ETV Bharat / bharat

झारखंड राज्यसभा चुनाव में होगा खेला! किसके बूते हरिहर महापात्रा ने ली है एंट्री, क्या हिमाचल प्रदेश वाला दिखेगा सीन

Jharkhand Rajya Sabha Election. झारखंड राज्यसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश जैसा खेला हो सकता है. क्योंकि मुंबई के एक उद्योगपति हरिहर महापात्रा की यहां एंट्री हो गई है. उन्होंने किसके बूते नॉमिनेशन फॉर्म लिया है, ये तो साफ नहीं है, लेकिन इतना तय है कि अगर वो नामांकन करते हैं तो यहां पर राज्यसभा चुनाव दिलचस्प हो जाएगा.

Jharkhand Rajya Sabha Election
Jharkhand Rajya Sabha Election
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 9, 2024, 5:30 PM IST

Updated : Mar 9, 2024, 6:12 PM IST

रांची: झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए होने जा रहा चुनाव दिलचस्प हो सकता है. संभावना जताई जा रही है कि बिजनेसमैन हरिहर महापात्रा की इंट्री से राज्यसभा चुनाव में कहीं खेला ना हो जाए. सोमवार को इसका ट्रेलर सामने आ जाएगा, जब महापात्रा नामांकन दाखिल करेंगे. क्योंकि उसी वक्त स्पष्ट हो जाएगा कि उनके प्रस्तावक कौन-कौन बने हैं. दरअसल, नामांकन पत्र में प्रस्तावक के तौर पर कुल संख्या के 10 प्रतिशत या सदन के कम से कम 10 सदस्यों का समर्थन जरुरी होता है. जाहिर है कि उन्हें दस प्रस्तावकों की जरुरत होगी. यह आंकड़ा कांग्रेस के समर्थन के बगैर पूरा नहीं हो सकता.

क्या झारखंड में भी दिखेगा हिमाचल एपिसोड

कांग्रेस के पास कुल 17 विधायक हैं. लेकिन झारखंड से राज्यसभा तक पहुंचने के लिए विधायकों की पहली प्राथमिकता के 27 वोट की जरुरत होती है. जाहिर है कि अगर क्रॉस वोटिंग हुई तो खेल बिगड़ सकता है. इसका नमूना हिमाचल प्रदेश में दिख चुका है. 43 विधायकों वाली पार्टी होने के बावजूद 25 विधायकों के समर्थन के साथ चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के हर्ष महाजन ने कांग्रेस के मनु सिंघवी को मात दे दी थी. हर्ष महाजन के पक्ष में कांग्रेस के छह और 3 निर्दलीय विधायकों ने वोटिंग कर दी थी. दोनों प्रत्याशियों को 34-34 वोट मिलने पर टाई हो गया और ड्रॉ निकालने पर भाजपा के हर्ष महाजन जीत गये. बिजनेसमैन हरिहर महापात्रा की इंट्री से इसलिए भी चर्चाओं का बाजार गर्म है क्योंकि 2016 में उनकी पत्नी प्रीति महापात्रा कांग्रेस नेता रहे कपिल सिब्बल के खिलाफ राज्यसभा चुनाव लड़ चुकी हैं.

क्रॉस वोटिंग बिगाड़ सकती है खेल

इन कयासों के बावजूद सारा समीकरण झामुमो के पूर्व विधायक और राज्यसभा प्रत्याशी सरफराज अहमद के पक्ष में दिख रहा है. उनके पास झामुमो के 29 विधायकों का समर्थन है. उनके लिए मुसीबत तभी खड़ी होगी जब झामुमो की ओर से क्रॉस वोटिंग होगी. क्योंकि अगर महापात्रा को कांग्रेस के 17 विधायकों, राजद का एक, भाकपा माले का एक, एनसीपी का एक और दो निर्दलीय (सरयू राय और अमित यादव) विधायकों का समर्थन मिल भी जाता है, तब भी कि वह ज्यादा से ज्यादा पहली प्राथमिकता के 22 वोट बटोर पाएंगे. इसमें अगर आजसू के एक वोट को भाजपा के लिए और दो वोट को महापात्रा के साथ जोड़ देते हैं तो उनके पास 24 वोट हो जाते हैं. फिर भी जीत के लिए पहली प्राथमिकता के 3 वोट की जरुरत होगी. ऐसा संभव नहीं दिखता. क्योंकि महापात्रा कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं है. भाकपा माले भी अपने स्टैंड पर कायम रहती है. लिहाजा, सारा खेल झामुमो के क्रॉस वोटिंग पर ही निर्भर होगा.

