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झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ! हाईकोर्ट में दायर चुनाव आयोग के हलफनामे में क्या है, साहिबगंज में शुरू हो चुकी है जांच - Bangladeshi infiltration in Santhal - BANGLADESHI INFILTRATION IN SANTHAL

Election Commission affidavit in Jharkhand High Court. झारखंड के संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ के मामले में चुनाव आयोग की ओर से हाईकोर्ट में हलफनामा दिया गया है. इसमें कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है. वहीं साहिबगंज में जांच भी शुरू हो चुकी है.

Election Commission affidavit in Jharkhand High Court
कोलाज इमजे (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 6, 2024, 4:34 PM IST

रांची: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ से बदल रही डेमोग्राफी मामले में दायर दानियल दानिश की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग की तरफ से हलफनामा दायर कर दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होनी है. झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ द्वारा 8 अगस्त और 22 अगस्त को जारी आदेश के आलोक में झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि की ओर से हलफनामा दायर हुआ है.

अब सवाल है कि क्या चुनाव आयोग ने इस बात को स्वीकार किया है कि संथाल में अवैध तरीके से मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. क्या अवैध कागजात के आधार पर बने पहचान पत्र की जानकारी आयोग को है. अगर ऐसा है तो इस मामले में आयोग की ओर से अब तक क्या कुछ किए गये हैं. आखिर शपथ पत्र में क्या है?

झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार की ओर से हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में इस बात का जिक्र है कि साहिबगंज के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष कार्तिक कुमार साहा की ओर से वहां के डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को अवैध प्रवासियों की संदिग्ध सूची से संबंधित एक शिकायत पत्र 27 अगस्त 2024 को मिला था. इस आधार पर साहिबगंज के डीसी ने 31 अगस्त 2024 को एक जांच कमेटी गठित की थी. डीसी ने 2 सितंबर 2024 को यह जानकारी सीईओ को दी है. जांच कमेटी को 9 सितंबर 2024 तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया है कि याचिकाकर्ता ने वैधानिक रूप से अयोग्यता के आधार पर मतदाता सूची में किसी भी मतदाता की गलत प्रविष्टि को हटाने के लिए किसी भी ERO यानी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के समक्ष कोई फॉर्म -7 नहीं भरा था. यदि भविष्य में भी किसी ERO के समक्ष कोई फॉर्म-7 दाखिल किया जाता है, तो संबंधित ERO द्वारा उचित जांच के बाद प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी.

