बेंगलुरु : कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से मौजूदा हासन सांसद प्रज्वल रेवन्ना से जुड़े कथित यौन शोषण मामले में पीड़ित महिलाओं को हरसंभव सहायता देने का अनुरोध किया है.
उन्होंने सिद्धारमैया से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि इन 'जघन्य अपराधों' के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को सजा दी जाए. गांधी द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने शनिवार को 'एक्स' पर आश्वासन दिया कि उनकी सरकार प्रज्वल रेवन्ना द्वारा रेप और अन्याय की पीड़ितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
उन्होंने कन्नड़ में पोस्ट किया, 'निष्पक्ष जांच कराई जाएगी और मामले में चाहे कितने भी प्रभावशाली लोग शामिल हों, उन्हें कानून के हवाले किया जाएगा. पीड़ितों के आंसू पोंछने के साथ-साथ मैं @RahulGandhi और देश के सभी लोगों से एक वादा कर रहा हूं कि हमारी सरकार न्याय के लिए उनके संघर्ष में उनके साथ खड़ी रहेगी.'
राहुल के पत्र में और क्या : 3 मई को सिद्धारमैया को लिखे अपने पत्र में गांधी ने आरोप लगाया कि प्रज्वल ने कई वर्षों में सैकड़ों महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया और उनकी फिल्में बनाईं. कई लोग जो उन्हें भाई और बेटे के रूप में देखते थे उनके साथ 'सबसे हिंसक तरीके से क्रूरता की गई और उनकी गरिमा को लूटा गया. हमारी माताओं और बहनों के दुष्कर्म के लिए सबसे सख्त सजा की आवश्यकता है.'
कांग्रेस नेता ने कहा कि 'उन्हें यह जानकर गहरा सदमा लगा है कि दिसंबर 2023 में हमारे गृह मंत्री अमित शाह को जी. देवराजे गौड़ा ने प्रज्वल रेवन्ना के इतिहास, विशेष रूप से उनके यौन हिंसा के इतिहास और अपराधी द्वारा फिल्माए गए वीडियो की उपस्थिति के बारे में सूचित किया था.'
'इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि इन वीभत्स आरोपों को भाजपा के सबसे वरिष्ठ नेतृत्व के संज्ञान में लाए जाने के बावजूद, प्रधानमंत्री ने एक सामूहिक दुष्कर्मी के लिए अभियान चलाया और प्रचार किया. इसके अलावा, केंद्र सरकार ने किसी भी सार्थक जांच को पटरी से उतारने के लिए जानबूझकर उसे भारत से भागने की अनुमति दी.'
उन्होंने कहा कि 'इन अपराधों की अत्यंत विकृत प्रकृति और प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के आशीर्वाद से प्रज्वल रेवन्ना को मिली पूर्ण छूट कड़ी निंदा की पात्र है.' इसमें यह भी कहा गया है कि सार्वजनिक जीवन में अपने दो दशकों में उन्होंने कभी भी ऐसे वरिष्ठ जन प्रतिनिधि को नहीं देखा है, जिसने 'महिलाओं के खिलाफ अनकही हिंसा' के सामने लगातार चुप्पी साध रखी हो.
पत्र में आरोप लगाया गया है, 'हरियाणा में हमारे पहलवानों से लेकर मणिपुर में हमारी बहनों तक, भारतीय महिलाएं ऐसे अपराधियों को प्रधानमंत्री के मौन समर्थन का खामियाजा भुगत रही हैं.'
पत्र में कहा गया है कि 'हमारी माताओं और बहनों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ना कांग्रेस पार्टी का नैतिक कर्तव्य है. मैं समझता हूं कि कर्नाटक सरकार ने गंभीर आरोपों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है और प्रधानमंत्री से प्रज्वल रेवन्ना का राजनयिक पासपोर्ट रद्द करने और उन्हें जल्द से जल्द भारत प्रत्यर्पित करने का अनुरोध किया गया है.'
पत्र में कहा गया है कि 'मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि कृपया पीड़ितों को हर संभव सहायता प्रदान करें. वे हमारी करुणा और एकजुटता की पात्र हैं क्योंकि वे न्याय के लिए अपनी लड़ाई लड़ती हैं. यह सुनिश्चित करना हमारा सामूहिक कर्तव्य है कि इन जघन्य अपराधों के लिए जिम्मेदार सभी पक्षों को सजा दी जाए.'