लिहाजा, कयास के तौर पर ही सही लेकिन हिमाचल प्रदेश वाली तस्वीर बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग कोई नई बात नहीं है. इस मामले में सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन कानूनी पेंच में फंसी हुई हैं. ऐसी सूरत बनने की वजह भी है. क्योंकि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद गठबंधन को जोड़े रखने वाला कोई नेता नजर नहीं आ रहा है. चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने और कांग्रेस के चार विधायकों को दोबारा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ शेष कांग्रेस विधायकों ने जिस तरह से दिल्ली दौड़ लगाई, उससे साफ है कि आंतरिक गुटबाजी चरम पर है.

रही बात भाजपा कि तो पार्टी ने प्रदीप वर्मा को राज्यसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया है. वह प्रदेश महामंत्री भी हैं. उनका नाम जारी होने से पहले आशा लकड़ा और अरुण उरांव का नाम रेस में था. लेकिन सवाल है कि क्या अब नाम की घोषणा होने के बाद प्रदीप वर्मा 11 मार्च को नामांकन की प्रक्रिया पूरी सकते हैं. क्योंकि महाशिवरात्रि की वजह से 8 मार्च को विधानसभा में छुट्टी थी. 9 मार्च को शनिवार और 10 मार्च को रविवार होने की वजह से भी विधानसभा में छुट्टी है. क्या यह संभव है कि प्रदीप वर्मा सोमवार को पर्चा भी खरीद लें और चार घंटे के भीतर सारी प्रक्रिया पूरी कर नामांकन भी दाखिल कर दें. जबकि प्रत्याशी को 11 बजे से 3 बजे के बीच नामांकन करना है. इसके लिए लंबी प्रक्रिया पूरी करनी होती है.

पर्चा लिए बगैर अंतिम दिन नामांकन दाखिल करना संभव

इस बाबत विधानसभा के सूत्रों से बात करने पर पता चला कि नामांकन का पर्चा ऑनलाइन उपलब्ध होता है. कोई भी नामांकन पर्चा डाउनलोड कर उसे भरने की प्रक्रिया पूरी कर सकता है. उसे सिर्फ विधानसभा से पर्चा कटाना पड़ता है. इससे साफ है कि प्रदीप वर्मा को इस बाबत संदेश पहले ही जा चुका था. उन्होंने तैयारी शुरु कर दी होगी. सोमवार को नामांकन का टोकट कटाने के साथ ही वह अपना पर्चा भी दाखिल कर देंगे.

झारखंड में राज्यसभा सीटों का समीकरण

झारखंड में राज्यसभा की कुल 6 सीटें हैं. तीन सीटों पर भाजपा के समीर उरांव, दीपक प्रकाश और आदित्य साहू राज्यसभा सांसद हैं. झामुमो से शिबू सोरेन और महुआ माजी जबकि कांग्रेस के धीरज साहू राज्यसभा सांसद हैं. मई माह में भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के धीरज साहू का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. इससे पहले 21 मार्च तक विजयी प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो जाएगी. इस चुनाव के बाद छह सीटों में से तीन सीट पर झामुमो और तीन सीट पर भाजपा का कब्जा रहेगा. इस रेस से कांग्रेस बाहर हो जाएगी.

