ETV Bharat / bharat

फर्जी मुठभेड़ में बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला : पूर्व एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को आजीवन कारावास - Mumbai ExCop Pradeep Sharma

Bombay High Court : बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को पूर्व मुंबई पुलिस एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि 2006 में लाखन भैया की फर्जी मुठभेड़ में हत्या के मामले में 12 पुलिस कर्मियों सहित 13 अन्य को दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा. पढ़ें पूरी खबर...

Bombay High Court
बॉम्बे हाईकोर्ट
author img

By PTI

Published : Mar 19, 2024, 6:03 PM IST

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को 'विकृत' और 'अस्थिर' करार देते हुए रद्द कर दिया.

अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध भारी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था। सबूतों की सामान्य श्रृंखला मामले में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से साबित करती है. पीठ ने शर्मा को तीन सप्ताह में संबंधित सत्र अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों सहित 13 व्यक्तियों को निचली अदालत द्वारा दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को भी बरकरार रखा और छह अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया.

हत्या के लिए 13 पुलिसकर्मियों सहित बाईस लोगों पर आरोप लगाया गया था. 2013 में सत्र न्यायालय ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया और 21 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हो गई. जहां अभियुक्तों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की, वहीं अभियोजन पक्ष और पीड़ित के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्म को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की. विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने तर्क दिया था कि वर्तमान मामले में, जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे स्वयं एक चरणबद्ध निर्मम हत्या में शामिल थे.

मामले में शर्मा को दोषी ठहराने की मांग करने वाले अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या के पूरे ऑपरेशन का मुख्य साजिशकर्ता और प्रमुख था. 11 नवंबर 2006 को, एक पुलिस टीम ने गुप्ता उर्फ ​​लक्खन भैया को पड़ोसी वाशी से इस संदेह पर उठाया कि वह राजन गिरोह का सदस्य था, उसके दोस्त अनिल भेड़ा के साथ,उसी शाम उपनगरीय वर्सोवा में नानी नाना पारक के पास एक 'फर्जी' मुठभेड़ में गुप्ता की हत्या कर दी.

ये भी पढ़ें-

मुंबई : बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में मुंबई में गैंगस्टर छोटा राजन के कथित करीबी सहयोगी रामनारायण गुप्ता की फर्जी मुठभेड़ के मामले में मंगलवार को पूर्व पुलिसकर्मी प्रदीप शर्मा को दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने शर्मा को बरी करने के सत्र न्यायालय के 2013 के फैसले को 'विकृत' और 'अस्थिर' करार देते हुए रद्द कर दिया.

अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट ने शर्मा के खिलाफ उपलब्ध भारी सबूतों को नजरअंदाज कर दिया था। सबूतों की सामान्य श्रृंखला मामले में उनकी संलिप्तता को स्पष्ट रूप से साबित करती है. पीठ ने शर्मा को तीन सप्ताह में संबंधित सत्र अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. उच्च न्यायालय ने पुलिसकर्मियों सहित 13 व्यक्तियों को निचली अदालत द्वारा दी गई दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को भी बरकरार रखा और छह अन्य आरोपियों की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और उन्हें बरी कर दिया.

हत्या के लिए 13 पुलिसकर्मियों सहित बाईस लोगों पर आरोप लगाया गया था. 2013 में सत्र न्यायालय ने सबूतों के अभाव में शर्मा को बरी कर दिया और 21 आरोपियों को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई. 21 आरोपियों में से दो की हिरासत में मौत हो गई. जहां अभियुक्तों ने अपनी दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अपील दायर की, वहीं अभियोजन पक्ष और पीड़ित के भाई रामप्रसाद गुप्ता ने शर्म को बरी किए जाने के खिलाफ अपील दायर की. विशेष लोक अभियोजक राजीव चव्हाण ने तर्क दिया था कि वर्तमान मामले में, जो अधिकारी कानून और व्यवस्था के संरक्षक थे, वे स्वयं एक चरणबद्ध निर्मम हत्या में शामिल थे.

मामले में शर्मा को दोषी ठहराने की मांग करने वाले अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया था कि पूर्व पुलिसकर्मी अपहरण और हत्या के पूरे ऑपरेशन का मुख्य साजिशकर्ता और प्रमुख था. 11 नवंबर 2006 को, एक पुलिस टीम ने गुप्ता उर्फ ​​लक्खन भैया को पड़ोसी वाशी से इस संदेह पर उठाया कि वह राजन गिरोह का सदस्य था, उसके दोस्त अनिल भेड़ा के साथ,उसी शाम उपनगरीय वर्सोवा में नानी नाना पारक के पास एक 'फर्जी' मुठभेड़ में गुप्ता की हत्या कर दी.

ये भी पढ़ें-

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.