नई दिल्ली : लिओनार्दो दा विंची, अमिताभ बच्चन, डिएगो माराडोना सब में एक कॉमन बात है ये टैलेंटेड शख्सियतें खब्बू हैं. खब्बू यानि बाएं हाथ से काम लेने वाले लोग. इन लेफ्ट हैंडर्स के अनोखेपन को सेलिब्रेट करने का दिन है 13 अगस्त. बाएं हाथ वालों को अंग्रेजी में साउथ पॉ के नाम से भी सुशोभित किया जाता है. साउथ (दक्षिण) उलटे हाथ वाला/वाली और और पॉ यानि पंजा, वैसे ही जैसा शेर का होता है! इन्हें हम हिंदुस्तानी आम बोल चाल में खब्बू भी कहते हैं.
इंटरनेशनल लेफ्ट हैंडर्स डे का इतिहास दशकों पुराना है. 20वीं सदी का. अंतर्राष्ट्रीय खब्बू दिवस की शुरुआत 1976 से हुई. इसका श्रेय जाता है डीन आर. कैम्पबेल को जिन्होंने खब्बुओं के एक संगठन लेफ्टहैंडर्स इंटरनेशनल संगठन के जरिए आवाज उठाई. जानते हैं क्यों? क्योंकि बाएं हाथ के लोगों को लेकर विभिन्न देशों में, समाज में अलग तरह की सोच थी. इस सोच के कारण सार्वजनिक जीवन में मजाक का पात्र भी बनना पड़ता था. तो इस संगठन ने असंख्य कठिनाइयों से जूझने वाले लोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 13 अगस्त को चुना.
कहा जाता है कि यूरोप 17वीं सदी में उलटे हाथ का इस्तेमाल करने वालों को जादू-टोना करने वाले शख्स के रूप में पहचाना जाता था. लोग उनसे घुलते-मिलते नहीं थे एक तरह से बहिष्कार करने में ही भलाई समझते थे. आज की दुनिया में ऐसा तो नहीं है लेकिन एक सच्चाई. ये भी है कि दुनिया में दाएं हाथ वालों को ध्यान में रखकर ही चीजें गढ़ी जाती हैं (तुलनात्मक रूप से दाएं हाथ वाले लोग ज्यादा हैं). एक अनुमान के मुताबिक आबादी का सिर्फ़ 12-13 प्रतिशत हिस्सा खब्बुओं का है इसलिए खास तौर पर बाएं हाथ के लोगों के लिए बनाई गई कई वस्तु आमतौर पर उनके दाएं हाथ के समकक्षों की तुलना में ज्यादा महंगी होती हैं.
क्या आप जानते हैं कि कैंची, चाकू और यहां तक कि स्कूल डेस्क जैसी चीजों को लेने के लिए विभिन्न देशों में बाएं हाथ के लोग 75 प्रतिशत ज्यादा कीमत चुकाते हैं. हजार मुश्किलें हों, जीना कठिन हो लेकिन बाएं हाथ वालों ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है. कला हो, खेल हो, साइंस टेक्नोलॉजी हो हर क्षेत्र में इनकी तूती बोली है. असंभव को संभव करने के लिए इन्होंने धारा के विपरीत बह कर मुकाम हासिल किया है.