ये भी पढ़ें-

राज्यसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज, बाजी मारने में जुटे सियासी दल

राज्यसभा चुनाव 2024: झारखंड में डॉ सरफराज अहमद हो सकते हैं महागठबंधन के उम्मीदवार, 11 मार्च को करेंगे नामांकन!

राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी, 21 मार्च को झारखंड के दो सीटों के लिए होगा मतदान

रांची: झारखंड में राज्यसभा की दो सीटों के लिए होने जा रहा चुनाव दिलचस्प हो सकता है. संभावना जताई जा रही है कि बिजनेसमैन हरिहर महापात्रा की इंट्री से राज्यसभा चुनाव में कहीं खेला ना हो जाए. सोमवार को इसका ट्रेलर सामने आ जाएगा, जब महापात्रा नामांकन दाखिल करेंगे. क्योंकि उसी वक्त स्पष्ट हो जाएगा कि उनके प्रस्तावक कौन-कौन बने हैं. दरअसल, नामांकन पत्र में प्रस्तावक के तौर पर कुल संख्या के 10 प्रतिशत या सदन के कम से कम 10 सदस्यों का समर्थन जरुरी होता है. जाहिर है कि उन्हें दस प्रस्तावकों की जरुरत होगी. यह आंकड़ा कांग्रेस के समर्थन के बगैर पूरा नहीं हो सकता.

क्या झारखंड में भी दिखेगा हिमाचल एपिसोड

कांग्रेस के पास कुल 17 विधायक हैं. लेकिन झारखंड से राज्यसभा तक पहुंचने के लिए विधायकों की पहली प्राथमिकता के 27 वोट की जरुरत होती है. जाहिर है कि अगर क्रॉस वोटिंग हुई तो खेल बिगड़ सकता है. इसका नमूना हिमाचल प्रदेश में दिख चुका है. 43 विधायकों वाली पार्टी होने के बावजूद 25 विधायकों के समर्थन के साथ चुनाव मैदान में उतरे भाजपा के हर्ष महाजन ने कांग्रेस के मनु सिंघवी को मात दे दी थी. हर्ष महाजन के पक्ष में कांग्रेस के छह और 3 निर्दलीय विधायकों ने वोटिंग कर दी थी. दोनों प्रत्याशियों को 34-34 वोट मिलने पर टाई हो गया और ड्रॉ निकालने पर भाजपा के हर्ष महाजन जीत गये. बिजनेसमैन हरिहर महापात्रा की इंट्री से इसलिए भी चर्चाओं का बाजार गर्म है क्योंकि 2016 में उनकी पत्नी प्रीति महापात्रा कांग्रेस नेता रहे कपिल सिब्बल के खिलाफ राज्यसभा चुनाव लड़ चुकी हैं.

क्रॉस वोटिंग बिगाड़ सकती है खेल

इन कयासों के बावजूद सारा समीकरण झामुमो के पूर्व विधायक और राज्यसभा प्रत्याशी सरफराज अहमद के पक्ष में दिख रहा है. उनके पास झामुमो के 29 विधायकों का समर्थन है. उनके लिए मुसीबत तभी खड़ी होगी जब झामुमो की ओर से क्रॉस वोटिंग होगी. क्योंकि अगर महापात्रा को कांग्रेस के 17 विधायकों, राजद का एक, भाकपा माले का एक, एनसीपी का एक और दो निर्दलीय (सरयू राय और अमित यादव) विधायकों का समर्थन मिल भी जाता है, तब भी कि वह ज्यादा से ज्यादा पहली प्राथमिकता के 22 वोट बटोर पाएंगे. इसमें अगर आजसू के एक वोट को भाजपा के लिए और दो वोट को महापात्रा के साथ जोड़ देते हैं तो उनके पास 24 वोट हो जाते हैं. फिर भी जीत के लिए पहली प्राथमिकता के 3 वोट की जरुरत होगी. ऐसा संभव नहीं दिखता. क्योंकि महापात्रा कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं है. भाकपा माले भी अपने स्टैंड पर कायम रहती है. लिहाजा, सारा खेल झामुमो के क्रॉस वोटिंग पर ही निर्भर होगा.

