नई दिल्ली: कोरोना काल के बाद से ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने पर काम किया गया. इसके तहत मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों को सुपर फास्ट ट्रेनों में बदल दिया गया. इसके साथ ही इनका किराया भी बढ़ा दिया गया. अब ट्रेनों से स्लीपर कोच को भी कम किया जा रहा है. उनकी जगह एसी कोच लगाए जा रहे हैं. स्लीपर से एसी कोच का किराया ज्यादा होता है. ज्यादा किराए की मार सीधे तौर पर यात्रियों पर पड़ेगी.
रेलवे आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों से स्लीपर और जनरल कोच को एसी कोच में कनवर्ट करने की तैयारी में है. इसके लिए काम भी शुरू कर दिया गया है. रीवा एक्सप्रेस, लिक्ष्वी एक्सप्रेस, रक्सौल सद्भावना एक्सप्रेस और सुल्तानपुर- आनंद विहार सद्भावना एक्सप्रेस समेत अन्य ट्रेनों में 4 स्लीपर कोच को कम कर दिया गया है. उनकी जगह चार थर्ड एसी इकोनामी कोच लगा दिए गए हैं. थर्ड एसी इकोनामी कोच का किराया स्लीपर के किराए से दोगुने से भी अधिक है.
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बता दें कि बड़ी संख्या में लोग स्लीपर कोच में सफर करते हैं. लेकिन ट्रेन से स्लीपर कोच कम होने से अब यात्रियों को मजबूरी में महंगा टिकट लेकर एसी कोच में सफर करना होगा. इससे यात्रियों पर आर्थिक भार पड़ेगा. उत्तर रेलवे के जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों के मुताबिक थर्ड एसी इकोनामी का किराया थर्ड एसी से थोड़ा काम होता है. लोगों को बेहतर सुविधा देने के लिए रेलवे की ओर से स्लीपर कोच की जगह थर्ड एसी इकोनामिक कोच ट्रेनों में लगाए जा रहे हैं.
यात्रियों को हो रही परेशानी :
दिल्ली के आनंद विहार और उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर के बीच चलने वाली सद्भावना एक्सप्रेस में पहले स्लीपर के 6 कोच होते थे. लेकिन इनमें से चार कोच को हटा दिया गया है. इनकी जगह ट्रेन के एसी कोच लगा दिए गए हैं. अब सिर्फ 2 स्लीपर कोच बचे हुए हैं.
यात्री शमशेर ने बताया कि वह इस ट्रेन से सुल्तानपुर से दिल्ली आए. स्लीपर कोच कम होने के कारण बचे हुए दोनों कोच में बहुत ज्यादा भीड़ थी. हालात जनरल डिब्बे जैसे थे. क्योंकि जिन लोगों का टिकट वेटिंग में था कन्फर्म न होने के कारण ऐसे सभी यात्री दोनों कोच में मौजूद थे जिससे दोनों डिब्बों के लोगों के बहुत बुरे हालत थे.
पहले ये भीड़ कई स्लीपर कोच में बंट जाती थी. इससे समस्या नहीं होती थी. अब टिकट कन्फर्म होने के बाद भी भीड़ के कारण पूरी सीट नहीं मिल पा रही हैं. जनरल कोच में जगह न होने के कारण स्लीपर में बड़ी संख्या में लोग आ जाते हैं.
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