चुनाव आयोग के शपथ पत्र के अन्य बिंदु

  1. सीईओ ने मतदाता पहचान पत्र जारी करने और सूची से नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी दिशा निर्देश का हवाला दिया है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1950 के सेक्शन 13B के आधार पर विधानसभा वार इलेक्टोरल रॉल तैयार किया जाता है. इसकी समीक्षा ERO यानी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर करते हैं. इस दौरान किसी अयोग्य को मतदाता पहचान पत्र जारी करने से रोकने के लिए इलेक्टोरल रॉल 2023 के मैन्युअल को फॉलो करना होता है. इसमें इस बात का जिक्र है कि अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद भी वैसे व्यक्ति का नाम काटा जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं हैं.
  2. मतदाता सूची को पारदर्शी बनाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से 7 नवंबर 2022 को विस्तृत गाइडलाइन जारी हुआ है. इसके तहत ERO को नोटिस बोर्ड पर नये मतदाता और डिलिटेड मतदाता का लिस्ट लगाना है. साथ ही संबंधित मतदान केंद्र पर भी लिस्ट लगाना है. इस सूची को सीईओ की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है ताकि संबंधित लोग अपनी बात रख सकें. इसकी कॉपी राजनीतिक पार्टियों को भी मुहैया कराई जाती है.
  3. किसी पर भारतीय नागरिकता को लेकर किसी तरह की आशंका होने पर ERO को निर्णय लेने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय से सहयोग लेने का अधिकार होता है. इसके बावजूद जब ERO कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता है तो उसे सुप्रीम कोर्ट के AIR 1189/1995 मामले में जारी गाइडलाइन्स को फॉलो करना होता है. ऐसी स्थिति में सिविल कोर्ट के स्तर पर भारतीयता का परीक्षण होता है. इस दौरान नागरिकता अधिनियम के सेक्शन 5(1)(C) के तहत प्रावधान चेक करना है. इसके बावजूद ERO को आशंका होने पर किसी का नाम जोड़ने या हटाने में परेशानी होने पर मामले को एमएचए को रेफर कर सकता है.
  4. अगर कोई मतदाता किसी के वोटर कार्ड पर आपत्ति जताता है तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के प्रावधानों के तहत ERO अपने स्तर से जांच भी करा सकता है. इसके बावजूद ERO के आदेश को जिला निर्वाचन पदाधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के यहां चुनौती दी जा सकती है.
  5. चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक अगर कोई अस्थायी निवासी के तौर पर वोटर कार्ड के लिए अप्लाई करता है तो ERO पहचान सुनिश्चित करने के लिए फॉर्म-6 के साथ सात तरह के प्रमाण पत्र में से कोई एक मांग सकता है. इसके लिए पानी/बिजली/गैस कनेक्शन का एड्रेस प्रूफ के रूप में पेश किया जा सकता है. इसके अलावा आधार कार्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक का पासबुक, भारतीय पासपोर्ट, जमीन के कागजात, रजिस्टर्ड रेंट लीज डीड की कॉपी दे सकता है.
  6. सेक्शन 21(2(a) के तहत इलेक्टोरल रॉल का रिवीजन एक सतत प्रक्रिया है. हर आम चुनाव या उपचुनाव के वक्त इलेक्टोरल रोल का रिवीजन होता है. सेक्शन 21(2(b) के तहत चुनाव आयोग को कभी भी इलेक्टोरल रोल का रिवीजन कराने का अधिकार है. इस दौरान किसी का नाम जोड़ने या नाम को जारी रखने से जुड़ी आपत्ति पर फॉर्म-7 भरकर ERO को जरुरी दस्तावेज के साथ दिया जा सकता है.
  7. अगर फॉर्म-7 के जरिए इलेक्टोरल रोल से यह कहते हुए किसी का नाम हटाने का आवेदन आता है कि वह भारतीय नागरिक नहीं है तो ERO संबंधित शख्स से भारतीय नागरिक होने का प्रमाण मांग सकता है.
  8. अगर किसी के भारतीय नागरिक होने पर विवाद होता है तो ERO दस्तावेज निर्गत करने वाले सरकारी अधिकारी से उसकी प्रमाणिकता पूछ सकता है. इसके बावजूद आवेदनकर्ता के खिलाफ आरोपों के तथ्यपरक होने पर ERO अपने स्तर से कागजात की जांच भी करवा सकता है. अगर आवेदनकर्ता वैध कागजात जमा करा देता है तो ERO उसके अयोग्य ठहराने से इनकार कर सकता है. इसके बावजूद अगर कागजात में कोई कमी दिखती है तो ERO को अधिकार है कि वह कागजात निर्गत करने वाले पदाधिकारी को निर्देशित कर सकता है.

रांची: झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ से बदल रही डेमोग्राफी मामले में दायर दानियल दानिश की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग की तरफ से हलफनामा दायर कर दिया गया है. मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को होनी है. झारखंड हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ द्वारा 8 अगस्त और 22 अगस्त को जारी आदेश के आलोक में झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि की ओर से हलफनामा दायर हुआ है.

अब सवाल है कि क्या चुनाव आयोग ने इस बात को स्वीकार किया है कि संथाल में अवैध तरीके से मतदाता पहचान पत्र बनाए गए हैं. क्या अवैध कागजात के आधार पर बने पहचान पत्र की जानकारी आयोग को है. अगर ऐसा है तो इस मामले में आयोग की ओर से अब तक क्या कुछ किए गये हैं. आखिर शपथ पत्र में क्या है?

झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार की ओर से हाईकोर्ट में दिए गए हलफनामे में इस बात का जिक्र है कि साहिबगंज के पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष कार्तिक कुमार साहा की ओर से वहां के डीसी सह जिला निर्वाचन पदाधिकारी को अवैध प्रवासियों की संदिग्ध सूची से संबंधित एक शिकायत पत्र 27 अगस्त 2024 को मिला था. इस आधार पर साहिबगंज के डीसी ने 31 अगस्त 2024 को एक जांच कमेटी गठित की थी. डीसी ने 2 सितंबर 2024 को यह जानकारी सीईओ को दी है. जांच कमेटी को 9 सितंबर 2024 तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है.

साथ ही कोर्ट को यह भी बताया गया है कि याचिकाकर्ता ने वैधानिक रूप से अयोग्यता के आधार पर मतदाता सूची में किसी भी मतदाता की गलत प्रविष्टि को हटाने के लिए किसी भी ERO यानी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के समक्ष कोई फॉर्म -7 नहीं भरा था. यदि भविष्य में भी किसी ERO के समक्ष कोई फॉर्म-7 दाखिल किया जाता है, तो संबंधित ERO द्वारा उचित जांच के बाद प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी.

