झालावाड़ : जिले के भवानी मंडी कस्बे में दो समलैंगिक युवतियों ने एक दूसरे के साथ रहने का फैसला किया है. दोनों युवतियां अब एक साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकेंगी. सोमवार को दोनों ने लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए कोर्ट में एक सहमति पत्र दाखिल किया है, जिसके बाद उन्हें साथ रहने की इजाजत मिली है. दोनों युवतियां एक दूसरे के साथ विवाह करने का भी दावा कर रहीं हैं, हालांकि भवानी मंडी कोर्ट में सीनियर एडवोकेट स्वतंत्र कुमार व्यास ने इसे गलत बताया है.
दोनों युवतियों ने एक साथ रहने के लिए कोर्ट में लिव-इन रिलेशनशिप के लिए आवेदन किया था. विवाह का किया जा रहा दावा झूठा है. सोमवार को दोनों युवतियां अपने परिजनों के साथ कोर्ट में पहुंची थी, जिन्होंने एक साथ रहने के लिए कोर्ट में आवेदन दिया था. इसके बाद दोनों को लिव-इन रिलेशनशिप का सहमति पत्र जारी किया गया. : स्वतंत्र कुमार व्यास, सीनियर एडवोकेट, भवानी मंडी कोर्ट
समलैंगिक शादियों को भारत में मान्यता नहीं : इस मामले में सीनियर अधिवक्ता व बाल कल्याण समिति के सदस्य गजेंद्र सेन ने बताया कि हिंदू मैरिज एक्ट के अनुसार समलैंगिक शादियों को भारत में मान्यता नहीं दी गई है. उन्होंने कहा कि समलैंगिक एडल्ट युवाओं के द्वारा साथ रहने के लिए कोर्ट में लिव इन रिलेशनशिप के तहत एग्रीमेंट किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि दोनों बालिकाओं के ऊपर हिंदू मैरिज एक्ट लागू होता है, ऐसे में दोनों के द्वारा किया जा रहा विवाह का दावा कानूनी रूप से वैध नहीं ठहराया जा सकता है.
4 साल की दोस्ती बदली प्यार में : भवानी मंडी निवासी किरण (सुरक्षा के कारण बदला हुआ नाम) ने बताया कि 4 वर्ष पूर्व उसकी दोस्ती ऊषा (सुरक्षा के कारण बदला हुआ नाम से हुई थी. पिछले 4 सालों से दोनों एक दूसरे के संपर्क में थी और साथ रहते हुए दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई. अब दोनों एक दूसरे से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन परिवार की ओर से इसका विरोध करने पर उन्होंने न्यायालय की शरण ली. सोमवार को उन्होंने भवानी मंडी कोर्ट में लव मैरिज करने के लिए आवेदन दिया था. इस पर कोर्ट ने दोनों को लिव-इन में रहने की इजाजत दे दी है.
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दूल्हा बनी किरण (सुरक्षा के कारण बदला हुआ नाम) ने बताया कि ऊषा (सुरक्षा के कारण बदला हुआ नाम) के परिजन दोनों की दोस्ती से खुश नहीं थे और साथ रहने पर आपत्ति जताते थे. इस बात को लेकर ऊषा के परिवार में हमेशा झगड़ा हुआ करता था. ऊषा को प्रताड़ित किए जाने पर उसने किरण से लव मैरिज करने का प्रस्ताव रखा, जिस पर उसके परिजनों ने इस पर सहमति दे दी. किरण ने बताया कि कोर्ट ने उनको लिव-इन में रहने की इजाजत दी है. उसने हिन्दू रस्म के अनुसार भगवान को साक्षी मानकर ऊषा की मांग में सिंदूर भरा है. भविष्य में वह उसके पति की भूमिका निभाएगी और दोनों साथ रहकर परिवार का पालन पोषण करेंगे. किरण के परिजनों ने ऊषा को बहू के रूप में स्वीकार करते हुए अपने घर में रहने की इजाजत दे दी है.
क्या है लिव-इन रिलेशनशिप : दो वयस्कों के बीच शादी किए बिना एक साथ रहने का रिश्ता होता है, जिसमें दोनों वयस्कों के भावनात्मक, शारीरिक और सामाजिक भाव जुड़े होते हैं. फिलहाल भारत में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर कानून है और यह कृत्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता, लेकिन भारतीय समाज इसे सामाजिक स्तर पर इसे मान्यता नहीं देता. भारतीय धर्मों में इसे गलत माना जाता है. भारत में लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े को घरेलू हिंसा कानून (प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन फ़्रॉम डोमेस्टिक वायलेंस ऐक्ट, 2005) के तहत संरक्षण मिलता है.