लिहाजा, कयास के तौर पर ही सही लेकिन हिमाचल प्रदेश वाली तस्वीर बनने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि झारखंड में राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग कोई नई बात नहीं है. इस मामले में सोरेन परिवार की बहू सीता सोरेन कानूनी पेंच में फंसी हुई हैं. ऐसी सूरत बनने की वजह भी है. क्योंकि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद गठबंधन को जोड़े रखने वाला कोई नेता नजर नहीं आ रहा है. चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने और कांग्रेस के चार विधायकों को दोबारा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ शेष कांग्रेस विधायकों ने जिस तरह से दिल्ली दौड़ लगाई, उससे साफ है कि आंतरिक गुटबाजी चरम पर है.

रही बात भाजपा कि तो पार्टी ने प्रदीप वर्मा को राज्यसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया है. वह प्रदेश महामंत्री भी हैं. उनका नाम जारी होने से पहले आशा लकड़ा और अरुण उरांव का नाम रेस में था. लेकिन सवाल है कि क्या अब नाम की घोषणा होने के बाद प्रदीप वर्मा 11 मार्च को नामांकन की प्रक्रिया पूरी सकते हैं. क्योंकि महाशिवरात्रि की वजह से 8 मार्च को विधानसभा में छुट्टी थी. 9 मार्च को शनिवार और 10 मार्च को रविवार होने की वजह से भी विधानसभा में छुट्टी है. क्या यह संभव है कि प्रदीप वर्मा सोमवार को पर्चा भी खरीद लें और चार घंटे के भीतर सारी प्रक्रिया पूरी कर नामांकन भी दाखिल कर दें. जबकि प्रत्याशी को 11 बजे से 3 बजे के बीच नामांकन करना है. इसके लिए लंबी प्रक्रिया पूरी करनी होती है.

पर्चा लिए बगैर अंतिम दिन नामांकन दाखिल करना संभव

इस बाबत विधानसभा के सूत्रों से बात करने पर पता चला कि नामांकन का पर्चा ऑनलाइन उपलब्ध होता है. कोई भी नामांकन पर्चा डाउनलोड कर उसे भरने की प्रक्रिया पूरी कर सकता है. उसे सिर्फ विधानसभा से पर्चा कटाना पड़ता है. इससे साफ है कि प्रदीप वर्मा को इस बाबत संदेश पहले ही जा चुका था. उन्होंने तैयारी शुरु कर दी होगी. सोमवार को नामांकन का टोकट कटाने के साथ ही वह अपना पर्चा भी दाखिल कर देंगे.

झारखंड में राज्यसभा सीटों का समीकरण

झारखंड में राज्यसभा की कुल 6 सीटें हैं. तीन सीटों पर भाजपा के समीर उरांव, दीपक प्रकाश और आदित्य साहू राज्यसभा सांसद हैं. झामुमो से शिबू सोरेन और महुआ माजी जबकि कांग्रेस के धीरज साहू राज्यसभा सांसद हैं. मई माह में भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के धीरज साहू का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. इससे पहले 21 मार्च तक विजयी प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो जाएगी. इस चुनाव के बाद छह सीटों में से तीन सीट पर झामुमो और तीन सीट पर भाजपा का कब्जा रहेगा. इस रेस से कांग्रेस बाहर हो जाएगी.

ये भी पढ़ें-

राज्यसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज, बाजी मारने में जुटे सियासी दल

राज्यसभा चुनाव 2024: झारखंड में डॉ सरफराज अहमद हो सकते हैं महागठबंधन के उम्मीदवार, 11 मार्च को करेंगे नामांकन!

राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी, 21 मार्च को झारखंड के दो सीटों के लिए होगा मतदान

Last Updated : Mar 9, 2024, 6:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.