चुनाव आयोग के शपथ पत्र के अन्य बिंदु

  1. सीईओ ने मतदाता पहचान पत्र जारी करने और सूची से नाम हटाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से जारी दिशा निर्देश का हवाला दिया है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट, 1950 के सेक्शन 13B के आधार पर विधानसभा वार इलेक्टोरल रॉल तैयार किया जाता है. इसकी समीक्षा ERO यानी इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर करते हैं. इस दौरान किसी अयोग्य को मतदाता पहचान पत्र जारी करने से रोकने के लिए इलेक्टोरल रॉल 2023 के मैन्युअल को फॉलो करना होता है. इसमें इस बात का जिक्र है कि अंतिम मतदाता सूची जारी होने के बाद भी वैसे व्यक्ति का नाम काटा जा सकता है जो भारत का नागरिक नहीं हैं.
  2. मतदाता सूची को पारदर्शी बनाने के लिए चुनाव आयोग की ओर से 7 नवंबर 2022 को विस्तृत गाइडलाइन जारी हुआ है. इसके तहत ERO को नोटिस बोर्ड पर नये मतदाता और डिलिटेड मतदाता का लिस्ट लगाना है. साथ ही संबंधित मतदान केंद्र पर भी लिस्ट लगाना है. इस सूची को सीईओ की वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है ताकि संबंधित लोग अपनी बात रख सकें. इसकी कॉपी राजनीतिक पार्टियों को भी मुहैया कराई जाती है.
  3. किसी पर भारतीय नागरिकता को लेकर किसी तरह की आशंका होने पर ERO को निर्णय लेने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्रालय से सहयोग लेने का अधिकार होता है. इसके बावजूद जब ERO कोई निष्कर्ष पर नहीं पहुंचता है तो उसे सुप्रीम कोर्ट के AIR 1189/1995 मामले में जारी गाइडलाइन्स को फॉलो करना होता है. ऐसी स्थिति में सिविल कोर्ट के स्तर पर भारतीयता का परीक्षण होता है. इस दौरान नागरिकता अधिनियम के सेक्शन 5(1)(C) के तहत प्रावधान चेक करना है. इसके बावजूद ERO को आशंका होने पर किसी का नाम जोड़ने या हटाने में परेशानी होने पर मामले को एमएचए को रेफर कर सकता है.
  4. अगर कोई मतदाता किसी के वोटर कार्ड पर आपत्ति जताता है तो रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के प्रावधानों के तहत ERO अपने स्तर से जांच भी करा सकता है. इसके बावजूद ERO के आदेश को जिला निर्वाचन पदाधिकारी और मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के यहां चुनौती दी जा सकती है.
  5. चुनाव आयोग के निर्देश के मुताबिक अगर कोई अस्थायी निवासी के तौर पर वोटर कार्ड के लिए अप्लाई करता है तो ERO पहचान सुनिश्चित करने के लिए फॉर्म-6 के साथ सात तरह के प्रमाण पत्र में से कोई एक मांग सकता है. इसके लिए पानी/बिजली/गैस कनेक्शन का एड्रेस प्रूफ के रूप में पेश किया जा सकता है. इसके अलावा आधार कार्ड, राष्ट्रीयकृत बैंक का पासबुक, भारतीय पासपोर्ट, जमीन के कागजात, रजिस्टर्ड रेंट लीज डीड की कॉपी दे सकता है.
  6. सेक्शन 21(2(a) के तहत इलेक्टोरल रॉल का रिवीजन एक सतत प्रक्रिया है. हर आम चुनाव या उपचुनाव के वक्त इलेक्टोरल रोल का रिवीजन होता है. सेक्शन 21(2(b) के तहत चुनाव आयोग को कभी भी इलेक्टोरल रोल का रिवीजन कराने का अधिकार है. इस दौरान किसी का नाम जोड़ने या नाम को जारी रखने से जुड़ी आपत्ति पर फॉर्म-7 भरकर ERO को जरुरी दस्तावेज के साथ दिया जा सकता है.
  7. अगर फॉर्म-7 के जरिए इलेक्टोरल रोल से यह कहते हुए किसी का नाम हटाने का आवेदन आता है कि वह भारतीय नागरिक नहीं है तो ERO संबंधित शख्स से भारतीय नागरिक होने का प्रमाण मांग सकता है.
  8. अगर किसी के भारतीय नागरिक होने पर विवाद होता है तो ERO दस्तावेज निर्गत करने वाले सरकारी अधिकारी से उसकी प्रमाणिकता पूछ सकता है. इसके बावजूद आवेदनकर्ता के खिलाफ आरोपों के तथ्यपरक होने पर ERO अपने स्तर से कागजात की जांच भी करवा सकता है. अगर आवेदनकर्ता वैध कागजात जमा करा देता है तो ERO उसके अयोग्य ठहराने से इनकार कर सकता है. इसके बावजूद अगर कागजात में कोई कमी दिखती है तो ERO को अधिकार है कि वह कागजात निर्गत करने वाले पदाधिकारी को निर्देशित कर सकता है.

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