनी जाति से हैं.

मुजफ्फरपुर प्रत्याशी अजय निषाद
मुजफ्फरपुर प्रत्याशी अजय निषाद (ETV Bharat)

मुजफ्फरपुर में 26 उम्मीदवार : मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर कुल 26 उम्मीदवार मैदान में है. मुख्य मुकाबला भाजपा के राजभूषण चौधरी और कांग्रेस पार्टी के अजय निषाद के बीच है. निषाद वोट नेताओं के जीत हार का फासला तय करता है. मुजफ्फरपुर लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा क्षेत्र हैं जिसमें तीन बीजेपी और 2 महागठबंधन के पाले हैं. इस हिसाब से यहां लड़ाई कांटे की नजर आ रही है.

मुजफ्फरपुर बाहरी उम्मीदवारों के लिए अनुकूल : लोकसभा सीट हमेशा से बाहरी प्रत्याशियों के लिए अनुकूल रही है. 1957 में गुजरात से आकर अशोक रणजीत राम मेहता मुजफ्फरपुर की जनता को भा गये तो जॉर्ज फर्नांडिस को यहां की जनता ने सिर-आंखों पर चढ़ाकर 5 बार सांसद बनाकर दिल्ली भेजा. 2009 से हुए पिछले 3 चुनावों में मुजफ्फरपुर सीट से जेडीयू और बीजेपी ने जीत दर्ज की है.

मुजफ्फरपुर का जातिगत समीकरण : जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सवर्ण मतदाता साढ़े तीन लाख, यादव पौने दो लाख, मुस्लिम दो लाख और वैश्य सवा दो लाख हैं. इसके अलावा यहां निषाद और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों की भी संख्या अच्छी-खासी है.

मधुबनी लोकसभा सीट अपेक्षाकृत रूप से कम चर्चा में है भाजपा की ओर से वहां अशोक यादव को मैदान में उतर गया है. राष्ट्रीय जनता दल ने अली अशरफ फातमी को मैदान में उतारा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में अशोक यादव बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते थे. मधुबनी लोकसभा सीट पर कुल 26 उम्मीदवार मैदान में हैं, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल के बीच आमने-सामने की लड़ाई है.

मधुबनी में बीजेपी मजबूत? : मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा सीट आती है जिसमें कि बेनीपट्टी, बिस्फी, केवटी और जाले पर भाजपा का कब्जा है तो हरलाखी की सीट जदयू के पास है. राष्ट्रीय जनता दल के पास सिर्फ मधुबनी विधानसभा सीट है. इस लिहाज से कुल 5 विधानसभा सीट एनडीए के पास तो एक महागठबंधन के पास है. ऐसे में एनडीए का पलड़ा भारी दिखाई देता है.

मधुबनी का जातिगत समीकरण : मधुबनी लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात कर ले तो ब्राह्मणों की आबादी सबसे अधिक है, जो आबादी का लगभग 35% हैं, इसके बाद मुस्लिम (19%) और निषाद (10%) हैं. यादव और अति पिछड़ा वर्ग (एमबीसी) भी एक बड़ा हिस्सा हैं. वैश्य मतदाताओं की संख्या लगभग 6% है.

राजनीतिक विश्लेषक डॉ संजय कुमार का मानना है कि ''पांचवें चरण का चुनाव दोनों ही गठबंधन का राजनीतिक भविष्य तय करेगा. लालू प्रसाद यादव के समक्ष चुनौती सारण सीट को जीत कर खोई हुई प्रतिष्ठा हासिल करने की है, तो चिराग पासवान के समक्ष चुनौती अपने पिता का रिकॉर्ड तोड़ने की है. भाजपा किसी भी सूरत में सारण और मुजफ्फरपुर सीट हारना नहीं चाहेगी. मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेला है. भाजपा के लिए मुजफ्फरपुर लोकसभा सीट बड़ी चुनौती है. सीतामढ़ी और मधुबनी लोकसभा सीट पर एनडीए की राहें आसान दिख रही है.''

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Last Updated : May 16, 2024, 4:45 PM IST
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