बस्तर: बस्तर में सुरक्षाबलों ने बीते 15 सालों में कई तरह के ऑपरेशन चलाए हैं. ऑपरेशन प्रहार से लेकर आपरेशन माड़ तक में नक्सलियों को मुंह की खानी पड़ी है. सुरक्षाबलों की लगातार हो रही कार्रवाई के 15 साल के अंदर नक्सलियों की कमर टूट गई है. बस्तर में नक्सलवाद सिमट रहा है और उनकी कब्र खुदती जा रही है. माओवादियों का खौफ कम हुआ है और नक्सली लगातार कमजोर होते जा रहे हैं. ये दावा बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में दी है.
बस्तर में बैकफुट पर नक्सली: ईटीवी भारत से बातचीत में बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने दावा किया कि बीते 15 सालों में नक्सली बैकफुट पर पहुंचे हैं. फोर्स ने माओवादियों के कैडर को कमजोर करने का काम किया है. बस्तर आईजी सुंदरराज पी यहां लंबे समय से नक्सल ऑपरेशन से जुड़े रहे हैं उन्होंने एएसपी से लेकर आईजी तक के पद पर रहते हुए बस्तर में नक्सल समस्या को काफी करीब से डील किया है. उन्होंने दावा किया कि बस्तर में नक्सलियों का अंतकाल शुरू हो चुका है.
"माओवादियों के लिए सबसे मजबूत इलाका कहे जाने वाले क्षेत्रों में भी फोर्स पहुंच गई. माओवादियों का इलाका बिल्कुल सिमटता जा रहा है. इसके साथ ही अभी भी ऐसे इलाके हैं जैसे दक्षिण सुकमा, दक्षिण बीजापुर और नेशनल पार्क एरिया अबूझमाड़ जहां माओवादियों की उपस्थिति है. यहां भी हमारी फोर्स तेजी से आगे बढ़ रही है. इन इलाकों में भी आने वाले दिनों में बेहतर रणनीति के साथ फ़ोर्स उतरेगी और उनके इलाके को खत्म करेगी.": सुंदरराज पी, बस्तर आईजी
पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स का नक्सलवाद पर वार: बस्तर में बीते चार दशक से नक्सलवाद काबिज है. सुंदरराज पी ने कहा कि बीते दो दशकों में फोर्स ने लगातार तेजी से कार्रवाई कर इन नक्सलियों को काफी कमजोर किया है. बस्तर के अंदरूनी इलाकों में लगातार फोर्स ने नए नए कैंप खोले है. खूंखार नक्सली हिड़मा के गांव तक अब फोर्स पहुंच गई है. इसके साथ ही नारायणपुर के अबूझमाड़ जिसे नक्सलियों का गढ़ कहा जाता था वहां भी फोर्स ने ताबड़तोड़ स्ट्राइक किया है. इस तरह माओवाद कराह रहा है.
माओवादियों का असली रूप उजागर: बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने दावा किया कि अब माओवादियों के विकासविरोधी और जनविरोधी चेहरे उजागर हो चुके हैं. स्थानीय लोग माओवादियों का साथ नहीं दे रहे हैं. जिससे नक्सली काफी कमज़ोर हुए हैं. इस प्रकार से 15 सालों में काफी परिवर्तन हुआ है. आगामी दिनों में भी नई रणनीति के साथ काम किया जाएगा. क्षेत्रों में विकास कार्य करके शांति स्थापित करने की कोशिश की गई है. सड़क सुविधाओं का विकास बस्तर अंदरूनी इलाकों में हुआ है. पल्ली-बारसूर, अरनपुर-जगरगुंडा, बासागुड़ा-जगरगुंडा, भेज्जी-चिंतागुफा जैसे इलाकों में सड़कों को ओपन किया गया है. उत्तर बस्तर से दक्षिण बस्तर की सड़कें और अबूझमाड़ की सड़कों को खोलने का काम किया गया है. जिससे नक्सली लगातार पस्त हो रहे हैं.
"बस्तर में पुलिस को मिल रही लगातार सफलता से सुरक्षाबलों के हौसले बुलंद है. इसके साथ ही नक्सलियों की आम लोगों के खिलाफ किए जा रहे वारदात को लेकर जनता का समर्थन फोर्स को मिला है. लोग समझ चुके हैं कि नक्सली क्रूर हैं. नक्सल संगठन का कोई सिद्धान्त नहीं बचा है. अब माओवादी केवल एक टेरर ग्रुप के रूप में कार्य कर रहे हैं. इसकी वजह से माओवादियों का क्षेत्रफल लगातार सिमटता जा रहा है. ऐसे ही आगे भी अलग अलग क्षेत्र में कार्य किया जायेगा और नक्सलवाद को कमजोर किया जाएगा": सुंदरराज पी, बस्तर आईजी
बस्तर में ऑपरेशन मॉनसून को मिली सफलता: बस्तर में ऑपरेशन मानसून को बीते कई वर्षों में बड़ी सफलता मिली है. साल 2024 में भी इस अभियान को चलाने का दावा बस्तर आईजी ने किया. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया बारिश के दौरान भी लाल आतंक पर प्रहार जारी रहेगा. फोर्स की स्ट्राइक लगातार बरसात के दौरान जारी रहेगी
जल्द ही नक्सलमुक्त होगा बस्तर: जल्द ही बस्तर को नक्सल मुक्त किया जाएगा. सुंदरराज पी ने दावा किया कि बस्तर पुलिस और सिक्योरिटी फोर्स ने जिस तरह से मोर्चा खोला है उससे जल्द ही बस्तर क्षेत्र नक्सलवाद से मुक्त होगा. बस्तर की नई पीढ़ी की भी इच्छा है कि बस्तर की पहचान बने. इसलिए उस दिशा में लगातार काम किया जा रहा है. जल्द ही बस्तर शांति की ओर लौटेगा
बस्तर में फोर्स ने जनवरी से लेकर अब तक 138 से ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया है. इसके साथ ही सैंकड़ो नक्सलियों ने सरेंडर किया है. कांकेर, बीजापुर, अबूझमाड़, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे इलाकों में लाल आतंक को बैकफुट पर धकेला गया है.